• प्रश्न :

    संसदीय विशेषाधिकारों से आप क्या समझते हैं? इनके वर्गीकरण को स्पष्ट करते हुए सीमाओं पर चर्चा करें।

    30 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में संसदीय विशेषाधिकारों को स्पष्ट करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में इनके वर्गीकरण को स्पष्ट करते हुए सीमाओं पर चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    संसदीय विशेषाधिकार मूलतः ऐसे विशेष अधिकार हैं जो प्रत्येक सदन को सामूहिक और सदन के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से प्राप्त होते हैं। इस तरह ये अधिकार संसद के अनिवार्य अंग के रूप में होते हैं।

    इन अधिकारों का उद्देश्य संसद के सदनों, समितियों और सदस्यों को अपने कर्तव्यों के क्षमतापूर्ण एवं प्रभावी तरीके से निर्वहन हेतु निश्चित अधिकार और उन्मुक्तियाँ प्रदान करना है। संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में क्रमशः संसद एवं राज्य विधानमंडल के सदनों, सदस्यों तथा समितियों को प्राप्त विशेषाधिकार उन्मुक्तियों का उल्लेख किया गया है। इस तरह संसदीय विशेषाधिकार का मूल भाव संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और स्वायत्तता की सुरक्षा करना है। लेकिन संसद सदस्यों को यह अधिकार उनके नागरिक अधिकारों से मुक्त नहीं करता है।

    विशेषाधिकारों का वर्गीकरण:

    • संसदीय विशेषाधिकारों को दो व्यापक वर्गों में बाँटा जा सकता है। ये हैं- व्यक्तिगत अधिकार और सामूहिक अधिकार। व्यक्तिगत अधिकारों का उपयोग संसद द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। जबकि सामूहिक अधिकार संसद या राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों को प्राप्त होते हैं।
    • सामूहिक अधिकार के अंतर्गत सदन की रिपोर्ट, वाद-विवाद कार्यवाहियों आदि मामलों में अन्य के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाना है। इसके अतिरिक्त सदन की अवमानना पर दंडित करने की शक्ति, कार्यवाही से बाहरी व्यक्तियों सहित सदस्यों को निष्कासित करना, विशेष मामलों पर गुप्त बैठक करना, सदस्यों की बंदी या मुक्ति व अपराध सिद्धि के संबंध में जानकारी प्राप्त करना, न्यायालयों को संसद की कार्यवाही की जाँच करने का निषेध आदि शामिल हैं।
    • किसी सदस्य को प्राप्त व्यक्तिगत अधिकारों में – सदन के सत्र के दौरान, सत्र आरंभ होने के चालीस दिन पहले और सत्र समाप्ति के चालीस दिन बाद तक दीवानी मामलों में सदस्यों को गरफ्तारी से उन्मुक्ति, संसद में सदस्यों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि शामिल हैं।

    सीमाएँ:

    यद्यपि संसदीय विशेषाधिकार संसद के अनिवार्य अंग के रूप में मौजूद हैं। फिर भी इनके दुरुपयोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

    • यदा-कदा मीडिया द्वारा सांसदों की आलोचना करने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • विशेषाधिकारों के उल्लंघन का कानून राजनीतिज्ञों को स्वयं के मामले में स्वतः न्याय करने की शक्ति प्रदान करता है। इस तरह उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को उचित सुनवाई के अधिकार से वंचित होना पड़ता है।
    • इसके अतिरिक्त किसी सदस्य द्वारा सदन में की गई घोषणा या आश्वासन को विशेषाधिकारों के उल्लंघन या संसद की अवमानना के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है।
    • कानूनी कार्यवाही के विकल्प के रूप में भी इसे प्रयोग किये जाने की संभावना रहती है।

    विशेषाधिकार संसद सदस्यों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है और उनके द्वारा संसद में किये जाने वाले कृत्यों के बदले न्यायालयी कार्यवाहियों से रक्षा करता है, ताकि संसदीय प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे। साथ ही यह संसद की गरिमा, अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।