• प्रश्न :

    प्रश्न. मान लीजिए कि आप वृद्ध और निराश्रित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिये एक सामाजिक सेवा योजना को लागू करने हेतु प्रभारी अधिकारी हैं। योजना का लाभ लेने के लिये एक बूढ़ी और अनपढ़ महिला आपके पास आती है। हालाँकि, उसके पास यह दिखाने के लिये कोई दस्तावेज नहीं है कि वह पात्रता मानदंड को पूरा करती है। लेकिन उससे मिलने और उसकी बात सुनने के बाद आपको लगता है कि जरूर सहारे की बहुत ज़रूरत है। आपकी पूछताछ से यह भी पता चलता है कि वह वास्तव में बेसहारा है और दयनीय स्थिति में रह रही है। आप दुविधा में हैं कि क्या करें। उसे बिना आवश्यक दस्तावेजों के योजना का पात्र बनाना स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन होगा। लेकिन उसे इस योजना से वंचित करना क्रूर और अमानवीय होगा।

    1. क्या आप इस दुविधा को हल करने के लिये तर्कसंगत तरीके से सोच सकते हैं?
    2. इसके लिये उपयुक्त दलील दीजिये।

    04 Nov, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नैतिक मुद्दे की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • मामले में शामिल विभिन्न हितधारकों और नैतिक दुविधाओं के बारे में चर्चा कीजिये।
    • समस्या को हल करने के लिये संभावित विकल्पों का सुझाव दीजिये।
    • अंत में, कारण बताते हुए इस दुविधा को हल करने के लिये एक तर्कसंगत तरीका बताइये।

    परिचय:

    उपरोक्त मामला एक अधिकारी के सामने आने वाली दुविधा को दर्शाता है जो एक सामाजिक सेवा योजना को लागू कर रहा है तथा जिसका उद्देश्य बूढ़ी और निराश्रित महिलाओं की मदद करना है। योजना दिशा-निर्देश उन दस्तावेजों को निर्दिष्ट करते हैं जिन्हें आवेदकों को अपनी पात्रता सत्यापित करने के लिये प्रस्तुत करना होता है। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान एक आवेदक कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने में असमर्थ है, तो अधिकारी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई क्या होगी।

    प्रारूप:

    शामिल नैतिक मुद्दे:

    • निष्पक्षता और करुणा के बीच संघर्ष।
    • विवेक का संकट।
    • सार्वजनिक निधियों को इच्छित उद्देश्य के लिये उपयोग करने हेतु प्रत्ययी उत्तरदायित्व।
    • नियम पुस्तिका का पालन करने की व्यावसायिक ज़िम्मेदारी।

    मामले में शामिल हितधारक निम्नानुसार हैं:

    • प्रभारी अधिकारी के रूप में स्वयं मैं।
    • लक्षित लाभार्थी जैसे वृद्ध और निराश्रित महिलाएँ।
    • बड़े पैमाने पर समाज।
    • गैर सरकारी संगठन।
    • स्थानीय सरकार/विधायक।

    शामिल नैतिक दुविधाएँ हैं :

    कानून का नियम बनाम मानवता: केस स्टडी में अधिकारी को यह चुनने की दुविधा है कि वह क्या करे जिससे उपयुक्त परिणाम निकल पाए। अगर वह कानून का शासन चुनता है तो मानवता को नुकसान होगा और अगर वह मानवता को चुनता है तो कानून के शासन की अवेहलना होगी और उसका पेशेवर कर्त्तव्य बाधित होगा।

    सार्वजनिक कर्त्तव्य और निजी नैतिकता के बीच हितों का टकराव: केस स्टडी अधिकारी के सार्वजनिक कर्त्तव्य और ज़रूरतमंद व्यक्ति के प्रति उसकी निजी नैतिक ज़िम्मेदारी के बीच संघर्ष को दर्शााती है।

    कार्रवाई के परिणाम:

    1. दस्तावेजों के बिना योजना में शामिल करने की अनुमति देना:

    • लाभ: जैसा कि मैकियावेली ने कहा कि साधन महत्त्वपूर्ण नहीं हैं, इसलिये लाभार्थी को शामिल करने से के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने जो कि बूढ़ी महिलाओं का हित है, में मदद मिलेगी।
      • वृद्ध महिलाओं को शामिल करने से मानवता की सेवा को बढ़ावा मिलेगा।
      • इसके अलावा, लाभार्थियों में से कोई भी नहीं छोड़ा जाएगा, यह गांधी के सर्वोदय के अनुरूप है
    • हानि: सभी लाभार्थियों को शामिल करने की कार्रवाई की विभागीय जाँच हो सकती है।
      • भविष्य में पदोन्नति के लिये हानिकारक हो सकता है।

    2. वृद्ध महिला को समर्थन देने से इनकार करना (नियमों के आधार पर):

    • लाभ: गांधी की सात पाप की संकल्पना के अनुसार साधन भी महत्त्वपूर्ण हैं।
      • यह कानून के शासन को बनाए रखेगा।
      • यह सभी लाभार्थियों के मध्य समानता को बढ़ावा देगा।
    • हानि: वृद्ध महिला को योजना में शामिल न करने की कार्रवाई मानवता के खिलाफ जाएगी।
      • चूँकि सामाजिक कल्याण मूलभूत आवश्यकता है, इसके अलावा, यह आलोचना और मीडिया परीक्षण की ओर ले जाएगा।

    3. उसे योजना में शामिल करना और साथ ही उसके दस्तावेजों की व्यवस्था करना:

    • लाभ: बुद्ध के अनुसार साधन और साध्य दोनों महत्त्वपूर्ण हैं, इसलिये यह संतुलित दृष्टिकोण सबसे उपयुक्त होगा।
    • हानि: इस बीच, दस्तावेज़ सत्यापन में समय लग सकता है और इससे ज़रूरतमंदों को लाभ प्रदान करने में देरी होगी।
      • इसके अलावा, कार्यान्वयन अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी समर्थन से इनकार कर सकते हैं और अधिकारी के खिलाफ साजिश कर सकते हैं क्योंकि अधिकारी रिले बुक का पालन नहीं कर रहा है।

    निष्कर्ष:

    • तीसरा विकल्प उपरोक्त मामले में कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका होगा, क्योंकि यह योजना में उसे शामिल करके और साथ ही उसके दस्तावेजों की व्यवस्था करके कार्यान्वयन अधिकारी के सार्वजनिक कर्त्तव्यों और निजी नैतिक हितों का ख्याल रखता है।
    • यदि उसे योजना में शामिल करना संभव नहीं है तो उसके दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक उसकी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में स्थानीय गैर सरकारी संगठनों की मदद लेनी चाहिये।