• प्रश्न :

    आतंकी वित्त को आतंकवाद के जीवन रक्त के रूप में परिभाषित किया गया है। आतंकी वित्तपोषण को रोकने के लिये भारत सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? आतंकी वित्तपोषण से निपटने में कौन-सी चुनौतियाँ हैं? (250 शब्द)

    06 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • आंतकी वित्त आतंकवाद के जीवन रक्त के रूप में कैसे?

    • आतंकी वित्तपोषण को रोकने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम।

    • इससे निपटने में आने वाली चुनौती।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • संक्षेप में परिचय दें। आतंकी वित्त को आतंकवाद के जीवन रक्त के रूप में स्पष्ट करते हुए इसके स्रोतों को बताएँ।

    • आंतकी वित्तपोषण रोकने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम बताएँ।

    • आतंकी वित्तपोषण से निपटने में आने वाली चुनौतियों को बताते हुए उत्तर को समाप्त करें।

    वर्तमान समय में आतंकवाद वैश्विक जगत के समक्ष सबसे बड़ी समस्या है। भय और हिंसा की अपनी मूल प्रकृति के कारण आतंकवाद ने मानव अस्तित्व के समक्ष प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। यह कई आधारों पर है, जिसमें आतंकवाद वित्त प्रमुख है।

    वस्तुत: आतंकवाद वित्त के माध्यम से आतंकवादी संगठनों को अपनी कार्रवाई करने के लिये संसाधन प्राप्त होते है। इसके आधार पर वे अपने प्रभाव का विस्तार तथा हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दे पाते हैं। चाहे न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हो या 2008 का मुंबई पर आंतकी हमला, यह बड़े पैमाने पर आतंकवाद वित्त के माध्यम से ही संभव हो पाया। इसी कारण आतंकवाद के जीवन रक्त के रूप में इसे परिभाषित किया गया है।

    आतंकी निधियों के प्रमुख स्रोतों में मानव तस्करी, मादक पदार्थों एवं अवैध हथियारों की तस्करी, हवाला कारोबार एवं नकली मुद्रा का प्रसार आदि प्रमुख हैं। तालिबानी आतंकवादियों ने अफीम को खेती एवं उसके कारोबार से अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा किया है।

    आतंकी वित्तपोषण रोकने के लिये भारत सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

    • भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) का सदस्य है। इसके अलावा अनेक बहुपक्षीय मंचों पर इसके विरोध में मुखर होकर आवाज़ उठाता है, जैसे- G-20, शंघाई सहयोग संगठन एवं ब्रिक्स मंच।
    • वैधानिक स्तर पर ‘द् अनलॉफुल एक्टिविटि (प्रिवेंशन) एक्ट, 1967 (UAPA) एवं द् प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिग एक्ट, 2002 (PMLA) प्रमुख प्रयास हैं। इन दोनों कानूनों में 2013 में संसोधन के माध्यम से आंतकी वित्तपोषण को रोकने के लिये पर्याप्त सख्त प्रावधान शामिल किये गए।
    • 2011 में गृह मंत्रालय के अंर्तगत आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिये एक स्पेशल सेल (CFT) का निर्माण किया गया है।
    • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के अंतर्गत आतंकी निधियन की जाँच के लिये एक आतंकी निधियन एवं नकली मुद्रा सेल की स्थापना की गई।
    • नवंबर 2016 में एक हज़ार एवं पाँच सौ रुपए मूल्य वाले नोटों का विमुद्रीकरण।

    आंतकी वित्तपोषण से निपटने में निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं:

    • कुछ देशों द्वारा आतंकवादी संगठनों को प्रश्रय देना तथा उनका वित्तपोषण करना। इसके कारण इनके खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई प्रभावी नहीं हो पाती है।
    • आतंकवाद एवं संगठित अपराध का गठजोड़ जिसके कारण हवाला एवं फिरौती के माध्यम से धन उगाही की प्रक्रिया सरल हो जाती है।
    • प्रभावी निगरानी तंत्र का अभाव एवं लचर कानून व्यवस्था भी एक हद तक इसके लिये ज़िम्मेदार है।
    • अच्छे आतंकवाद एवं बुरे आतंकवाद का वर्गीकरण भी एक प्रमुख चुनौती है।