• प्रश्न :

    भारत का संविधान सामाजिक और आर्थिक न्याय का प्रावधान करता है किंतु स्वतंत्रता के बाद से ही सार्वजनिक धन के प्रभावी प्रबंधन का अभाव रहा है। इस संदर्भ मेंः

    1. सार्वजनिक धन की प्रभावशीलता और उपयोगिता के संबंध में सरकार के प्रयासों को बताएँ।
    2. इन प्रयासों की सफलता व असफलता को बताते हुए सुझाव प्रस्तुत करें।

    17 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका।

    • सरकार के प्रयासों का उल्लेख करें।

    • उसकी सफलता और असफलता के संदर्भ में तर्क दें।

    • सुझाव तथा निष्कर्ष लिखें।

    भारत जैसे विकासशील देश में फंड सीमित है लेकिन आवश्यकताएँ असीमित। इसलिये विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सार्वजनिक धन के प्रभावी उपयोग और प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

    इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने समय-समय पर निम्नलिखित प्रयास किये हैंः

    कार्यकुशलता का मूल्यांकन - इस बात को जाँचने के लिये कि निधियों का प्रभावी प्रयोग किया जा रहा है या नहीं।

    • निष्पादन बजट को लागू किया जाना ताकि वित्त का प्रभावी व कुशल उपयोग संभव हो सके।
    • विभिन्न योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विवेकीकरण।
    • सोशल ऑडिटिंग को बढ़ावा।
    • विभिन्न परियोजनाओं/कार्यक्रमों के लिये जियो टैगिंग।
    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण।
    • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा।
    • इन प्रयासों से सार्वजनिक धन के उपयोग की दक्षता व प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है। भ्रष्टाचार, लीकेज आदि में कमी आई है तथा पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, लक्षित व्यक्ति को लाभ, पेशेवर मूल्यों आदि को बढ़ावा मिला है।

    किंतु उपर्युक्त प्रयासों के बावजूद अनेक खामियाँ मौजूद हैं, जिनमें शामिल हैंः

    • अभी भी सरकार का वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति पर अधिक बल रहता है न कि वास्तविक भौतिक लक्ष्यों की प्राप्ति पर।
    • वित्तीय मंजूरियों में अक्सर विलंब होता है। इसके अलावा, लंबी प्रक्रिया के कारण लागत बढ़ जाती है।
    • अभी भी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी संबंधी अवसंरचना का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है।
    • अकुशल, अक्षम और अपर्याप्त कर्मचारी वर्ग।
    • निधियों के प्रयोग की प्रभावी मॉनीटरिंग का आधुनिकीकरण अभी भी सफलतापूर्वक लागू नहीं हो पाया है।

    उपर्युक्त कमियों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित प्रयास किये जाने चाहियेः

    • उचित प्लानिंग और बजटिंग।
    • मजबूत वित्तीय सूचना प्रणाली का विकास।
    • विकेंद्रीकृत नियोजन को बढ़ावा।
    • सहकारी संघवाद की मज़बूती।
    • राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को समय-सीमा में पूरा करना।
    • मैन पावर - वित्तीय विशेषज्ञों की नियुक्ति और प्रशिक्षण व्यवस्था।

    निष्कर्षतः सार्वजनिक धन के प्रभावी प्रबंधन हेतु उपर्युक्त सुझावों को सम्मिलित करते हुए सरकार को इस संबंध में प्रयास करना होगा जिससे सामाजिक-आर्थिक न्याय की प्राप्ति द्वारा समता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मज़बूती प्रदान की जा सकेगी।