• प्रश्न :

    सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम एक पथ-प्रदर्शक कानून है जो गोपनीयता के अंधेरे से पारदर्शिता की ओर बढ़ने का संकेत देता है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)

    15 Feb, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सूचना के अधिकार का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • आर.टी.आई. की पृष्ठभूमि को बताइये।
    • आर.टी.आई. अधिनियम के महत्त्व को बताइये।
    • इसके मार्ग में आने वाली चुनौतियों को भी बताइये।
    • चुनौतियों का समाधान करने वाले उपायों के साथ निष्कर्ष लिखिये।

    सूचना का अधिकार अधिनियम स्वतंत्र भारत में पारित सबसे सशक्त एवं प्रगतिशील विधानों में से एक है। यह प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण के काम में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देकर नागरिकों को सशक्त बनाता है। यह लोक अधिकारियों में दक्षता बढ़ाता है, भ्रष्टाचार को कम करता है तथा सुशासन को बढ़ावा देता है।

    वस्तुत: आर.टी.आई. को वैधानिक रूप प्रदान करने से पूर्व भारत में प्रशासन में कई अस्पष्टताएँ विद्यमान थीं, जिन्होंने भारत को गोपनीयता के अँधेरे में जकड़ा हुआ था तथा भारत में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया था। भारत में वर्ष 1923 के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के बाद से ही सार्वजनिक प्राधिकरणों में सूचना के प्रकटीकरण को नियंत्रित किया गया, जिसने प्रशासन में गोपनीयता एवं अपारदर्शिता को प्रोत्साहित कर दिया। इससे भारत में लोगों के बीच सरकार के प्रति अविश्वास में वृद्धि हुई तथा लोकतंत्र में पारदर्शिता के मूल्यों का ह्रास हुआ।

    वर्ष 2005 में आर.टी.आई. अधिनियम के पारित होने के बाद पारंपरिक अपारदर्शी शासन व्यवस्था में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए। इसने न केवल नागरिकों के लिये एक पारदर्शी वातावरण तैयार किया, बल्कि उन्हें विभिन्न तरीकों से सशक्त भी किया, जैसे-

    • आर.टी.आई. सार्वजनिक सूचनाओं तक नागरिकों की पहुँच उपलब्ध कराता है तथा शासन में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ अधिकारियों में जवाबदेही का भी सृजन करता है।
    • आर.टी.आई. नागरिकों तक सूचना की आसान पहुँच सुनिश्चित कर नागरिक केंद्रित शासन को बढ़ावा देता है तथा सहभागी लोकतंत्र को मूर्तरूप प्रदान करता है।
    • नागरिक सामाजिक संगठन तथा मीडिया आर.टी.आई. का प्रयोग करके शासन में भ्रष्टाचार में कमी लाने का कार्य करते हैं।
    • आर.टी.आई. के दायरे में आने के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पेंशन, सड़क निर्माण, बिजली कनेक्शन तथा दूरसंचार क्षेत्र में पारदर्शिता आई है।
    • लोक सेवकों में ईमानदारी, जवाबदेही जैसे गुणों के विकास में भी आर.टी.आई. ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

    उपर्युक्त महत्त्व के साथ-साथ इस अधिनियम के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं, जिन्हें निम्नवत् देखा जा सकता है-

    • ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों में सूचना के अधिकार के संबंध में जनजागरूकता का अभाव है।
    • सूचना के उचित प्रबंधन, प्रसार एवं भण्डारण के लिये बेहतर प्रणाली का अभाव।
    • आर.टी.आई. अनुरोधों का निपटान करने में लोक सूचना अधिकारियों (PIO) की अक्षमता।
    • नौकरशाही की विकृत प्रकृति, जो कि सूचना चाहने वालों को गोपनीयता संबंधी मानकों का हवाला देकर सूचना देने से बचती है।

    उपर्युक्त चुनौतियों का समाधान करने हेतु मुख्य सुझाव-

    • ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों में आर.टी.आई. शिक्षा एवं जनजागरूकता संबंधी अभियान छेड़कर।
    • लोक सेवकों को सूचना के स्वैच्छिक प्रकटीकरण के व्यवहार को प्रदर्शित करना चाहिये।
    • गोपनीयता के प्राचीन जड़ कानूनों की समाप्ति।
    • सूचना चाहने वालों की पहचान को गोपनीय रखकर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करके।

    इस प्रकार देखा जाए तो सूचना का अधिकार किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र की नींव होती है, जो कि नागरिकों तक सार्वजनिक सूचनाओं का अबाध प्रवाह सुनिश्चित करके पारदर्शी, जवाबदेह, जनकेंद्रित शासन को बढ़ावा देकर सहभागी लोकतंत्र की अवधारणा को मूर्त करता है।