• प्रश्न :

    एक भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी को किसी देश में भारत के राजदूत के रूप में तैनात किया जाता है। इसे भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करने और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है। हालांकि संबंधित देश का मानवाधिकार रिकॉर्ड खराब होने के साथ यहाँ की सरकार पर जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार करने का आरोप लगाया गया है।

    इन अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों ने इस IFS अधिकारी से संपर्क किया है और इस संदर्भ में इसने भारत सरकार से सहायता एवं समर्थन का अनुरोध किया है। इन प्रतिनिधियों ने अधिकारी को मानवाधिकार हनन के साक्ष्य भी उपलब्ध कराए हैं। हालांकि इस अधिकारी को विदेश मंत्रालय द्वारा संबंधित देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने तथा संबंधित सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की सलाह दी गई है।

    अगर आप IFS अधिकारी के पद पर होते तो इस स्थिति में आप क्या करते?

    13 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • मामले को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक मुद्दे के बारे में चर्चा कीजिये।
    • IFS अधिकारी द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाओं पर चर्चा कीजिये।
    • IFS अधिकारी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के बारे में चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    उपरोक्त मामला एक IFS अधिकारी के इर्द-गिर्द घूमता है, जो एक मेजबान देश में राजदूत के रूप में तैनात है। संबंधित देश का मानवाधिकार रिकॉर्ड खराब होने के साथ यहाँ की सरकार पर जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार करने का आरोप लगाया जाता है। सरकारी दुविधा का अनुभव तब करता है जब उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों का एक प्रतिनिधि समर्थन मांगने के लिये उसके पास आता है।

    विदेश मंत्रालय अधिकारी को मेजबान देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने और मेजबान सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की सलाह देता है। इसलिये, अधिकारी को इस नाजुक स्थिति को नेविगेट करने और अल्पसंख्यकों की जरूरतों, भारत के हितों और मंत्रालय की सलाह को संतुलित करने वाला निर्णय लेने की आवश्यकता है।

    मुख्य भाग

    • शामिल हितधारक
      • मैं एक IFS अधिकारी के रूप में।
      • भारत के विदेश मंत्रालय।
      • जिस देश में IFS तैनात हैं वहां के अल्पसंख्यक।
      • मानवाधिकार NGO
      • बड़े पैमाने पर मानव जाति
    • शामिल नैतिक मुद्दे:
      • पारदर्शिता और जवाबदेही: अधिकारी को पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों को लेकर नैतिक सवालों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि मानव अधिकारों के हनन के बारे में जानकारी सार्वजनिक हित और महत्व की हो सकती हैं, लेकिन फिर भी अधिकारी को इस जानकारी को गुप्त रखना पद सकता है तथा उसे सार्वजनिक नहीं करना होगा या अभियुक्तों की मदद करने से भी बचना होगा।
      • पेशेवर नैतिकता: मानवाधिकार के मुद्दों से निपटने के दौरान अधिकारी को व्यावसायिकता और निष्पक्षता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की नैतिक चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
      • मानवाधिकारों का उल्लंघन: मेजबान देश का खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड और जातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित अत्याचार मानवाधिकारों की रक्षा और सम्मान की ज़िम्मेदारी के बारे में नैतिक सवाल उठाते हैं।
      • मानवाधिकार: मानवाधिकारों का सम्मान करना और उन्हें बढ़ावा देना IFS अधिकारी की नैतिक ज़िम्मेदारी है। इसमें मानवाधिकारों के हनन के संदर्भ में आँख नहीं मूंदना और उन्हें संबोधित करने के लिये उचित कार्रवाई करना शामिल है।
      • सहानुभूति: IFS अधिकारी आरोपी देश के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूति महसूस करेगा।
    • शामिल नैतिक दुविधा:
      • भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करना बनाम अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना: अधिकारी को भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करने और मेजबान देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है, लेकिन वह जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन तथा सुरक्षा करने की नैतिक ज़िम्मेदारी भी महसूस कर सकता है जिनके पास मानवाधिकार हनन के शिकार हुए हैं।
      • मेजबान देश की संप्रभुता का सम्मान करने का कर्तव्य बनाम जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने का कर्तव्य: अधिकारी को मेजबान देश की संप्रभुता का सम्मान करने और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने तथा जबान सरकार द्वारा सताए जा रहे जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार की रक्षा करने के कर्तव्य के बीच दुविधा का सामना करना पड़ेगा।
      • विदेश मंत्रालय के मार्गदर्शन का पालन बनाम व्यक्तिगत निर्णय का उपयोग करना: अधिकारी विदेश मंत्रालय के मार्गदर्शन का पालन करने और स्थिति को संभालने हेतु लिये जाने वाले स्वयं के व्यक्तिगत निर्णय के बीच द्वंद्व में फँस सकता है।
    • कार्रवाई:
      • एक IFS अधिकारी के रूप में मेरी कार्रवाई कूटनीति और सिद्धांत के संतुलन के साथ इस मुद्दे को हल करने की होगी।
      • सबसे पहले, मैं कोई भी कार्रवाई करने से पहले अधिक जानकारी एकत्र करने का प्रयास करूँगा, मेजबान देश में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करना महत्वपूर्ण है।
      • इसमें जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार संगठनों के साथ बैठक शामिल हो सकती है और इन समूहों द्वारा प्रदान किये गए साक्ष्य की समीक्षा भी कर सकते हैं और इसकी विश्वसनीयता का आकलन कर सकते हैं।
      • इस बीच, मैं फिर से विदेश मंत्रालय से कहूँगा कि स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है और उन्हें नवीनतम साक्ष्य भी प्रदान करें तथा इन सबके बावजूद मंत्रालय मेरी सहायता प्रदान करने की योजना को फिर से खारिज कर देता है तो मैं विदेश से पत्र लिखूँगा और भारत सरकार के भीतर मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों से मार्गदर्शन लूँगा उनके लिये मेजबान देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर आधिकारिक रुख निर्धारित करना आसान हो जाए।
      • जैसा कि वे किसी भी कार्रवाई के संभावित प्रभाव पर भी विचार करेंगे, वे मेजबान देश के साथ भारत के संबंधों के साथ-साथ प्रभावित अल्पसंख्यकों पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी विचार करेंगे।
      • इसके अलावा, मैं जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों को विभिन्न वैश्विक NGO से जोड़ने की कोशिश करूँगा क्योंकि वे उन्हें बुनियादी आवश्यकताएँ प्रदान कर सकते हैं और वैश्विक मंच पर उनकी आवाज उठाने में और मदद कर सकते हैं।
      • अगर ये NGO उनकी उपेक्षा करते हैं, तो मैं एक राजदूत के रूप में अपनी स्थिति का लाभ उठाउँगा और अपने संपर्कों का उपयोग उन्हें पीने के पानी, भोजन और कपड़े आदि जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ प्रदान करने के लिये करूँगा ।
      • अंत में, मैं भारत में सताए गए अल्पसंख्यकों के कानूनी और त्वरित प्रवासन की सुविधा प्रदान करूँगा ।

    निष्कर्ष

    IFS अधिकारी के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों और सम्मेलनों के अनुसार कार्य करना तथा मेजबान देश की सरकार के साथ मानवाधिकारों के हनन के बारे में चिंता जताने के लिये कूटनीतिक साधनों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, अधिकारी को मेजबान सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने और भारत के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता के साथ इस ज़िम्मेदारी को संतुलित करना चाहिये।