• प्रश्न :

    प्रश्न. न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांत (जस्ट वॉर थ्योरी) से आप क्या समझते हैं?

    06 Oct, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • विभिन्न न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांत (जस्ट वॉर थ्योरी) के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • जूस एड बेलम , जूस इन बेल्लो और जूस पोस्ट बेलम जैसे दृष्टिकोणों पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये ।

    परिचय:

    न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांत को तीन श्रेणियों- जूस एड बेलम, जूस इन बेल्लो और जूस पोस्ट बेलम में विभाजित किया गया है जिनमें से प्रत्येक के अपने नैतिक सिद्धांत हैं। ये लैटिन शब्द प्रमुख रुप से 'युद्ध के प्रति न्याय', 'युद्ध के दौरान न्याय' और 'युद्ध के बाद न्याय' से संबंधित हैं।

    मुख्य भाग:

    जूस एड बेलम: जब राजनेता युद्ध करने के बारे में निर्णय लेते हैं तो इस सिद्धांत के अनुसार उन्हें कई सिद्धांतों के आधार पर अपने निर्णय का परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।

    • विपरीत परिस्थितियों में (Just Cause): इसके तहत युद्ध केवल गंभीर परिस्थितियों की प्रतिक्रिया में ही किया जाना चाहिये। इसका सबसे आम उदाहरण आत्मरक्षा है, हालाँकि किसी निर्दोष राष्ट्र की रक्षा को भी कई लोगों द्वारा इसके तहत उचित कारण के रूप में देखा जाता है।
    • नैतिक इरादा (Right Intention): इसके तहत युद्ध के समय राजनेताओं को व्यक्तिगत स्तर पर पूरी तरह से युद्ध के न्यायसंगत होने के प्रति प्रेरित होना चाहिये। उदाहरण के लिये, भले ही किसी निर्दोष देश की रक्षा में युद्ध छेड़ा गया हो लेकिन ऐसे में नेता युद्ध का सहारा नहीं ले सकते क्योंकि यह उनके पुन: चुनाव अभियान में सहायता करेगा।

    जूस इन बेल्लो: यह युद्ध के दौरान न्यायपूर्ण आचरण से संबंधित है।

    युद्ध के दौरान केवल वैध लक्ष्यों पर ही हमला करना चाहिये। उदाहरण के लिये- नागरिक, चिकित्सक और सहायताकर्मी, सैन्य हमले के वैध लक्ष्य नहीं हो सकते हैं। हालाँकि इस सिद्धांत के अनुसार, सैन्य हमले में आवश्यक और आनुपातिक दृष्टिकोण से नैतिक होने पर कुछ हद तक नागरिकों का मारा जाना भी अनुमेय हो सकता है।

    जूस पोस्ट बेलम:

    • यह युद्ध समाप्ति के चरण के दौरान न्याय को संदर्भित करता है। इसमें युद्ध को समाप्त करने और युद्ध से शांति की ओर सुचारू रूप से स्थानांतरित होने के तरीके शामिल हैं, अंतरराष्ट्रीय कानून शायद ही इस क्षेत्र से संबंधित होते हैं हालाँकि इसमें निम्नलिखित सिद्धांतों का उल्लेख किया जा सकता है।
      • भेदभाव: शांति समझौते में पराजित राष्ट्र के नेताओं और सैनिकों को उसके नागरिकों से अलग करके देखा जा सकता है।
      • मुआवज़ा: पराजित राष्ट्र के वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिये हमलावर राष्ट्र पर एक उचित और निष्पक्ष वित्तीय शुल्क लगाया जा सकता है।

    निष्कर्ष:

    न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांत से सैद्धांतिक और व्यावहारिक नैतिकता के बीच अंतर में कमी आती है क्योंकि इसके तहत युद्ध की व्यावहारिकताओं को समझने के लिये मेटा-नैतिक स्थितियों और मॉडलों पर विचार करने के साथ-साथ इसकी तार्किकता पर विचार किया जाता है। यह सिद्धांत राष्ट्र-राज्यों को अपनी शक्ति के उपयोग और नियंत्रण के विनियमन के माध्यम से राष्ट्रीय हित बनाये रखने में सहयता करते हैं।