• प्रश्न :

    प्रश्न. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रक पर डिजिटल डिवाइड के प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    27 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • डिजिटल डिवाइड के बारे में तथ्यों को संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
    • शिक्षा और स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • डिजिटल डिवाइड गैप को कम करने के लिये कुछ उपाय बताइये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    डिजिटल डिवाइड की परिभाषा में प्रायः सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) तक आसान पहुँच के साथ-साथ उस प्रौद्योगिकी के उपयोग हेतु आवश्यक कौशल को भी शामिल किया जाता है।

    इसके तहत मुख्यतः इंटरनेट और अन्य प्रौद्योगिकियों के उपयोग को लेकर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक स्तरों या अन्य जनसांख्यिकीय श्रेणियों में व्यक्तियों, घरों, व्यवसायों या भौगोलिक क्षेत्रों के बीच असमानता का उल्लेख किया जाता है।

    मुख्य भाग

    डिजिटल डिवाइड ने समाज में एक नया अंतराल आधार बनाया है जिसने विश्व स्तर पर लोगों के दैनिक कार्यों और आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इंटरनेट का पूरी तरह से उपयोग करने की क्षमता आज विभिन्न क्षेत्रों में असमानता और अलगाव पैदा कर रही है।

    डिजिटल डिवाइड का प्रभाव:

    • शिक्षा पर
      • वंचितों पर सर्वाधिक दबदबा:
        • ‘आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों’ [EWS]/वंचित समूहों [DG] से संबंधित बच्चों को अपनी शिक्षा पूरी नहीं करने का परिणाम भुगतना पड़ रहा है, साथ ही इस दौरान इंटरनेट और कंप्यूटर तक पहुँच की कमी के कारण कुछ बच्चों को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी है।
        • वे बच्चे बाल श्रम अथवा बाल तस्करी के प्रति भी सुभेद्य हो गए हैं।
      • अनुचित प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा:
        • गरीब बच्चे प्रायः ऑनलाइन मौजूद सूचनाओं से वंचित रह जाते हैं और इस प्रकार वे हमेशा के लिये पिछड़ जाते हैं, जिसका प्रभाव उनके शैक्षिक प्रदर्शन पर पड़ता है।
        • इस प्रकार इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम छात्र और कम विशेषाधिकार प्राप्त छात्रों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलता है।
      • सीखने की क्षमता में असमानता:
        • निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों के लोग प्रायः वंचित होते हैं और पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिये उन्हें लंबे समय तक बोझिल अध्ययन की स्थिति से गुज़रना पड़ता है।
        • जबकि अमीर परिवारों से संबंधित छात्र आसानी से स्कूली शिक्षा सामग्री को ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।
      • गरीबों के बीच उत्पादकता में कमी:
        • अधिकांश अविकसित देशों या ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित अनुसंधान क्षमताओं और अपर्याप्त प्रशिक्षण के कारण आधे-अधूरे स्नातक पैदा होते हैं, क्योंकि प्रशिक्षण उपकरणों की कमी के साथ-साथ इन क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी भी सीमित है।

    स्वास्थ्य:

    स्वास्थ्य सेवा में, डिजिटल डिवाइड टेलीहेल्थ केयर एक्सेस या ऑनलाइन अपॉइंटमेंट शेड्यूलर जैसे प्रबंधन सॉफ्टवेयर का उपयोग करने की क्षमता में असमानता का कारण बन सकता है।

