• प्रश्न :

    फूड फोर्टिफिकेशन से आप समझते हैं? फूड फोर्टिफिकेशन से होने वाले लाभों की चर्चा करते हुए, इसे अपनाने में निहित चुनौतियाँ तथा इसने निपटने हेतु अपनाए जा सकने वाले उपायों को रेखांकित करें।

    27 May, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • फूड फोर्टिफिकेशन की परिभाषा

    • फूड फोर्टिफिकेशन से होने वाले लाभ

    • चुनौतियाँ एवं समाधान

    • निष्कर्ष

    • फूड फोर्टिफिकेशन से आशय खाद्य पदार्थों में एक या अधिक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की जानबूझकर की जाने वाली वृद्धि से है। जिससे कि इन पोषक तत्त्वों की न्यूनता में सुधार या निवारण किया जा सके तथा स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा सके।
    • उल्लेखनीय है कि यह एक ‘पूरक रणनीति’ है एवं यह कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिये संतुलित और विविधतापूर्ण आहार का प्रतिस्थापन नहीं है। राष्ट्रीय पोषण रणनीति में फूड़ फोर्टिफिकेशन पर अत्यधिक बल दिया गया है।
    • भारत में लगभग 70% लोग आहार में अनुशंसित आवश्यक पोषक तत्त्वों का आधे से भी कम उपभोग करते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को ‘प्रच्छन्न भूख’ के रूप में भी जाना जाता है तथा इससे रतौंधी घेंघा, एनीमिया तथा विभिन्न प्रकार की जन्मजात विकृतियाँ उत्पन्न होती हैं।

    लाभ: 

    स्वास्थ्य संबंधी: सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी में होने वाले एनीमिया घेंघ आदि भारत में प्रचलित रोगों का उन्मूलन।

    • विटामिन D की कमी से निपटने के लिये इसे एक प्रभावी उपकरण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
    • संक्रामक रोगों से मृत्यु के खतरे को कम करता है।
    • व्यापक जनसंख्या कवरेज़: चूंकि पोषक तत्त्वों को मुख्य रूप से उपभोग किये जाने वाले प्रमुख खाद्य पदार्थों में जोड़ा जाता है, अत: इसके माध्यम से जनसंख्या के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार संभव है।
    • सामाजिक तथा सांस्कृतिक रूप से भी स्वीकार्य।
    • लागत प्रभावी।

    चुनौतियाँ

    • राज्य सरकारों तथा निजी क्षेत्र द्वारा खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाइड बनाने के सीमित प्रयासों के कारण फोर्टिफिकेशन अनिवार्य होने के स्थान पर निरंतर स्वैच्छिक बना हुआ है।
    • हालाँकि कुछ राज्यों ने ICDS, MDMS, तथा PDS में फोर्टिफिकेशन को अपनाया, परंतु कुछ निश्चित नीतिगत दिशा-निर्देशों, बजटीय बाध्यताओं, तकनीकी ज्ञान के अभाव के कारण राज्यों ने समग्र रूप से इसे नहीं अपनाया है।
    • FSSAI के पास अपने अधिदेश को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये संसाधनों और जनशक्ति का अभाव है।
    • जागरुकता का अभाव- वर्तमान में, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के उपयोग तथा लाभों के संबंध में अत्यधिक गलत सूचना और अनभिज्ञता व्याप्त है।

    उपाय: 

    • इसे राष्ट्रव्यापी लागू किये जाने की आवश्यकता है।
    • सभी राज्यों क समर्थन आवश्यक है। 
    • वृहद पोषक पदार्थों तथा गुणवत्ता के संबंध में FSSAI मानकोें का सख्ती से अनुपालन किया जाना चाहिये।
    • खुले बाजार में उपभोक्ताओं द्वारा मांग में वृद्धि हेतु फूड फोर्टिफिकेशन के संबं में जन जागरुकता अभियान की आवश्यकता है। 
    • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रोत्साहन यह प्रमुख भोजन (Staple Food) के पोषण संबंधी मूल्य में सुधार हेतु भी एक दीर्घकालिक कदम है।