• प्रश्न :

    भारत में डिजिटल पहल ने किस प्रकार से देश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है? विस्तृत उत्तर दीजिये। (250 शब्द) (UPSC GS-1 Mains 2020)

    01 Feb, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सवाल के संदर्भ में संक्षिप्त चर्चा करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
    • शिक्षा प्रणाली में डिजिटल पहल के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष पर चर्चा करें।
    • उचित निष्कर्ष दें।

    कोविड-19 महामारी ने शिक्षा के पारंपरिक मॉडल (स्कूल, कॉलेज, कक्षा मॉडल) को संकट में डाल दिया है और इस स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा एक नए विकल्प के तौर पर सामने आई है।

    हालाँकि महामारी से पहले भी डिजिटल पहल ने शिक्षा को और अधिक समावेशी बनाने में मदद की है लेकिन ऑनलाइन शिक्षा की कई चुनौतियाँ भी हैं एवं इसमें सुधार की आवश्यकता है।

    शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल पहल के सकारात्मक पक्ष:

    लचीलापन: यह कई तरह के पाठ्यक्रमों के साथ स्किल और तकनीकी ज्ञान हासिल करने के लिये एक बड़ा माध्यम है। उदाहरण के लिये ई-पाठशाला पढ़ाई के लिये ई-सामग्री प्रदान करती है। SWAYAM पोर्टल ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिये एक एकीकृत मंच प्रदान करता है।

    यह एक बहु-विषयक दृष्टिकोण विकसित करने में भी मदद करता है। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न स्तरों और विषयों के लिये कार्यक्रमों के ऑनलाइन संस्करणों की पेशकश करने में विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं।

    लागत प्रभावी: डिजिटल पहल, शिक्षा के पारंपरिक मॉडल की तुलना में कम निवेश द्वारा भी शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति करने में सक्षम है।ऑनलाइन माध्यम में अध्ययन सामग्री एवं कम्यूटर शुल्क पर काफी कम खर्च आता है।

    विशिष्टता: डिजिटल पहल द्वारा शिक्षा को ग्रामीण और देश के दूरस्थ क्षेत्रों तक एक साथ पहुँचाया जा सकता है। साथ ही ऑनलाइन शिक्षण छात्रों को ऐसे माहौल में कार्य करने की अनुमति देता है जो उन्हें उपयुक्त लगता है।

    शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल पहल का नुकसान

    डिजिटल डिवाइड: ई-लर्निंग मध्यम और उच्च वर्ग के छात्रों के लिये एक विशेषाधिकार की तरह है, लेकिन यह निम्न-मध्यम वर्ग के छात्रों और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों (बीपीएल) के लिये एक दिवास्वप्न की तरह है। गरीब छात्र, जिनकी ई-संसाधनों (कंप्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट कनेक्टिविटी) तक पहुँच नहीं है, घर से कक्षाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

    अत: डिजिटल पहल शिक्षा में डिजिटल विभाजन को बढ़ाती है।

    पारंपरिक कक्षाएँ एक सामाजिक संस्थान के रूप में: स्कूल और कॉलेज जैसे संस्थान सामाजिक संस्थान हैं, इसमें छात्र न केवल शैक्षणिक ज्ञान बल्कि कई सामाजिक कौशल भी सीखता है जो कि व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक हैं।

    शिक्षा का व्यावसायीकरण: ई-लर्निंग के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये कॉरपोरेट घरानों, प्रौद्योगिकी फर्मों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करना होगा, जो शिक्षा के व्यावसायीकरण को बढ़ा सकते हैं और आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि के आत्म-निर्भर ट्यूटर्स और छात्रों को इससे बाहर कर सकते हैं।

    निष्कर्ष

    भारत में डिजिटल शिक्षा बहुत उपयोगी है किंतु यह अभी पूरी तरह से सफल नहीं है। इसलिये यह पता लगाने की ज़रूरत है कि क्या छात्रों के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है या उन्हें एक सार्थक शैक्षणिक पाठ्यक्रम विकल्प प्रदान किया जा रहा है।