GST परिषद का परिचय देते हुए इसके कार्यों पर प्रकाश डालें, इस संदर्भ में राज्यों की चिंताओं को संक्षेप में रेखांकित करें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• GST परिषद का परिचय एवं कार्य
• इसके संदर्भ में राज्यों की चिंताएँ
• निष्कर्ष
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GST परिषद वस्तु एवं सेवा कर (Noods and Services Tax) से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिश करने के लिये एक संवैधानिक निकाय है। 101वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 279 A(1) में GST परिषद का प्रावधान किया गया है। GST परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्रि करते हैं। यह एक संघीय निकाय के रूप में माना जाता है जहाँ केंद्र और राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।
GST परिषद के कार्य:
- GST परिषद का कार्य निम्नलिखित विषयों पर केंद्र और राज्यों को सिफारिश करना है:
- केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा वसूलें जाने वाले कर, उपकर तथा अधिशुल्क; जिन्हें GST के अंतर्गत समाहित किया जा सके।
- आदर्श GST कानून, उद्ग्रहण के सिद्धांत IGST का बंटवारा और आपूर्ति के स्थान को प्रशासित करने वाले सिद्धांत।
- उस सीमा रेखा का निर्धारण जिसके नीचे वस्तु और सेवा के टर्नओवर को GST से छूट प्रदान की जा सके।
- उस तारीख का निर्धारण जिस तारीख से कच्चे तेल, हाई स्पीड डीज़ल मोटर स्पिरिट (पेट्रोल), प्राकृतिक गैस और एविएशन टरबाइन फ्यूल पर GST वसूली की जा सकेगी।
- किसी भी प्राकृतिक आपदा या विपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधन इकट्ठा करने हेतु किसी विशेष अवधि के लिये कोई विशेश दर का निर्धारण।
- उत्तर-पूर्वी एवं पर्वतीय राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के संबंध में विशेष प्रावधान।
GST के संदर्भ में राज्यों की चिंताएँ:
- कर राजस्व में कमी वर्तमान में आर्थिक मंदा तथा न्यूनतम खपत के समय व्यापक चिंता का विषय बना हुआ है।
- गौरतलब है कि पहले आठ महीनों में GST संग्रह के लक्ष्य का केवल 50% व क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह के लक्ष्य का केवल 60% ही संगृहीत किया गया है।
- GST क्षतिपूर्ण में देरी राज्यों के लिये चिंता का विषय है। GST लागू करते समय राज्यों को 5 वर्षों तक क्षतिपूर्ति देने का आश्वासन दिया गया था। राज्यों द्वारा प्राय: यह शिकायत की जाती है कि केंद्र सरकार फंड होने के बावजूद राज्यों को पैसा नहीं देती है।