• प्रश्न :

    ‘स्वयं सहायता समूहों ने न सिर्फ ग्रामीण भारत के विकास में अपितु महिला सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’ चर्चा कीजिये।

    29 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका

    • ग्रामीण भारत एवं महिला सशक्तीकरण में सहायता समूह का योगदान

    • निष्कर्ष

    स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सभी सदस्य अपनी सामूहिक बचत निधि से जरूरतमंद सदस्य की न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करते हैं जिससे वह सदस्य स्थानीय आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से आजीविका उपार्जन हेतु उद्यमशीलता को आकार प्रदान करता है। विकासशील देशों के लिये स्वयं सहायता समूह ज़मीनी स्तर पर जनसामान्य के आर्थिक सशक्तीकरण का एक प्रमुख माध्यम है। वहीं दूसरी ओर इस अवधारणा को न केवल सामान्य लोगों द्वारा अपनाया जाता है बल्कि दुनिया भर की सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएँ भी स्वयं सहायता समूह के महत्त्व को बखूबी समझती है।

    ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास तथा महिला सशक्तीकरण में योगदान-

    • सामाजिक उद्यमिता को प्रोत्साहन देने में सहायक
    • लोगों में उद्यमशीलता, प्रबंधकीय गुणों जैसे नेतृत्व व निर्णय लेने की क्षमता का विकास।
    • आर्थिक गतिविधियों द्वारा मूल्यवर्द्धक वस्तुओं का उत्पादन।
    • नवाचार तथा रचनात्मक उद्योगों को प्रोत्साहन।
    • रोज़गार, स्वरोज़गार तथा उद्यमिता से गरीब उन्मूलन में सहायक।
    • महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे- अचार, पापड़, बड़ी, दलिया, आटा, अगरबत्ती, मुरब्बा इत्यादि को सुगम उपलब्धता से महिलाओं तथा बच्चों के पोषण तथा विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान।
    • स्वैच्छिक बचत तथा वित्तीय समवेशन को प्रोत्साहन।

    विगत कुछ वर्षों के आँकड़े बताते हैं कि इसमें महिला सहभागिता बढ़ी है जिससे इनकी स्थिति में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। अब तक महिलाओं द्वारा लगभग 6 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी स्वयं सहायता समूह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आँकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, 2011 में शामिल लगभग 7 करोड़ परिवारों को इस योजना के अर्थात् लाने में इस समूहों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस प्रकार स्वयं सहायता समूहों ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन समूहों ने महिलाओं को छोटे व्यापार तथा स्वरोज़गार के लिये प्रोत्साहिन कर उनके कौशल विकास, आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, स्वायत्तता एवं सामाजिक स्थिति में अभूतपूर्व वृद्धि की है।