• प्रश्न :

    ब्लैक कार्बन से आप क्या समझते हैं? ग्लेशियर के पिघलने के संबंध में इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    30 Aug, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • ब्लैक कार्बन के बारे में समझाते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • विशेष रूप से हिमनदों के पिघलने पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताइये।

    परिचय

    ब्लैक कार्बन, जो कि अक्सर ग्लेशियरों के पिघलने का कारण बनता है, मोटर वाहनों, जैव ईंधन और बायोमास जीवाश्म ईंधन के अधूरे दहन के कारण वातावरण में उत्सर्जित होता है।

    प्रारूप

    • ब्लैक कार्बन (BC)
      • ब्लैक कार्बन एक अल्पकालिक प्रदूषक है जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद ग्रह को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है।
      • अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के विपरीत BC जल्दी साफ हो जाता है और अगर उत्सर्जन बंद हो जाता है तो इसे वातावरण से समाप्त किया जा सकता है।
      • ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के विपरीत यह अधिक स्थानीय प्रभाव वाला एक स्थानीय स्रोत भी है।
      • ब्लैक कार्बन एक तरह का एरोसोल है।
    • सामान्य प्रभाव: एरोसोल (जैसे ब्राउन कार्बन, सल्फेट्स) में ब्लैक कार्बन (BC) को जलवायु परिवर्तन के लिये दूसरे सबसे महत्त्वपूर्ण मानवजनित एजेंट और वायु प्रदूषण के कारण होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को समझने के लिये प्राथमिक मार्कर के रूप में मान्यता दी गई है।
    • उत्सर्जन: यह गैस और डीज़ल इंजनों, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों तथा जीवाश्म ईंधन को जलाने वाले अन्य स्रोतों से उत्सर्जित होता है। इसमें पार्टिकुलेट मैटर या पीएम का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो कि एक वायु प्रदूषक है।

    ग्लेशियर पर ब्लैक कार्बन का प्रभाव

    • यह दो तरह से कार्य करता है जिससे ग्लेशियर के पिघलने की गति तेज़ हो जाती है:
      • सूर्य के प्रकाश की सतह से परावर्तन को कम करके।
      • हवा का तापमान बढ़ाकर।
      • काली वस्तु अधिक प्रकाश को अवशोषित करती है और तापमान को बढ़ाने वाले इंफ्रा-रेड विकिरण का उत्सर्जन करती है। इसलिये जब उच्च हिमालय में ब्लैक कार्बन में वृद्धि होगी तो यह हिमालय के ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने में योगदान देगा।
      • लंबे समय में उच्च हिमालय की वायुमंडलीय संरचना में परिवर्तन, बारिश और हिमपात के पैटर्न को प्रभावित करेगा। तदनुसार हिमालयी समुदायों के प्राकृतिक संसाधन और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियाँ भी प्रभावित होंगी।
      • वास्तविक समय में मौसम स्टेशनों के आँकड़ों के विश्लेषण से हमें उच्च हिमालय में ब्लैक कार्बन सांद्रता और मौसमी विविधताओं के बारे में जानने में मदद मिली है। यह पाया गया है कि विभिन्न कारकों के कारण गर्मियों के महीनों में ब्लैक कार्बन की सांद्रता बढ़ जाती है।

    उपाय

    • हिमालय पर रसोई चूल्हे, डीज़ल इंजन और खुले में जलने से उत्पन्न ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करना सबसे अधिक लाभदायक होगा और यह विकिरण बल को काफी कम कर सकता है तथा हिमालयी ग्लेशियर तंत्र के एक बड़े हिस्से को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
    • इन उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन पर प्रतिबंध लगाना या ग्लेशियर कर लगाना एक निवारक उपाय हो सकता है।

    निष्कर्ष

    वस्तुतः 1 डिग्री सेल्सियस के मामूली बदलाव से भी हिमालय के ग्लेशियरों के बर्फ के आवरण क्षेत्र में बड़ी कमी आएगी, साथ ही वनस्पतियों और जीवों को इससे बड़ा नुकसान होगा। इसलिये ब्लैक कार्बन की सांद्रता को कम करने के लिये कार्रवाई करना अनिवार्य है।