• प्रश्न :

    सिविल सेवा के संदर्भ में निम्नलिखित पदों की प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिये: (150 शब्द)

    (i) सत्यनिष्ठा / Integrity
    (ii) निष्पक्षता / Impartiality
    (iii) वस्तुनिष्ठता / Objectivity
    (iv) सहिष्णुता / Tolerance

    02 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रत्येक पद को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
    • सिविल सेवा में इनकी प्रासंगिकता को कारण सहित बताइये।
    • जहाँ आवश्यक हो, उपयुक्त उदाहरण दीजिये।

    1. सत्यनिष्ठा: सत्यनिष्ठा को ईमानदारी का पर्याय माना जाता है। किसी व्यक्ति के सिद्धांत आपस में सुसंगत होने चाहियें। इसी के साथ उसके सिद्धांतों व आचरण में सुसंगति होनी चाहिये तथा असंगति की स्थिति में उसके सिद्धांतों में सोपानव्रम भी होना चाहिये। दूसरे शब्दों में, व्यक्ति के नैतिक सिद्धांत व उसके कार्य संगत अवस्था में होने चाहियें। यह प्रव्रिया ईमानदार होने के साथ ही मज़बूत नैतिक सिद्धांतों तथा मूल्यों का पालन करते हुए निरंतर कार्य करने की प्रव्रिया को संदर्भित करती है।

    एक सिविल सेवक में निम्न कारणों से सत्यनिष्ठा का होना आवश्यक है-

    • जनता एवं उससे संबंधित मुद्दों के निष्पक्षतापूर्वक, कुशलतापूर्वक एवं संवेदनशील तरीके से निपटान हेतु।
    • नागरिकों के कल्याण के लिये सार्वजनिक संसाधनों एवं उन्हें सौंपे गए वित्त का प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु।
    • ज़मीनी स्तर पर कानून को लागू करने एवं न्याय के प्रशासन को बनाए रखने के लिये। उदाहरण के लिये श्री अशोक खेमका ने एक सिविल सेवक के रूप में लोक सेवा के प्रति अतुलनीय सत्यनिष्ठा एवं समर्पण दिखाया, किंतु इस तथ्य के बावजूद उनके सेवाकाल में उनका 50 से अधिक बार स्थानांतरण हुआ है।
    • एक लोक सेवक, जिसके पास सत्यनिष्ठा का अभाव है, सार्वजनिक सेवा के ऊपर व्यक्तिगत लाभों को वरीयता देता है तथा प्रशासन की गुणवत्ता से समझौता करता है।

    2. निष्पक्षता: इसका तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत हितों को वरीयता दिये बिना निस्स्वार्थ भाव से कार्य करने से है। इसका तात्पर्य सभी को समान रूप से और समान भावना से अपनी सेवाएँ देने से है। एक अधिकारी को किसी व्यक्ति विशेष या हित विशेष के पक्ष में अनुचित उपकार या भेदभावपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिये, उदाहरण के लिये आई.पी.एस. अधिकारी श्रीलेखा का ‘रेड श्रीलेखा’ उपनाम पड़ा। ऐसा उपनाम उन सी.बी.आई. टीमों का हिस्सा रहने के लिये दिया गया, जो कि प्रभावशाली व्यक्तियों के परिसरों में छापे मारने से नहीं घबराते हैं। निष्पक्षता लोक सेवा का हृदय-स्थल तथा सिविल सेवकों की प्रतिबद्धताओं का मूल बिंदु है। एक सिविल सेवक को निष्पक्ष होना चाहिये तथा उसे राष्ट्रीयता, जाति, धर्म या राजनीतिक दृष्टिकोण के आधार पर कार्य करने वाला नहीं होना चाहिये। एक निष्पक्ष सिविल सेवक निम्न बिंदुओं को सुनिश्चित करता है-

    • प्रभावी रूप में सेवा वितरण।
    • जब लोकतांत्रिक प्रव्रियाएँ नए प्रशासन के रूप में परिणत होती हैं, तब यह कानूनी एवं संवैधानिक संव्रमण को सुनिश्चित करता है।
    • संसाधनों का उचित प्रबंधन एवं सरकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन।

    3. वस्तुनिष्ठता: यह एक अधिकारी को निर्णयन प्रव्रिया में व्यक्तिगत मान्यताओं, विश्वासों, जाति, धर्म, नस्ल आदि से तटस्थ रहने की अपेक्षा को दर्शाता है। इसका तात्पर्य है कि निर्णय लेने की स्थिति में अपनी भावनाओं, पूर्वाग्रहों एवं धारणाओं से पूर्णत: अलग रहना।

    • सार्वजनिक जीवन में किसी अन्य कारक से निरपेक्ष रहते हुए लोगों को समान परिस्थिति में समान उपचार (सेवा) देना ही निष्पक्ष होना है। उदाहरण के लिये, एक आई.पी.एस. अधिकारी यौन उत्पीड़न के मामले में सभी पहलुओं का विश्लेषण किये बगैर किसी पूर्वाग्रह के कार्य करता है तथा उसके आधार पर उचित निर्णय लेता है।

    4. सहिष्णुता: यह हमारी समृद्ध विविधता को सम्मान देने एवं उसको स्वीकृति देने, मानव होने के नाते हमारी अभिव्यक्ति के तरीकों को सराहना देने का पर्याय है। यह उन व्यक्तियों को भी स्वीकार करने का तरीका है, जिनके विचार और विश्वास हमारे अनुरूप नहीं हैं। यह ज्ञान, खुलापन, संवाद तथा विचार, विवेक एवं विश्वास की स्वतंत्रता से प्रेरित है। उदाहरण के लिये, समाज के कमज़ोर वर्गों हेतु नीतियाँ बनाते समय एक नीति-निर्माता को ‘सभी के कल्याण’ के लिये अपने व्यक्तिगत विचारों को इसके मार्ग में न आने देने के लिये पर्याप्त सहिष्णु होना चाहिये।

    सहिष्णु होना सिविल सेवकों के लिये निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है-

    • संविधान की मूल अवसंरचना में उल्लिखित।
    • मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिये।
    • प्राकृतिक अधिकारों को बनाए रखने हेतु।
    • धमकी देने, ज़बरदस्ती करने तथा उत्पीड़क प्रवृत्तियों को रोकने हेतु।
    • दूसरों के प्रति सम्मान, ज्ञान, खुलापन, समाज के विभिन्न वर्गों में संवाद स्थापित करने जैसे गुणों के विकास में।

    सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, गैर-तरफदारी, वस्तुनिष्ठता तथा सहिष्णुता सिविल सेवा के आधारभूत मूल्य हैं, इसलिये इन मूल्यों का विकास एक कुशल एवं लोककेंद्रित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के विकास में अतिआवश्यक है।