• प्रश्न :

    भारत में राजकोषीय संघवाद को बनाए रखने में वित्त आयोग की भूमिका का आकलन कीजिये। क्या आप इसे स्थायी दर्जा दिया जाने से सहमत हैं? (250 शब्द)

    08 Feb, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • वित्त आयोग का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • देश में राजकोषीय संघवाद बनाए रखने और इसे मज़बूती प्रदान करने में इसकी भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।
    • स्थायी दर्जा दिये जाने से संबंधित निहितार्थों की चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है, राजकोषीय संघवाद जिसके केंद्र में है। यह अनुच्छेद-280 के अंतर्गत स्थापित संस्था है, जिसका प्रमुख कार्य राज्य व केंद्र के वित्त की स्थिति का मूल्यांकन करना है, उनके मध्य राजस्व बँटवारे की सिफारिश करना तथा राज्यों के मध्य राजस्व बँटवारे के संबंध में सिद्धांतों को आरोपित करना है।

    इसका कार्य सरकारों को सभी स्तरों पर विस्तृत व गहन परामर्श प्रदान करना है, लोक व्यय की गुणवत्ता में सुधार व राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा देने हेतु अनुशंसाएँ प्रदान करना है ताकि राजकोषीय संघवाद के सिद्धांत को मज़बूती प्रदान की जा सके। भारत में राजकोषीय संघवाद को बनाए रखने में सहायता हेतु वित्त आयोग के निम्न कार्य हैं-

    • राजस्व की शुद्ध आगतों, जो केंद्र व राज्य के बीच बाँटी जानी हैं, को आवंटित करना तथा ऐसी आगतों का आवंटन संबंधित राज्यों में करना।
    • जिन राज्यों को सहायता की आवश्यकता है, के लिये सहायता अनुदान की मात्रा व नियमों का निर्धारण करता है।
    • राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में नगरपालिकाओं और पंचायतों के संसाधनों की आपूर्ति के लिये राज्य की संचित निधि के संवर्धन हेतु आवश्यक उपाय करना।

    राजकोषीय वातावरण में बदलाव तथा इसके कार्यों में विस्तार के बावजूद वित्त आयोग ने केंद्र-राज्य राजकोषीय संबंधों के कामकाज को आसान बनाने का कार्य सुनिश्चित किया है।

    केंद्र-राज्य संबंधों के बने रहने का श्रेय वित्त आयोग को ही जाता है। साथ ही इसका श्रेय संविधान निर्माताओं को भी जाता है, जिनके केंद्र-राज्य राजकोषीय संबंधी प्रावधान समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं तथा आज के बदलते वातावरण में भी पर्याप्त साबित हुए हैं।

    वित्त आयोग को स्थायी दर्जा देने की मांग को निम्न आधारों पर सही ठहराया जा सकता है-

    • वर्तमान में राजकोषीय समेकन से समझौता किये बिना सुदृढ़ व्यय योजना की आवश्यकता है, क्योंकि राजकोषीय संघवाद एकसमान जी.एस.टी. के दौर में गतिशीलता प्रदान करता है।
    • आयोग की अनुशंसाओं के कार्यान्वयन से संबंधित उत्पन्न हुए मुद्दों को भी संबोधित करता है।
    • यह राजकोषीय विवेक को प्रोत्साहित करने तथा ज्ञान व क्षमता वृद्धि में सहायक होगा। वित्त आयोग चुनौतियों और इसकी संभावित सिफारिशों की प्रभावशीलता दर पर एक स्पष्ट सुनवाई प्रदान करने में सक्षम होगा।
    • वर्तमान आयोग, अगले आयोग के पूर्णत: स्थापित होने की समयावधि में एक सत्तात्मक इकाई की तरह कार्य कर सकता है।
    • हालाँकि, वित्त आयोग को स्थायी निकाय बनाने का प्रस्ताव दो तरीकों से विकसित हो सकता है, पहला- वर्तमान में सरकार को उपलब्ध विशिष्ट उद्देश्य स्थानांतरण, दूसरा- यह राज्य और केंद्र के बीच सरकार के वित्त संघटन की तटस्थता को सरकार के साथ निरंतर सहयोग की प्रक्रिया के माध्यम से कमज़ोर करेगा।

    इस प्रकार एक गैर-राजनीतिक निकाय के रूप में काम करने का लाभ यह है कि राजस्व बँटवारे में, स्थिरता व पूर्वानुमान उपलब्ध कराकर राजकोषीय संतुलन सुनिश्चित किया जा सकता है। भारत में राजकोषीय संघवाद के लिये वित्त आयोग की संभावनाओं को पुन:केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि साझेदारों का विश्वास संस्था में बना रहे।