• प्रश्न :

    कुछ बाधाओं के कारण भारत की ग्रामीण जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आज भी आर्थिक विकास से अपवर्जित है। इसके निवारण हेतु उपाय एवं संबंधित सरकारी पहलों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    04 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    किसी भी देश का आर्थिक विकास वहाँ के लोगों के विकास को प्रदर्शित करता है लेकिन भारत की जनसंख्या का एक बड़ा भाग जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था से संबद्ध है, आज भी आर्थिक विकास में पिछड़ा है जिसके पीछे अनेक कारण उत्तरदायी हैं, जो निम्नलिखित हैं-

    • गाँवों में बैंकिंग सुविधाओं के उचित प्रसार में कमी।
    • दुर्गम या रिमोट क्षेत्रों में सड़कों का अभाव जिससे उत्पादन स्थल एवं बाज़ार के मध्य सांमजस्य नहीं बन पाता।
    • ग्रामीण विकास से संबंधित स्थानीय नवाचारों के प्रोत्साहन हेतु वित्त की कमी।
    • सरकारी आर्थिक नीतियों तक पहुँच में अनेक समस्याएँ, जैसे- तकनीकी समझ, इंटरनेट की पर्याप्त पहुँच और उसके प्रति सहजता का अभाव आदि।
    • नीति लागू करने वाले प्रशासनिक सेवकों एवं स्थानीय लोगों के मध्य भाषा की असहजता।
    • आवश्यक बुनियादी/अवसंरचनात्मक सुविधाओं का अभाव जिससे आर्थिक विकास की बजाय जीविकोपार्जन में ही संलग्न रहना।
    • कृषि-उत्पादन को बढ़ावा देने व कीट-प्रकोप से बचाव हेतु नई तकनीक तक पहुँच व उसके प्रति जागरूकता का अभाव।
    • पर्याप्त बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुँच न होना जिससे आर्थिक विकास बाधित होता है।

    निवारण के उपाय

    • पंचायत एवं ब्लॉक स्तर पर योजनाएँ बनाना और उनको लागू करने में जनभागीदारी सुनिश्चित करना।
    • शिक्षा में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की आवश्यकताओं को शामिल करना, जिससे बच्चों एवं युवाओं को अपने क्षेत्र के स्थानीय विकास के प्रति जागरूक किया जा सके।
    • व्यापक स्तर पर समय-समय पर बाज़ार मेले आयोजित करना जिसमें स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।
    • कृषि विकास हेतु नई तकनीकों का प्रदर्शन कृषि मेलों एवं जागरूकता अभियानों के माध्यम से सुनिश्चित करना।
    • आर्थिक विकास के लिये अति-महत्त्वपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने हेतु सहज एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करना आदि।

    इसके साथ ही सरकार द्वारा केंद्र व राज्य विशेष के संदर्भ में अनेक योजनाओं का निर्माण किया गया है जिनका समयानुकूल, स्थानानुकूल क्रियान्वयन कर आर्थिक विकास की प्रगति को संभव बनाया जा सकता है, जो निम्न हैं-

    • वित्तीय-समावेशन हेतु जन-धन योजना (2014);
    • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, 2000 (अवसंरचनात्मक विकास हेतु);
    • दीनदयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना (2014);
    • मनरेगा (2005);
    • आयुष्मान योजना (2018);
    • पीएम आवास योजना (2015);
    • परंपरागत कृषि-विकास योजना, 2015 (जैव-कृषि को बढ़ावा देना);
    • ई-एन.ए.एम. (e-NAM) 2016;
    • पीएम फसल बीमा योजना, 2016 आदि।

    इस प्रकार यह कहना उचित होगा कि देश के सर्वांगीण विकास की जड़ें ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में निहित हैं जिसकी प्राप्ति सभी पक्षों पर ध्यान देते हुए सरकारी नीतियों एवं आवश्यक नवाचारों को प्रोत्साहन देकर की जा सकती है।