• प्रश्न :

    हीगेल के नीतिमिमांसा संबंधी आत्मपूर्णतावाद के प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित करें।

    02 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • हीगेल के नीतिमिमांसा संबंधी आत्मपूर्णतावाद के प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख

    • निष्कर्ष

    हीगेल आदर्शवादी दार्शनिक है जिनका नीतिमीमांसीय सिद्धांत आत्मपूर्णतावाद कहलाता है। उनके अनुसार, जीवन का उद्देश्य आत्मसिद्धि प्राप्त करना है। स्वार्थ परमार्थ के अधीन और भावनाएँ बुद्धि के अधीन होनी चाहिये।

    हीगेल का मानना है कि नैतिकता का विकास तीन अवस्थाओं में होता है-

    • पहली अवस्था बाह्यता की अवस्था है जो नैतिक विकास की दृष्टि से निम्न स्तर पर है। इस स्तर पर व्यक्ति दंड के भय या किसी प्रलोभन से राज्य के कानूनों तथा सामाजिक नियमों का पालन करता है। इस अवस्था में दंड विधान की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
    • तर्कशीलता के कुछ विकास के बाद दूसरी अवस्था आती है जिसे हीगेल ने अंत:प्रेरित नैतिकता कहा है। इस स्थिति में व्यक्ति भय या प्रलोभन की जगह अपने अंत:करण की प्रेरणा से नैतिक आचरण करने लगता है।
    • यह अवस्था पहली अवस्था से बेहतर होकर भी पूर्ण नहीं है क्योंकि व्यक्ति में अभी भी व्यक्तिगत हितों के प्रति सजगता बनी रहती है।
    • अंतिम अवस्था पूर्ण एकीकरण की है। बुद्धि या विवेकशीलता के पर्याप्त विकास के बाद यह अवस्था आती है। इसे अवस्था में व्यक्ति का समाज व राज्य के साथ पूर्ण तादात्म्य हो जाता है और वह सामाजिक कल्याण में ही अपने कल्याण को देखने लगता है। उसके लिये यह संभव नहीं रहता कि किसी समाज विरोधी कार्य में अपना लाभ देख सके।
    • हीगेल की नीतिमीमांसा में राज्य का अत्यंत ऊँचा स्थान हैं वह अरस्तू की तरह राज्य को अनिवार्य रूप से नैतिक संस्था मानता है।
    • उसका दावा है कि राज्य में ही समस्त नैतिक तथा सामाजिक मूल्य निहित है।