• प्रश्न :

    हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट के आंकडे भारत के विभिन्न आय समूहों के बीच मौजूद गंभीर डिजिटल डिवाइड को दर्शाते हैं। भारत में डिजिटल डिवाइड के कारणों की चर्चा करते हुए इसके प्रभावों को इंगित करें ?

    22 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका 
    • रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु 
    • कारण
    • प्रभाव 
    • निष्कर्ष

    राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी ‘पारिवारिक सामाजिक उपभोग: शिक्षा’ रिपोर्ट के आँकड़े भारत में राज्यों, शहरों, गाँवों और विभिन्न आय समूहों के बीच मौजूद गंभीर डिजिटल डिवाइड को दर्शाते हैं।

    डिजिटल डिवाइड इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग और प्रभाव के संबंध में एक आर्थिक और सामाजिक असमानता है। यह आम तौर पर इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग को लेकर विभिन्न सामाजिक, आर्थिक स्तरों या अन्य जनसांख्यिकीय श्रेणियों में व्यक्तियों, घरों, व्यवसायों या भौगोलिक क्षेत्रों के बीच असमानता का उल्लेख करता है। दुनिया के विभिन्न देशों या क्षेत्रों के बीच विभाजन को वैश्विक डिजिटल विभाजन के रूप में जाना जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकासशील और विकसित देशों के बीच तकनीकी विभेद का उल्लेख करता है।

    रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 10 घरों में से केवल 1 के पास ही कंप्यूटर (डेस्कटॉप, लैपटॉप या टैबलेट) की सुविधा उपलब्ध है। हालाँकि देश के तकरीबन एक-चौथाई घरों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें स्मार्टफोन समेत अन्य सभी उपकरण शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में इंटरनेट की पहुँच सबसे अधिक है और यहाँ के 55.7 प्रतिशत घरों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। वहीं दूसरी ओर इंटरनेट तक पहुँच के मामले में सबसे खराब स्थिति ओडिशा की है, जहाँ मात्र 10 प्रतिशत घरों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।

    डिजिटल डिवाइड के कारण-

    • कम साक्षरता दर: कम साक्षरता दर देश में डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने में अतिमहत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, प्राथमिक अथवा माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त लोगों की अपेक्षा उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त लोग कंप्यूटर और इंटरनेट का अधिक कुशलता से प्रयोग कर सकते हैं।
    • आय का स्तर: डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने में आय के स्तर का अंतर भी अपनी भूमिका अदा करता है, प्रायः उच्च आय वाले लोगों के लिये कंप्यूटर और इंटरनेट समेत अन्य सभी सेवाएँ काफी आसानी से उपलब्ध होती हैं, जबकि निम्न आय वाले लोगों के लिये ऐसा नहीं होता है।
    • भौगोलिक स्थिति: किसी देश की भौगोलिक स्थिति भी उस देश में डिजिटल विभाजन को बढ़ाने में मदद करती है। शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण या पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में इंटरनेट तक पहुँच की संभावना अधिक होती है।
    • डिजिटल साक्षरता की कमी: डिजिटल साक्षरता का आशय उन तमाम तरह के कौशलों के एक समूह से है, जो इंटरनेट का प्रयोग करने और डिजिटल दुनिया के अनुकूल बनने के लिये आवश्यक हैं। प्रायः यह देखा जाता है कि कंप्यूटर अथवा इंटरनेट सेवाओं तक पहुँच यह सुनिश्चित नहीं करती कि वह व्यक्ति उस उपकरण अथवा सेवा का सही ढंग से प्रयोग भी कर सकता है।

    डिजिटल डिवाइड के प्रभाव

    शिक्षा पर प्रभाव

    • इंटरनेट ज्ञान और सूचना का एक समृद्ध भंडार उपलब्ध कराता है, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) की पहुँच और उपलब्धता अकादमिक सफलता और मज़बूत अनुसंधान गतिविधियों से जुड़ी हुई है, क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से किसी भी सूचना तक काफी जल्दी पहुँचा जा सकता है।
    • शिक्षा एक बहुत ही गतिशील क्षेत्र है और नवीनतम सूचना और ज्ञान प्राप्त करना इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है।
    • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उपकरणों की अपर्याप्तता ने विकासशील देशों में पहले से ही कमज़ोर शिक्षा प्रणाली को और अधिक अप्रभावी बना दिया है। इस प्रकार देश के विद्यालयों के शिक्षा मानकों में सुधार करने के लिये आवश्यक है कि वहाँ कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।

    अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

    • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की उपलब्धता देश के व्यवसायों की सफलता को प्रभावित करती है, संपूर्ण विश्व धीरे-धीरे डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों के लिये लाभ कमाना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है जहाँ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों की उपलब्धता काफी कम है।
    • इंटरनेट की उपलब्धता न होने के कारण प्रायः व्यापार बाधित होता है और लाभ कमाना काफी मुश्किल हो जाता है और ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था का विकास खतरे में पड़ सकता है।

    सामाजिक प्रभाव

    • डिजिटल डिवाइड ने समाज को दो स्तरों पर विभाजित करने का कार्य किया है, जिसमें पहला वर्ग वह है जिसके पास इंटरनेट तक पहुँच है, वहीं दूसरा वह है जो डिजिटल साक्षरता अथवा किसी अन्य कारणवश सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का प्रयोग करने में असमर्थ है।
    • इस प्रकार डिजिटल डिवाइड के कारण समुदाय में नए संरेखण का उदय हुआ है जिसके तहत लोगों को इंटरनेट सेवाओं का उपयोग करने की क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा है।

    भारत में डिजिटल डिवाइड को कम करने और डिजिटल साक्षरता को बढ़ाने के लिये तमाम तरह के प्रयास किये गए हैं, जिसके कारण बीते कुछ वर्षों में देश में डिजिटल साक्षरता में बढ़ोतरी देखने को मिली है, हालाँकि अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल साक्षरता की दृष्टि से बहुत कुछ किया जाना शेष है। केंद्र व राज्य सरकार को चाहिये कि वह इस क्षेत्र में निवेश को प्राथमिकता दें साथ ही देश में दूरसंचार नियमों को और अधिक मज़बूती प्रदान करें ताकि बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित हो सके।