• प्रश्न :

    सुमन किसी ज़िला पंचायत में एक युवा आदर्शवादी विकास अधिकारी है। ज़िले में शामिल होने के बाद उन्होंने इसकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में अध्ययन किया। उसने विभिन्न योजना दस्तावेजों पर विचार किया और ज़िले के सामाजिक एवं आर्थिक मानकों को देखा। उसने पाया कि सिंचाई, फसल विविधीकरण और उद्योग के मामले में यह ज़िला अन्य ज़िलों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है। लेकिन उच्च शिशु मृत्यु दर, उच्च मातृ मृत्यु दर और महिलाओं में कम साक्षरता प्रतिशत के साथ इसके सामाजिक संकेतक खराब थे। अपने विश्लेषण के आधार पर सुमन ने अनुमान लगाया कि इन समस्याओं से निपटने के लिये सामाजिक क्षेत्र में बड़े निवेश की आवश्यकता होगी।

    पंचायत एक निर्वाचित निकाय थी। इसने अपने बजट का 40% लघु सिंचाई पर खर्च करने का निर्णय लिया है। सुमन ने महसूस किया कि लघु सिंचाई हेतु बड़े आवंटन से भूमि के मालिक किसानों को लाभ होगा और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में वित्त की उपलब्धता नहीं हो पाएगी।

    इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे क्या हैं। इस स्थिति में उपलब्ध विकल्पों की चर्चा कीजिये और बताइये कि इस समस्या के समाधान हेतु कौन-सा सबसे उपयुक्त कदम उठाया जा सकता है।

    27 Aug, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय

    दिया गया मामला जिला पंचायत द्वारा धन के गलत आवंटन या अकुशल उपयोग को दर्शाता है। पंचायत द्वारा धन का विवेकपूर्ण उपयोग करने के लिये सभी हितधारकों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

    प्रारूप

    मामले में मौजूद नैतिक दुविधा:

    • इस मामले में, विकास अधिकारी सुमन को अपने पेशेवर कर्त्तव्य (निर्वाचित प्रतिनिधि के आदेशों का पालन करना) के बीच एक नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ रहा है और अधिक अच्छे के लिये आदेशों की अवज्ञा करने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग करना है।
    • सामाजिक बनाम आर्थिक विकास: जिले में सामाजिक विकास आर्थिक विकास से पिछड़ रहा है। सामाजिक विकास के लिये और अधिक धन का उपयोग करने की आवश्यकता है लेकिन धन पहले से विकसित/बेहतर क्षेत्र (सिंचाई) को आवंटित किया गया है।

    सुमन के लिये उपलब्ध विकल्प

    • उसे गुप्त रूप से किसी बहाने से सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में पैसा लगाना चाहिये।
    • उसे पंचायत के फैसले का पालन करना चाहिये।
    • उसे पंचायत के निर्वाचित अधिकारियों के साथ मामलों पर चर्चा करनी चाहिये और सामाजिक क्षेत्र को अधिक प्राथमिकता देने की आवश्यकता के बारे में उन्हें समझाने का प्रयास करना चाहिये।
    • उसे ग्रामीण समाज की आर्थिक असमानताओं और सत्ता के ढांचे के साथ सामंजस्य बिठाना होगा।

    विकल्पों का मूल्यांकन

    • सुमन को सामाजिक क्षेत्र पर अधिक खर्च प्राप्त करने के प्रयास में अनुचित साधन नहीं अपनाने चाहिये। वास्तव में, उसे अपने अधीनस्थों को कोई गलत या अनुचित निर्देश नहीं देना चाहिये।
      • ऐसा करने से वह सच्चाई और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करेगी।
      • सुमन निर्वाचित निकाय द्वारा लिये गए सार्वजनिक नीति निर्णय का पालन करने के लिये बाध्य है।
      • वह उन्हें अपने विचार के लिये मनाने की कोशिश कर सकती है। लेकिन उसे उनकी नीति को क्षीण नहीं करना चाहिये।
    • सुमन सही काम कर रही होगी। लेकिन इस मामले में इतना ही काफी नहीं है। चूंकी उसने ज़िले की विकास समस्याओं का विस्तार से अध्ययन किया है, इसलिये उसे पंचायत में गैर-अधिकारियों को स्थिति के बारे में विस्तार से बताना चाहिये।
      • युवा अधिकारियों को संचार, अनुनय और बातचीत के कौशल को विकसित करना होगा। उन्हें कोशिश किये बिना चीजों को नहीं छोड़ना चाहिये।
    • तीसरा विकल्प कार्रवाई का सही तरीका है। सुमन गैर-अधिकारियों को सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को उच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता के लिये मनाने की कोशिश कर सकती है।
      • कोशिश करने से पहले ही उसे यह नहीं मान लेना चाहिये कि गैर-सरकारी उसकी सलाह नहीं लेंगे।
      • वह आंशिक रूप से सफल होगी, भले ही वे सिंचाई पर कुछ परिव्यय कम कर दें और इसे शिक्षा या स्वास्थ्य हेतु उपलब्ध करा दें।
      • एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चर्चा और बातचीत अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
      • किसी भी स्थिति में, पंचायत प्रणाली के तहत, नीतिगत मामलों पर निर्णय लेने की शक्ति गैर-अधिकारियों के पास होती है, एक अनुशासित अधिकारी के रूप में सुमन को इस मामले में उनकी अवहेलना नहीं करनी चाहिये।
    • अंतिम विकल्प निष्क्रिय या भाग्यवादी व्यवहार का एक रूप है। युवा अधिकारियों को इस तरह के रवैये से बचना चाहिये क्योंकि यह अन्य क्षेत्रों में उनकी पहल को कमज़ोर कर देगा जहाँ वे कार्य कर सकते हैं।

    निष्कर्ष

    इस प्रकार सुमन के लिये सबसे उपयुक्त विकल्प तीसरा विकल्प होगा। इस तरह वह अपने पेशेवर कर्त्तव्य को बनाए रखेगी और साथ ही धन के गलत आवंटन के मुद्दे को भी हल करेगी। उसे यह भी याद रखना चाहिये कि किसी भी समय कोई भी मुद्दा सामने आने पर उसे नेताओं के सम्मुख रखना उसके कर्त्तव्य का हिस्सा है।