    • विश्वसनीय स्वास्थ्य सूचना तक असमान पहुँच:
      • व्यक्तिगत स्तर पर, गलत सूचना, दुष्प्रचार और जानकारी की कमी सभी एक व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल में बाधाओं के रूप में काम करते हैं।
      • सिस्टम स्तर पर उच्च-गुणवत्ता की कमी, समय पर जानकारी केअभाव के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य समानता में अंतर बढ़ सकता है।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं में प्रतिनिधित्व का अभाव:
      • सूचना प्रणालियाँ और उनके द्वारा एकत्र किया गया डेटा अक्सर आबादी का समान रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है, उदाहरण के लिये, कमज़ोर समुदायों के सदस्यों की गणना न होना या स्वास्थ्य प्रणाली में असमानताओं का निदान करने के लिये सही डेटा एकत्र नहीं करना।
      • जब डेटा प्रतिनिधि और समावेशी नहीं होता है, तो इस डेटा का विश्लेषण और उपयोग स्वाभाविक रूप से असमान होगा।
    • स्वास्थ्य और डिजिटल साक्षरता का अभाव:
      • स्वास्थ्य साक्षरता को मौलिक स्वास्थ्य संबंधी आँकड़ों और प्रणाली को प्राप्त करने, संसाधित करने और समझने की क्षमता के रूप में वर्णित किया गया है और फिर इन्हें स्वास्थ्य संबंधी उचित निर्णय लेने के लिये लागू किया जाता है।
      • तकनीकी और वित्तीय प्रतिबंधों के साथ, स्वास्थ्य साक्षरता भी ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने के लिये प्रमुख है।
      • कुछ कारण, जैसे पहुँच और संचार की समस्याएँ, शारीरिक और मानसिक प्रतिबंध, साथ ही आयु, लिंग और साक्षरता जैसे सामाजिक कारक न केवल डिजिटल विभाजन और डिजिटल साक्षरता बल्कि स्वास्थ्य साक्षरता को भी प्रभावित करते हैं।
      • इसलिये, विश्वसनीय और भरोसेमंद स्वास्थ्य जानकारी की आवश्यकता को पूरा करने में डिजिटल उपकरणों और दृष्टिकोणों की बहुत बड़ी भूमिका है।

    डिजिटल डिवाइड को कम करने की रणनीति:

    संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों में डिजिटल डिवाइड (एसडीजी 9) को कम करना शामिल है। यही कारण है कि कई जगहों पर प्रौद्योगिकी तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिये पहल शुरू की गई हैं। जो इस प्रकार हैं:

    • डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम: यह इंटरनेट के प्रति कम रूचि वाले क्षेत्रों में लोगों को अपनी व्यक्तिगत भलाई में सुधार करने के लिये निर्देश देते हैं।
    • अफोर्डेबल इंटरनेट के लिये गठबंधन (A4AI): सरकारों, व्यवसायों और नागरिक समाज के एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के नेतृत्व में इस परियोजना का उद्देश्य अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के विशिष्ट क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड की लागत को कम करना है।
    • फ्री बेसिक्स: फेसबुक और छह अन्य प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा प्रवर्तित इस पहल का उद्देश्य एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से कई वेबसाइटों तक मुफ्त पहुँच प्रदान करना है।
    • स्टारलिंक: टाइकून एलोन मस्क द्वारा प्रवर्तित यह परियोजना, सस्ती कीमतों पर उच्च गति के इंटरनेट और वैश्विक कवरेज प्रदान करने के लिये उपग्रहों को अंतरिक्ष में लॉन्च कर रही है।

    भारतीय पहल:

    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020: इसका उद्देश्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति" बनाना है तथा शिक्षा में और सुधार करना है ताकि इसे समाज के दलित वर्ग द्वारा भी आसानी से प्राप्त किया जा सके।
    • नॉलेज शेयरिंग के लिये डिजिटल इन्फास्ट्रक्चर (DIKSHA): इसका उद्देश्य शिक्षकों को सीखने और खुद को प्रशिक्षित करने तथा शिक्षक समुदाय के साथ जुड़ने का अवसर देने के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
    • PM eVidya: यह डिजिटल/ऑनलाइन शिक्षा के लिये मल्टी-मोड एक्सेस कार्यक्रम है।
    • स्वयं प्रभा टीवी चैनल: यह टीवी नेटवर्क की एक समर्पित श्रृंखला है जो विभिन्न कक्षाओं के छात्रों के लिये पाठ्यक्रम प्रसारित करती है।

    निष्कर्ष

    डिजिटल डिवाइड गंभीर सामाजिक प्रभाव डालता है। प्रौद्योगिकी तक पहुँच की अक्षमता में मौजूदा सामाजिक बहिष्करणों को बढ़ाने और आवश्यक संसाधनों से व्यक्तियों को वंचित करने की क्षमता है। डिजिटल तकनीकों और इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के साथ, डिजिटल डिवाइड का शिक्षा, स्वास्थ्य, गतिशीलता, सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और जीवन के हर दूसरे कल्पनीय पहलू पर प्रभाव पड़ता है।

    इसलिये, समाज के विभिन्न वर्गों तक आईसीटी की भौतिक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये मौजूदा डिजिटल बुनियादी ढाँचे में सुधार करना समय की मांग है। साथ ही, वंचित समूहों को अपने दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिये प्रेरित करने की आवश्यकता है और इस तरह के बदलाव की अनुमति देने के लिये डिजिटल कौशल प्रदान करने की आवश्यकता है।