• प्रश्न :

    हाल ही में ‘केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय’ द्वारा ‘वेतन संहिता अधिनियम’, 2019 के कार्यान्वयन के लिये तैयार किये गए मसौदे के नियमों पर विभिन्न पक्षों की राय जानने के लिये प्रकाशित किया है। मसौदे के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्त्व को स्पष्ट करें।

    03 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण- 

    • भूमिका

    • मसौदे के प्रमुख बिंदु

    • महत्त्व

    • निष्कर्ष

    ‘वेतन संहिता अधिनियम’, 2019 अधिनयम मसौदा परिभाषित करता है कि मज़दूरी की गणना कैसे की जाए तथा सभी राज्यों के लिये एक समान मज़दूरी भुगतान का निर्धारण किस प्रकार किया जाए। यह सभी को न्यूनतम मज़दूरी की गारंटी प्रदान करता है।

    इस मसौदे के प्रकाशित होने की तिथि (7 जुलाई) से 45 दिनों के अंदर विभिन्न पक्ष अपनी प्रतिक्रिया/राय दे सकते हैं। संसद द्वारा इसे अगस्त, 2019 में पारित कर दिया गया था।

    वेतन संहिता, श्रम सुधारों का हिस्सा है और केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में उठाये गये कदम के तहत पहला कानून है। इससे देश में लगभग 50 करोड़ कामगारों को लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिता में समाहित करने की दिशा में कार्य कर रही है, जिनमें शामिल है-

    • मज़दूरी संहिता
    • औद्योगिक संबंध
    • सामाजिक सुरक्षा
    • व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संहिता

    इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

    • वेतन संहिता अधिनियम-2019 में मज़दूरी, बोनस और उससे जुड़े मामलों से संबंधित कानून को संशोधित और एकीकृत किया गया है।
    • इस संहिता में चार श्रम कानून को समाहित किया जाएगा, जिनमें शामिल है-
      • न्यूनतम मज़दूरी कानून, 1948
      • मज़दूरी भुगतान कानून, 1936
      • बोनस भुगतान कानून, 1965
      • समान पारितोषिक कानून, 1976
    • वेतन संहिता अधिनियम-2019 में पूरे देश में एक समान वेतन एवं उसका सभी कर्मचारियों को समय पर भुगतान किये जाने का प्रावधान किया गया है। इस संहिता में न्यूनतम मज़दूरी का आकलन न्यूनतम जीवन-यापन की स्थिति के आधार पर किये जाने का प्रावधान है।
    • वेतन संहिता अधिनियम- 2019 में आठ घंटे कार्य करने का प्रावधान किया गया है परंतु ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि ‘लॉकडाउन' के दौरान कुछ राज्यों में उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई के लिये कामकाजी घंटे बढ़ाए जा सकते हैं।
    • दैनिक आधार पर, न्यूनतम वेतन की गणना करने के लिये आधार:
      • मानक श्रमिक परिवार वर्ग, जिसमे कामगार के अलावा उसकी पत्नी या उसका पति और दो बच्चें शामिल हो।
      • प्रति दिन उपभोग इकाई हेतु निवल 2,700 कैलोरी की खपत।
      • मानक श्रमिक परिवार वर्ग द्वारा प्रति वर्ष 66 मीटर कपडे का प्रयोग।
      • आवासीय किराया व्यय जो भोजन और वस्त्र व्यय का 10% होगा।
      • ईंधन, बिज़ली, और व्यय की अन्य विविध मदें जो न्यूनतम मज़दूरी की 20% होंगी।
      • बच्चों की शिक्षा पर व्यय, चिकित्सा आवश्यकताएँ, मनोरंजन और अन्य आकस्मिक व्यय जो न्यूनतम मज़दूरी का 25% होगा।

    महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-

    • वर्तमान समय में मज़दूरी के संदर्भ में विभिन्न श्रम कानूनों को अलग-अलग रुप में परिभाषित किया गया है, जिसके चलते इनके क्रियान्वयन में काफी कठिनाई के साथ कानूनी विवाद भी बढ़ जाता है।
    • संहिता में विभिन्न श्रम कानूनों को सरलीकृत किया गया है जिससे इस बात की संभावना अधिक प्रबल होती है कि इससे कानूनी विवादों को कम करने में मदद मिलेगी इसके अलावा नियोक्ताओं के लिये अनुपालन लागत भी कम होगी।

    निष्कर्षतः यह अधिनियम मजदूरों को दी जाने वाली मज़दूरों के संदर्भ में एक नया प्रतिमान स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा।