• प्रश्न :

    राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग विधेयक, 2019 का मसौदा चर्चा में क्यों है? इस विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए NSC की शक्तियों और कार्यों पर प्रकाश डालें।

    22 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका।

    • विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ।

    • NSC की शक्तियाँ और कार्य।

    हाल ही में, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने डेटा संग्रह को और अधिक पारदर्शी तथा विश्वसनीय बनाने हेतु राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) विधेयक, 2019 के मसौदे पर सुझाव मांगे हैं।

    • लंबे समय से आधिकारिक आँकड़ों के लिये एक स्वतंत्र व सर्वोच्च सलाहकार निकाय की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। सरकार ने आधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली के लिये आमूलचूल परिवर्तनकारी सुधार प्रस्तावित करने के अधिदेश के साथ वर्ष 2000-2001 में रंगराजन आयोग का गठन किया था।
    • रंगराजन आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में 1 जून 2005 को एक अधिसूचना द्वारा अंतरिम उपाय के रूप में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission: NSC) की स्थापना की गई थी।
    • वर्तमान NSC विधेयक, 2019 का मसौदा सांख्यिकीय प्राथमिकताओं और मानकों का क्रमिक विकास करने, निगरानी और प्रवर्तन तथा सांख्यिकीय समन्वय सुनिश्चित करने हेतु देश के सभी मुख्य सांख्यिकीय गतिविधियों के लिये नोडल एवं स्वायत्त निकाय होगा।

    इस विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ

    NSC की संरचना: यह विधेयकआयोग के लिए निम्नलिखित प्रस्ताव करता -

    • एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और पाँच पूर्णकालिक सदस्य (खोज समिति की अनुशंसा पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त)।
    • RBI के गवर्नर द्वारा नामांकित RBI का डिप्टी-गवर्नर।
    • भारत का मुख्य सांख्यिकीविद् (यह पद वर्ष 2005 में वर्तमान NSC की स्थापना करने वाले कार्यकारी आदेश द्वारा सृजित किया गया था)
    • पदेन सदस्य के रूप में मुख्य आर्थिक सलाहकार (वित्त मंत्रालय) की नियुक्ति।

    सांख्यिकीय लेखा परीक्षा: यह विधेयक NSC के भीतर एक राष्ट्रीय सांख्यिकीय लेखा परीक्षा और मूल्यांकन संगठन की स्थापना का प्रावधान करता है। इस संगठन का प्रमुख एक मुख्य सांख्यिकी लेखा परीक्षक होगा जिसे भारत सरकार के सचिव स्तर का दर्जा प्राप्त होगा।

    NSC की शक्तियाँ और कार्य

    • सरकार, अधिकारिक आँकड़ों से संबंधित मामलों में किये जाने वाले विधायी उपायों पर आयोग से परामर्श लेगी।
    • अधिािकरिक सांख्यिकीय प्रणाली से संबंधित राष्ट्रीय नीतियों और प्राथमिकताओं की पहचान और क्रमिक विकास करना।
    • मानक सांख्यिकीय अवधारणाओं, परिभाषाओं, वर्गीकरण और कार्यप्रणालियों को निर्धारित करना।
    • उच्चतम मानक और व्यावसायिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिये आँकड़ों के प्रति जनता के विश्वास को बढ़ाने हेतु उपाय करना।
    • आधिकारिक आँकड़ों के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान और शिक्षा जगत की भागीदारी को बढ़ावा देना।
    • मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और अन्य एजेंसियों के मध्य सांख्यिकीय समन्वय स्थापित करना।
    • NSO, देश के अंदर और बाहर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रक में सभी उपयोगकर्ताओं के मध्य मुख्य (कोर) आँकड़ों के प्रसार के लिये एक ‘‘वेयरहाऊस’’ का अनुरक्षण करेगा तथा विदेशी सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के लिये एकमात्र सूचना प्रदाता के रूप में कार्य करेगा।
    • सरकार ने महत्त्वपूर्ण डेटा उत्पन्न करने वाली गैर-सरकारी एजेंसियों (जैसे- सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी: CMIE) पर प्राधिकार के संबंध में आयोग को व्यापक शक्तियाँ देने का भी प्रस्ताव किया है।