• प्रश्न :

    कार्बन-मुक्त ऊर्जा के स्वप्न को साकार करने के लिये भारत को पारंपरिक स्रोतों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को पूरक बनाना होगा। चर्चा करें।

    29 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भूमिका
    • कार्बन मुक्त ऊर्जा में पारंपरिक स्त्रोतों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका
    • निष्कर्ष

    हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पेरिस समझौते के महत्त्व पर प्रकाश डाला और अपने लक्ष्य को पूरा करने हेतु भारत को वर्ष 2030 तक कोयला उत्पादन रोकने और कार्बन उत्सर्जन को 45% कम करने के लिये कहा था।

    भारत के संदर्भ में देखें तो भारत यदि वर्ष 2020 के बाद कोयला क्षेत्र में कोई नया निवेश नहीं करता है तो संभवतः भारत का औद्योगिकीकरण प्रभावित होगा जिससे भारत की आर्थिक विकास यात्रा पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसलिये भारत को विकास एवं पर्यावरण के बीच संतुलन के सिद्धांतों का पालन करते हुए पेरिस समझौते के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विकसित देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना होगा। किन्तु भारत अभी भी एक विकासशील देश है: विकसित देशों के विपरीत भारत (विकास दायित्वों को देखते हुए) कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन को नवीकरणीय ऊर्जा के साथ पर्याप्त रूप से प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है।

    नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों एवं उनका बड़े पैमाने पर संचालन तथा उत्पादन क्षमता की कमी को देखते हुए कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों को बंद करने और नवीकरण ऊर्जा में बदलने से भारत की बाहरी स्रोतों से नवीकरणीय प्रौद्योगिकी उपकरणों के आयात एवं आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भरता बढ़ेगी। साथ ही वर्ष 2050 बिजली उत्पादन में 285% की वृद्धि के लिये भारत के पारंपरिक ऊर्जा स्रोत महत्त्वपूर्ण साबित होंगे।

    अकेले नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं होंगे। आने वाले समय में भारत की ज़रूरतों को पूरा करने और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक है कि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को जीवाश्म ईंधन वाले सक्रिय ग्रिडों के साथ एकीकृत किया जाए। इसके अतिरिक्त जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा द्वारा संचालित विनिर्माण वृद्धि अपने आप में एक आवश्यकता है।

    चूँकि विनिर्माण उद्योग को बिजली की निर्बाध आपूर्ति की आवश्यकता होती है इसलिये नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण उद्योग को संचालित नहीं कर सकती है। नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत आपूर्ति को जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संयंत्र की तरह चालू एवं बंद नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार नवीकरणीय ऊर्जा हमेशा विश्वसनीय नहीं होती है और विशेष रूप से चरम माँग के समय नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से निर्बाध विद्युत आपूर्ति नहीं की जा सकती है। यह (विनिर्माण उद्योग) कोयले सहित पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता की पुष्टि करता है जो नवीकरणीय ऊर्जा की मांग को पूरा करने में विफल होने पर तत्काल विद्युत आपूर्ति कर सकते हैं।

    भारत में कोयला विद्युत का प्रमुख स्रोत है। वर्तमान में यह लगभग दो तिहाई विद्युत की आपूर्ति के लिये ज़िम्मेदार है, जिनमें से अधिकांश को ताप विद्युत संयंत्र में संसाधित किया जाता है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित वर्ष 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 में भारत में विद्युत उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा कोयला आधारित होगा।

    अंततः कोयला आधारित ऊर्जा को पर्यावरण के अधिक अनुकूल बनाना पूर्ण रूप से नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के बजाय कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को और अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिये नई तकनीकों (जैसे- कोलगैसीफिकेशन कोल बेनीफिकेशन आदि की एक शृंखला तैयार करने पर विचार किया जाना चाहिए।