• प्रश्न :

    मान लीजिये आप किसी ज़िले के पुलिस अधीक्षक हैं। राज्य ने पिछले कुछ महीनों में सांप्रदायिक दंगों में वृद्धि का अनुभव किया है। हाल ही में एक छोटे से गाँव में एक घटना घटी। मिट्टी के घरों में आग लगा दी गई। गीता और उसकी बेटी रूपा, जो साढ़े तीन साल की थी, हिंसा भड़कने के बाद गाँव से भाग गई।

    जैसे ही वे पास के एक गाँव में पहुँचे, उन पर लोगों के एक समूह ने हमला कर दिया। गीता और उसकी बेटी के साथ बेरहमी से बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई तथा स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया क्योंकि दो पुलिस स्टेशन उस क्षेत्र से लगे हुए हैं जहाँ शव पाए गए थे।

    गाँव के स्थानीय लोग और मृतक के परिजन विरोध कर रहे हैं और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं और मज़बूत राजनीतिक समर्थन से अपराधी की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। हालाँकि, आपका वरिष्ठ आपको कॉल करता है और आपसे सच छुपाने इसे और विकृत करने के लिये कहता है।

    (a) इस मुद्दे में शामिल हितधारकों और विभिन्न आयामों की पहचान कीजिये।

    (b) पुलिस अधीक्षक के रूप में स्थिति का प्रबंधन करने के लिये आपके द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी? बलात्कार को रोकने के लिये उठाए जा सकने वाले उपायों की पहचान कीजिये। (250 शब्द)

    09 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    मामले में शामिल तथ्य 

    शामिल हितधारक 

    मूल्य 

    • हाल के दिनों में सांप्रदायिक दंगों का प्रसार। 
    • गीता और उसकी बेटी रूपा का अपने गाँव से भागना। 
    • दुष्कर्म और हत्या का मामला। 
    • स्थानीय पुलिस द्वारा FIR दर्ज न किया जाना। 
    • अपराधी की गिरफ्तारी के लिये सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन। 
    • सच्चाई को विकृत करने का अत्यधिक दबाव। 
    • गीता और रूपा 
    • स्थानीय समुदाय 
    • अपराधी (मज़बूत राजनीतिक समर्थन के साथ) 
    • स्वयं (पुलिस अधीक्षक- SP) 
    • पूरा ज़िला प्रशासन 
    •  निष्पक्षता 
    • नेतृत्व 
    •  न्याय 
    • अहिंसा 
    • ईमानदारी 
    • अपक्षपात 
    • प्रतिसंवेदनशीलता 
    • उत्तरदायित्व 
    • दया 

    • नैतिक दुविधा: एक नैतिक दुविधा (नीतिगत विरोधाभास या नैतिक दुविधा) दो संभावित विकल्पों के बीच निर्णय लेने की प्रक्रिया में आने वाली एक समस्या है, जिनमें से कोई भी नैतिक परिप्रेक्ष्य से बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।   
      • व्यक्तिगत बनाम पेशेवर नैतिकता: सत्य को विकृत करने या अपराधी के खिलाफ निष्पक्ष रूप से कानूनी कार्रवाई करने में कानून का पालन करने के लिये वरिष्ठ के निर्देशों का पालन करना। 
      • दोषसिद्धि का साहस बनाम वरिष्ठ का आदेश: यदि वह बिना किसी कारण या तर्क के अपने वरिष्ठ/सीनियर के आदेश का पालन करता है तो इससे न्याय के मूल्य की क्षति होगी और यदि वह स्वयं जाँच के लिये जाएगा तो यह वरिष्ठ के आदेश के खिलाफ होगा। 

    उपलब्ध विकल्प: 

    विकल्प 

    गुण  

    दोष  

     

    • उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन 
    • मानक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना। 
    • इससे वरिष्ठों के सामने उसकी साख और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और पदोन्नति की अच्छी संभावनाएँ हैं।  
    • न्याय और निष्पक्षता के मूल्य की प्राप्ति की दिशा में यह सही कदम होगा। यह अपराध के पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने में मदद करेगा और एक ईमानदार तथा ज़िम्मेदार लोक सेवक के कर्त्तव्य को पूरा करेगा।  
    • हालांकि वरिष्ठ के आदेश का पालन करना आचार संहिता के अंतर्गत आता है और इसका पालन नहीं करने पर इसका उल्लंघन होगा लेकिन संहिता सार्वजनिक न्याय सुनिश्चित करने के लिये है, इसे विकृत करने के लिये नहीं है। यदि वरिष्ठों के आदेश राजनीतिक आकाओं से प्रभावित होते हैं तो इससे जनहित और न्याय की हानि होगी। 
    • यह अपने वरिष्ठों के सामने अधिकारी की छवि को खराब कर सकता है और संभावना है कि पूरा विभाग उसके खिलाफ खड़ा होगा तथा यह भी संभावना है कि वह निलंबित हो जाएगा। 

    कार्रवाई के दौरान उठाए जा सकने वाले कदम: 

    उठाए जा सकने वाले विभिन्न कदम 

    कारण  

    • FIR दर्ज करना 
    • प्रारंभिक जाँच शुरू करना और तथ्यों की पुष्टि करना। 
    • ग्रामीणों व परिजनों को निष्पक्ष जाँच कराने का आश्वासन देना। 
    • रेप के खिलाफ जागरूकता अभियान की शुरुआत 
    • सांप्रदायिक हिंसा को कम करने के लिये कार्रवाई। 
    • एक लोक सेवक होने के नाते यह मेरी मुख्य ज़िम्मेदारी है कि पीड़ितों को न्याय मिले और FIR दर्ज करना उस दिशा में पहला कदम है। 
    • FIR दर्ज करने के बाद, मैं मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिये और दोषियों को सजा मिले यह सुनिश्चित करने के लिये विस्तृत जाँच करूँगा।  
    • जाँच शुरू करने से पहले मुझे आम लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह निष्पक्ष होगा और प्रशासन पर उनका भरोसा बरकरार रखने के लिये तथ्यों पर आधारित होगा।  
    • भारतीय समाज में सेक्स और बलात्कार जैसे विषयों पर चर्चा आज भी वर्जित मानी जाती है। एक बलात्कार पीड़िता सामाजिक बहिष्कार का शिकार हो जाती है और उनमें से ज्यादातर खुद को सार्वजनिक शर्म से बचाने के लिये आत्महत्या कर लेते हैं। इस प्रकार, मैं बलात्कार पीड़ितों की दुर्दशा के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने और उन्हें बलात्कार पीड़ितों के बारे में जागरूक करने के लिये स्थानीय मीडिया और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों जैसे चैनलों का उपयोग करूँगा। 
    • समाज में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिये मैं भीड़ को दंगों के लिये उकसाने वाले प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार करूँगा और उन पर आर्थिक दंड लगाऊंगा। यह भीड़ के अन्य नेताओं को दंगा भड़काने से हतोत्साहित करेगा और दंगा रोकने में मदद करेगा।