• प्रश्न :

    समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में प्रवाल भित्तियों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालिये। प्रवाल भित्तियों पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    28 Nov, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रवाल भित्तियों का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • मूंगों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    प्रवाल समुद्री अकशेरुकी या ऐसे जीव हैं जिनकी रीढ़ नहीं होती है। वे पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचनाएँ हैं।

    प्रत्येक प्रवाल/रीफ/मूंगे को पॉलीप कहा जाता है और ऐसे हज़ारों पॉलीप्स कॉलोनी बनाने के लिये एक साथ रहते हैं, जो तब बढ़ते हैं जब पॉलीप्स खुद की प्रतियाँ बनाने के लिये गुणन करते हैं

    मुख्य भाग

    महासागर पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में कोरल का महत्त्व:

    • प्रवाल भित्तियों को समुद्र के उष्णकटिबंधीय जंगलों या महासागरीय मरुस्थलों के रूप में वर्णित किया जाता है।
    • वह 25% से अधिक समुद्री जैव विविधता का समर्थन करते हैं, भले ही वे समुद्र तल का केवल 1% हिस्सा आच्छादित करते हैं।
    • प्रवाल भित्तियाँ पृथ्वी पर सबसे विविध और मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्रों में से कुछ हैं।
    • दुनिया के महासागरों में रहने वाली 500,000 जीवों की प्रजातियों में से लगभग एक चौथाई प्रवाल भित्तियों वाले क्षेत्रों में निवास करती हैं। इसके अलावा, वे किसी भी अन्य समुद्री पर्यावरण की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक प्रजातियों का समर्थन करते हैं, जिनमें मछलियों की लगभग 4,000 प्रजातियाँ, कठोर मूंगों की 800 प्रजातियाँ तथा सैकड़ों अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं।
    • जब चट्टानें क्षतिग्रस्त या नष्ट हो जाती हैं, तो इस प्राकृतिक अवरोध की अनुपस्थिति तटीय समुदायों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है और प्रचंड तूफानों से होने वाली क्षति को बढ़ा सकती है।
    • प्रवाल भित्तियों संरचनाएँ लहरों, तूफानों और बाढ़ से 97% ऊर्जा के खिलाफ तटरेखाओं को बफर करती हैं, जिससे जीवन की हानि, संपत्ति की क्षति और कटाव को रोकने में मदद मिलती है।

    प्रवाल भित्तियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:

    • मानवीय गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन और समुद्र का अम्लीकरण होता है। वैश्विक महासागर एक विशाल सिंक है जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करता है। हालाँकि इसने ग्लोबल वार्मिंग को धीमा कर दिया है, यह महासागर रसायन विज्ञान को भी बदल रहा है।
    • उनके आर्थिक और मनोरंजक मूल्य के बावजूद, प्रवाल भित्तियों को प्रदूषण, बीमारी और आवास के विनाश का गंभीर खतरा है। एक बार प्रवाल भित्तियों के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद, वह उन जीवों का समर्थन करने में कम सक्षम होते हैं जो उनमें और उनके आस-पास के समुदायों में रहते हैं। प्रवाल भित्तियों पर विभिन्न अन्य प्रभाव इस प्रकार हैं:
      • महासागरों का लगातार गर्म होना: यह थर्मल तनाव का कारण बनता है जो कोरल ब्लीचिंग और संक्रामक बीमारी में योगदान देता है।
      • समुद्र के स्तर में वृद्धि: यह तलछट के भूमि आधारित स्रोतों के पास स्थित भित्तियों के अवसादन में वृद्धि का कारण बन सकता है। अवसादों का तीव्र प्रवाह प्रवाल के नष्ट होने का कारण बन सकता है।
      • तूफान के पैटर्न में बदलाव: मजबूत और लगातार आ रहे तीव्र तूफान प्रवाल भित्तियों के विनाश का कारण बन सकता है।
      • अवक्षेपण में परिवर्तन: ताजे पानी, तलछट और भूमि आधारित प्रदूषकों के अपवाह में वृद्धि, एल्गी की वृद्धि में योगदान करती है जिससे जल की सतह के अंदर कम प्रकाश पहुँच पाता है और वनस्पति अपना भोज नहीं बना पाते हैं ।
      • परिवर्तित महासागरीय धाराएँ: यह तापमान व्यवस्था के परिवर्तन को बढ़ावा देती है जो कोरल के लिये भोजन की कमी की समस्या उत्पन्न करती है और कोरल लार्वा के फैलाव को बाधित करती है।
      • महासागर अम्लीकरण (बढ़ी हुई CO2 का परिणाम): यह पीएच स्तर में कमी का कारण बनता है जो प्रवाल वृद्धि और संरचनात्मक अखंडता को कम करता है।

    निष्कर्ष

    बहरहाल, जलवायु परिवर्तन हमारे पूरे महासागर तंत्र के लिये एक गंभीर चुनौती है, लेकिन यह हमारे लिये नया करने और अनुकूलन करने का एक अवसर भी है। हमें जलवायु-स्मार्ट नागरिक, राज्य, देश, विश्व बनने के लिये मिलकर काम करना चाहिये और आवश्यक तकनीकी नीति के साथ-साथ निवेश समाधानों का समर्थन करना चाहिये, जिसकी हमारे समुद्री जीवन और महासागर पारिस्थितिकी तंत्र को पहले कभी आवश्यकता नहीं थी।