• प्रश्न :

    आपकी दृष्टि में, भारत में कार्यपालिका की जवाबदेही को निश्चित करने में संसद कहाँ तक समर्थ है? (150 शब्द)

    17 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    भारतीय संविधान में ब्रिटेन की तर्ज पर संसदीय प्रणाली की व्यवस्था की गई है। इसके अंतर्गत कार्यपालिका प्रत्यक्ष रूप से विधायिका के निचले सदन के प्रति उत्तरदायी होती है।

    संवैधानिक प्रावधानों, संसदीय संचालन के नियमों व परंपराओं के अंतर्गत विभिन्न नियंत्रण के उपकरणों द्वारा विधायिका कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। ये उपकरण निम्नलिखित हैं :

    • कार्यपालिका (अर्थात्-मंत्रिपरिषद) का अस्तित्व तब तक ही है, जब तक लोकसभा को उसमें विश्वास है। अत: विश्वास मत नियंत्रण का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
    • विभिन्न संसदीय प्रक्रियाओं, यथा- प्रश्न काल, शून्य काल आदि के माध्यम से भी कार्यपालिका पर नियंत्रण रखा जाता है।
    • विभिन्न संसदीय समितियों के माध्यम से भी विधायिका द्वारा कार्यपालिका का नियंत्रण किया जाता है।
    • बजट प्रक्रिया के दौरान विभिन्न वित्तीय समितियों के ज़रिये भी विधायिका कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।

    इसके बावजूद निम्नलिखित कारणों से कार्यपालिका पर विधायिका का प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाता है-

    • लोकसभा में सशक्त बहुमत वाली सरकारों पर विश्वास मत के ज़रिये नियंत्रण रख पाना बेहद जटिल हो जाता है।
    • कार्यपालिका पर प्रभावी नियंत्रण हेतु आवश्यक विशेषज्ञता सामान्यत: विधायिका के पास नहीं होती है।
    • अध्यादेशों की बढ़ती बारंबारता से भी विधायिका की प्रभावशीलता कम हुई है।
    • ‘गिलोटिन’ के बढ़ते उपयोग ने बजट प्रक्रिया के दौरान भी विधायिका की भूमिका को सीमित किया है।
    • हालिया समय में संसद में सशक्त व जागरूक विपक्ष की अनुपस्थिति के कारण भी विधायिका के कार्यपालिका पर नियंत्रण को क्षति पहुँची है।

    भारतीय संविधान शासन के तीनों अंगों के मध्य प्रतिसंतुलन (Checks & Balances) की व्यवस्था करता है। यदि यह संतुलन बिगड़ता है, तो यह संवैधानिक आदर्शों पर चोट की तरह होगा। अत: विधायिका द्वारा कार्यपालिका पर समुचित व प्रभावी नियंत्रण के प्रयास निरंतर किये जाने चाहिये।