• प्रश्न :

    माइव्रोबियल फ्यूल सेल क्या होते हैं? विभिन्न क्षेत्रों में इनके संभावित अनुप्रयोग की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    29 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • माइक्रोबियल फ्यूल सेल का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • विभिन्न क्षेत्रों में इनके अनुप्रयोगों को बताइये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    माइक्रोबियल फ्यूल सेल एक ऐसी जैव-रासायनिक वैद्युत प्रणाली है जो कि सूक्ष्म जीवों की क्रिया द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है। इस प्रकार के सेल में जीवाणुओं का प्रयोग एक उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है जो कि कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण करते हैं जिससे अंतत: विद्युत धारा उत्पन्न होती है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अनुसार जीवाणु द्वारा उत्पादित इलेक्ट्रॉनों को एनोड तथा कैथोड के बीच प्रवाहित कर विद्युत धारा की उत्पत्ति की जाती है।

    माइक्रोबियल फ्यूल सेल का अनुप्रयोग विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- विद्युत उत्पादन, बायो-रिकवरी, अपशिष्ट जल उपचार आदि में निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-

    • विद्युत उत्पादन हेतु माइक्रोबियल फ्यूल सेल महत्त्वपूर्ण हैं; कम विद्युत आवश्यकता वाले परिपथों, जहाँ बैटरी की आवश्यकता अव्यावहारिक होती है, वहाँ माइक्रोबियल फ्यूल सेल का उपयोग किया जा सकता है।
    • प्रायोगिक स्तर पर माइक्रोबियल फ्यूल सेल का उपयोग अपशिष्ट जलधाराओं की निगरानी के लिये बायोसेंसर, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जा रहा है।
    • इसका प्रयोग अपशिष्ट जल उपचार के लिये किया जाता है तथा इसका प्रयोग स्वच्छ ऊर्जा ईंधन जैसे हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु भी किया जा सकता है।
    • यह उभरती हुई प्रौद्योगिकी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से जुड़े पर्यावरणीय तनाव को भी कम कर सकती है तथा ऊर्जा संकट को कम करने में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है।
    • यह एकमात्र ऐसी तकनीक है जो कि बिना किसी बाहरी ऊर्जा इनपुट के कचरे से ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है जो कि दुर्गम क्षेत्रों में ऊर्जा उत्पादन हेतु महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है।

    इस प्रकार देखा जाए तो माइक्रोबियल फ्यूल सेल तकनीक भविष्य में सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में अत्यधिक सहायक सिद्ध हो सकती है किंतु अभी भी यह तकनीक अपने शुरुआती चरण में है। इसके लिये पर्याप्त वित्तीयन व अनुसंधान किये जाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में वांछित लाभों की प्राप्ति की जा सके।