भूमि निम्नीकरण के संदर्भ में भारत की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए भारत द्वारा इसे रोकने के लिये किये गए उपायों की चर्चा करें।
                  
                      उत्तर :
                      
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 हल करने का दृष्टिकोण: 
• भूमिका 
• भारत में भूमि निम्नीकरण की स्थिति 
• इस रोकने के प्रयास/उपाय 
• निष्कर्ष 
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यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन टू कॉम्बैट डिजर्टिफिकेशन के अंतर्गत 2030 तक भूमि निम्नीकरण को रोकने का लक्ष्य रखा गया है। भारत ने भी सतत् लक्ष्यों के अनुरूप इसे प्राप्त करने का लक्ष्य 2030 सुनिश्चित किया है।
भारत में भूमि निम्नीकरण की स्थिति
- वर्ष 2011-2013 के दौरान भारत का कुल निम्नीकृत भूमि क्षेत्र भारत के कुल भूमि क्षेत्रफल का लगभग 29.3 प्रतिशत था।
 
- TERI के अनुमान के अनुसार वर्ष 2014-15 में भूमि निम्नीकरण तथा भू-उपयोग में परिवर्तन के परिणामस्वरूप आर्थिक हानि, भारत की जीडीपी के लगभग 2.54 प्रतिशत के बराबर थी।
 
- जल अपरदन के साथ-साथ वनस्पति का निम्नीकरण तथा वायु अपरदन भी भारत में मरुस्थलीकरण के प्रमुख कारण हैं।
 
- भारत की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत के कुछ भौगोलिक क्षेत्र का 30 प्रतिशत भाग भू-निम्नीकरण से प्रभावित है।
 
भारत द्वारा किये जा रहे उपाय
- LDN (लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी) कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
 
- संधारणीय कृषि, संधारणीय पशुपालन प्रबंधन, कृषि वानिकी, संधारणीय वानिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, अवसंरचना विकास तथा इको टूरिज्म सहित संपूर्ण विश्व में भूमि पुनर्वासन एवं संधारणीय भूमि प्रबंधन पर बैंक ग्राह्य परियोजनाओं में निवेश करने हेतु एलडीएन विधि का निर्माण करना।
 
- यूएनसीसीडी द्वारा ग्लोबल लैंड आउटलुक जारी किया जाता है जिसमें मानव कल्याण के लिये भूमि की गुणवत्ता के केंद्रीय महत्त्व का प्रदर्शन, भूमि उपयोग का परिवर्तन, निम्नीकरण तथा हानि से संबंधित वर्तमान प्रवृत्तियों का आंकलन, इन्हें प्रेरित करने वाले कारकों की पहचान तथा प्रभावों आदि का विश्लेषण आदि किया जाता है।
 
- एकीकृत जलसंभर प्रबंधन कार्यक्रम, प्रति बूंद अधिक फसल, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम, राष्ट्रीय हरित मिशन आदि योजनाओं में भूमि निम्नीकरण से निपटने हेतु आवश्यक घटक विद्यमान है।
 
उपरोक्त के अतिरिक्त भूमि निम्नीकरण को रोकने हेतु भूमि संसाधनों पर बढ़ते दबावों को कम किये जाने की आवश्यकता है साथ ही मल्टीफंक्शन लैंडस्केप एप्रोच, ग्रामीण-शहरी इंटरफेस का प्रबंधन तथा स्वस्थ तथा उपजाऊ भूमि को किसी भी प्रकार की हानि से बचाने के लिये एकीकृत प्रयासों पर बल दिये जाने की आवश्यकता है।