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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या कारण है कि निजी क्षेत्र में पितृत्त्व अवकाश हेतु कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, पितृत्व अवकाश के लाभों की चर्चा करें।

    28 Apr, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भूमिका

    • पितृत्त्व अवकाश न मिलने के कारण

    • उपाय

    • निष्कर्ष

    वर्तमान में भारत में पितृत्त्व अवकाश के संदर्भ में कोई नेशनल पॉलिसी नहीं है किंतु केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 15 दिन के पितृत्व अवकाश प्रदान करने का प्रावधान है। हालाँकि निजी सेक्टर की बहुत कम कंपनियाँ पुरुष कर्मचारियों को ऐसी सुविधा प्रदान करती हैं निजी क्षेत्र में इसे लागू करने हेतु कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। निजी क्षेत्र को कंपनियों द्वारा पितृत्त्व अवकाश नहीं प्रदान करने हेतु संभावित निम्नलिखित कारण हैं:  

    • पितृत्त्व अवकाश दिये जाने से कार्य में बाधा आती है तथा उनकी उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
    • रूढ़िवादी-सामाजिक मान्यताओं के अनुसार बच्चों की देखभाल करना महिलाओं की ज़िम्मेदारी है। ऐसी मानसिकता भी पितृत्त्व अवकाश हेतु कानून निर्माण की राह में बाधाएँ हैं।
    • पितृत्त्व अवकाश की व्यवस्था न होने के पीछे मुख्य कारण यह भी है कि इसे लागू कराने हेतु कोई बाध्यकारी कानून नहीं बनाया गया है।

    पितृत्त्व अवकाश के लाभ

    • इससे बच्चों की जन्म के पूर्व एवं जन्म के पश्चात् बेहतर देखभाल सुनिश्चित होगी जिससे शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।
    • पितृत्त्व अवकाश कर्मचारियों को उच्च कार्य संतुष्टि प्रदान करेगा जिससे कर्मचारी और कंपनी के संबंध बेहतर होंगे।

    किसी भी व्यवस्था में निम्न उपायों को अपनाकर उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जा सकता है:

    • सूचना तकनीक का प्रभावी उपयोग द्वारा।
    • नागरिक घोषणा पत्र लागू करवाना।
    • सूचना के अधिकार का अधिकाधिक प्रयोग।
    • विभिन्न लोक सेवाओं की गारंटी प्रदान करना।
    • जहाँ संभव हो प्रतिस्पर्द्धा का माहौल तैयार करना।
    • ऐसा देखा गया है कि जिन विभागों का लोक संपर्क ज़्यादा हो तथा जहाँ भ्रष्टाचार की संभावनाएँ ज़्यादा हो, उनमें उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के लिये कुछ स्वतंत्र संस्थाएँ होनी चाहिये जिनमें कुछ पत्रकार, शिक्षाविद्, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सामाजिक कार्यकर्त्ता आदि शामिल हों।
    • सभी विभागों द्वारा वर्ष में कम-से-कम एक बार लोक अदालत जरूर लगाई जाए।
    • भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
    • सतर्कता आयोग, लोकपाल तथा लोकायुक्त जैसी संस्थाओं को प्रभावी बनाया जाना चाहिये।
    • एन.जी.ओ. जन सुनवाई के माध्यम से दबाव बना सकते हैं।
    • सभी परियोजनाओं तथा सेवाओं के संबंध में कुछ घोषणाएँ सार्वजनिक रूप से की जानी चाहिये। जैसे: गुणवत्ता के मानक/विभिन्न चरणों के पूरा होने की समय सीमाएँ, गलती के लिये ज़िम्मेदार अधिकारी की स्पष्ट सूचना।
    • पितृत्त्व अवकाश दिये जाने से पुरुष घरेलू कार्यों में अपना हाथ बँटा सकते हैं जिससे महिलाओं को बच्चे की देखभाल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के बोझ से भी राहत मिलेगी।
    • माता के साथ पिता भी बच्चों के पालन-पोषण में संलग्न होंगे तो बच्चों के लिये बेहतर संज्ञानात्मक तथा मानसिक स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
    • बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी अनिवार्य तौर पर महिलाओं को नहीं उठानी पड़ेगी जिससे महिलाओं का करियर प्रभावित नहीं होगा।

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