• प्रश्न :

    पीएम आवास योजना के तहत सरकार ने शहरी गरीबों को किफायती आवास देने का वादा किया है। हालाँकि निरीक्षण के बाद यह पाया गया कि शहर में आवासीय भूखंडों की कमी है।
    आपने ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में सरकार से इस योजना के तहत घरों के निर्माण के लिये कुछ खाली सार्वजनिक भूमि को मुक्त करने का अनुरोध किया है। प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए संबंधित मंत्री ने सुझाव दिया है कि 20% मकान उनके विवेकाधीन कोटे से आवंटित किये जाने चाहिये। इस स्थिति में, आपके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:

    1. केवल मंत्री के आदेश का पालन करें।

    2. मंत्री को बताएँ कि प्रस्तावित विवेकाधीन आवंटन गंभीर विवाद को जन्म देगा।

    3. मामले को विलंबित किया जाए।

    4. निर्णय का हर तरह से विरोध करें।

    इन विकल्पों का विश्लेषण कीजिये और बताइये मंत्री को क्या सलाह देंगे?

    05 Mar, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    1. केवल मंत्री के आदेश का पालन करें:

    • अपनी आधिकारिक क्षमता के अनुसार मैं इस प्रक्रिया में शामिल जोखिमों पर प्रकाश डालूँगा।
    • मैं कैग के ऑडिट और भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की रिपोर्ट से उदाहरणों का संदर्भ देते हुए बताऊँगा कि कैसे विवेकाधीन कोटा आर्थिक रूप से अनुचित है और इससे सत्ता का दुरुपयोग होगा।
    • योजना के प्रावधानों के तहत कोई भी विवेकाधीन कोटा मनमाना होगा। यहाँ तक ​​कि विवेकाधीन कोटे से आवंटन करने के लिये भी मानदंड और प्रक्रियाएँ निर्धारित करनी होंगी।

    2. मंत्री को बताएँ कि प्रस्तावित विवेकाधीन आवंटन गंभीर विवाद को जन्म देगा:

    • मैं मंत्री को बताऊँगा कि उनके प्रस्ताव से जनता में पक्षपात और भ्रष्टाचार का संदेश जाएगा।
    • जैसा कि मामला आवासों की अत्यधिक कमी की स्थिति को दर्शाता है, अमीर लोग पैसे देकर आवासों का आवंटन अपने पक्ष में कराने के लिये इसका अनुचित लाभ उठा सकते हैं।
    • इससे पीएम आवास योजना का सामाजिक न्याय का लक्ष्य प्रभावित होगा।

    3. मामले के विलंबन की स्थिति में:

    • यह विकल्प अनुचित है। यह केवल कुछ समय के लिये कार्यान्वयन को स्थगित कर देगा किंतु समस्या बनी रहेगी। कुछ समय बाद मंत्री अपने निर्णय के कार्यान्वयन की दृढ़तापूर्वक मांग कर सकते हैं।

    4. किसी भी तरह से निर्णय का विरोध करें:

    • इससे संबंधित सभी चुनौतियों के बारे में बताने के बाद मैं इसे उनकी बुद्धिमत्ता पर छोड़ दूँगा और योजना को लागू करूँगा।
    • एक जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्री पर काफी दबाव रहता है, अत: गरीबों के हित के लिये मापदंड और प्रक्रियाओं के अतिरिक्त भी वे कभी-कभी अपवाद के रूप में अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।

    हालाँकि मैं मंत्री को सुझाव दूँगा कि सबसे पहले बेहतर विकल्प के तौर पर आवास हेतु पात्रता के लिये उचित शर्तों को रखा जाना चाहिये और फिर उन्हें यादृच्छिक रूप से कंप्यूटर लॉटरी द्वारा आवंटित करना चाहिये।

    अमीर लोगों को आवास की इस सुविधा का लाभ अनुचित रूप से उठाने से रोकने के लिये घरों के हस्तांतरण पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

    निष्कर्ष

    ज़िला मजिस्ट्रेट होने के नाते संबंधित मंत्री को एक वस्तुपरक विश्लेषण प्रदान करना मेरी प्रशासनिक ज़िम्मेदारी है। हालाँकि यह मेरा प्रमुख कर्तव्य है कि मैं जनता के हित को ध्यान में रखूँ और जनता के प्रति सहानुभूति रखते हुए ईमानदारी के साथ लोकाचार का पालन करूँ। इसलिये मैं मंत्री को सलाह दूँगा कि प्रस्तावित विवेकाधीन आवंटन के कारण गंभीर विवाद की स्थिति पैदा होगी जो सामाजिक कल्याण को खतरे में डालेगा।