• प्रश्न :

    पूर्वोत्तर राज्यों में असम बाढ़ के लिये सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र माना है, क्या कारण है कि इस क्षेत्र में आने वाली बाढ़ रूपी आपदा की बारंबारता अधिक है, इस विभीषिका को रोकने हेतु कुछ उपाय सुझाइये।

    19 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका 

    • असम का बाढ़ प्रवण क्षेत्र होने का कारण

    • बाढ़ से बचाव के उपाय

    • निष्कर्ष

    असम में बाढ़ आमतौर पर एक वार्षिक घटना जैसी हो गई है। राज्य में वर्ष 1988, 1998 तथा 2004 में आई बाढ़ की अब तक सबसे भयावह आपदा माना जाता था। किंतु बाद में 2019 में आई बाढ़ को सबसे भयावाह माना गया जिसमें लगभग 57 लाख लोग प्रभावित हुए साथ ही भारी स्तर पर आर्थिक क्षति भी हुई।

    असम में बाढ़ के कारण

    भौगोलिक स्थिति

    • असम की भू-आकृति इसे अधिक बाढ़ प्रवण बनाती है।
    • तिब्बत, भूटान, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम आदि क्षेत्रों से पानी का बहाव केवल असम की ओर होता है, जो असम में आने वाली बाढ़ का एक बड़ा कारण है।
    • असम हिमालय का अपेक्षाकृत नवीन भाग है, इसलिये अभी इसकी भूमि कम कठोर है। जब तिब्बत, भूटान, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे उच्च क्षेत्रों से पानी की तीव्रता से असम की ओर प्रवाहित होती है तो भूमि के कम कठोर होने के कारण भूमि क्षरण तेजी से होता है।

    अपवाह तंत्र

    • असम की सबसे बड़ी नदीं ब्रह्मपुत्र है जिसका अपवाह क्षेत्र चीन, भारत, बांग्लादेश और भूटान में लगभग 500,000 वर्ग किमी. का है।
    • ब्रह्मपुत्र विश्व की शीर्ष पाँच अवसाद प्रवाहित करने वाली नदियों में से एक है। इन अवसादों के जमाव से पानी के प्रवाह में रुकावट आती है।

    भूकंप

    • नदियों का प्रवाह भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से होने के कारण नदियों के मार्ग में परिवर्तन हो जाता है। साथ ही नदियों का स्वरूप भी प्रभावित होता है।

    भू-क्षरण

    • नदियों के किनारे के वृक्षों तथा झोपड़ियों की कटाई से भूमि क्षरण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

    शहरी नियोजन

    • नदियों के किनारे लगातार बढ़ती मानव बस्तियाँ बाढ़ में अधिक प्रभावित होती हैं बढ़ती बस्तियों के कारण आर्द्रभूमियों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचा है।

    बांध

    • असम में बाढ़ की समस्या के समाधान के लिये अस्थायी बांध बनाए गए, जिनकी कमजोर संरचना के कारण स्थिति और अधिक दयनीय हो गई।

    उपाय

    • जल संरक्षण, प्रबंधन जैसी परियोजनाओं में निवेश को बढ़ाया जाना चाहिये।
    • भौगोलिक स्थलाकृतियों को ध्यान में रखते हुए बांधों का निर्माण किया जाना चाहिये।
    • सरकार तथा संबंधित एजेसियों को तटबंध बनाने की मौजूदा नीति की समीक्षा करने की जरूरत है। इस प्रकार की योजनाओं में स्थानीय लोगों को भी भागीदारी बनाया जाना चाहिये।

    निष्कर्षत: असम की बाढ़ एक दीर्घकालिक और बहुत ही जटिल समस्या रही है। इस संबंध में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो पा रहे। इस लिये विशेष रूप से असम में आने वाली बाढ़ के कारणों की समीक्षा कराई जानी चाहिये। साथ ही बाढ़ के लिये नई योजनाओं में लोगों की सहभागिता, पर्याप्त वित्तीयन तथा तकनीकों के कुशल प्रयोग पर ध्यान दिया जाना चाहिये।