• प्रश्न :

    भीड़ हिंसा भारत में एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रही है। उपयुक्त उदाहरण देते हुए, ऐसी हिंसा के कारणों और परिणामों का विश्लेषण कीजिये। भीड़ हिंसा को रोकने के लिये उपाय भी सुझाइये। (250 शब्द)

    23 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • मॉब लिंचिंग के कारण।
    • मॉब लिंचिंग के परिणाम।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • सर्वप्रथम परिचय लिखें।
    • मॉब लिंचिंग को कानून और व्यवस्था की समस्या के रूप में स्पष्ट करते हुए इसके कारणों को उदाहरण सहित बताएँ।
    • मॉब लिंचिंग के परिणामों को बताते हुए अंत में इससे निपटने के उपाय सुझाते हुए उत्तर को समाप्त करें।

    भारत में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ एवं ‘अंहिसा परमोधर्म,’ के मूल्यों की ऐतिहासिक परंपरा चली आ रही है। पिछले कुछ समय में देश में हुई मॉब लिंचिंग इस परंपरा पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। कभी गौरक्षा के नाम पर, कभी धर्म या जाति तो कभी वैचारिक भिन्नता के नाम पर ऐसी घटनाएँ देश के अधिकांश भागों में देखने को मिली हैं।

    भारत में बढ़ती मॉब लिंचिंग के कारण लोगों का कानून व्यवस्था एवं न्याय व्यवस्था से भरोसा खत्म हो सकता है। इससे सामाजिक सद्भाव का ताना-बाना छिन्न-भिन्न होने का खतरा है। यह भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश के लिये ठीक नहीं है।

    भारत में बढ़ती भीड़-हिंसा के निम्नलिखित कारण हैं:

    • रूढ़िवादी एवं सांप्रदायिक ताकतों द्वारा धर्म की आड़ में हत्या को सही ठहराने का प्रयास करना। उदाहरण के लिये गोमांस के शक के आधार पर की गई ‘ईकलाख’ की हत्या या गोरक्षा के नाम पर ‘पहलू’ की हत्या को इस संदर्भ में देखा जा सकता है।
    • समाज की ऊँची जातियों द्वारा अपने प्रभुत्व को बनाए रखने की लालसा भी ऐसी घटनाओं के लिये ज़िम्मेदार है। उदाहरण के लिये ‘उना कांड’ में की गई दलितों की हत्या।
    • भीड़ द्वारा लक्ष्य करके किये जाने वाले हमलों के पीछे कहीं-न-कहीं उनको मिलने वाला राजनीतिक संरक्षण भी काम करता है। उदाहरण के लिये सहारनपुर की जातीय हिंसा।
    • समाज के असंतुष्ट वर्गों द्वारा शासन-प्रशासन को दोषी मानने की प्रवृत्ति भी मॉब लिंचिंग को बढ़ावा देती है। उदाहरण के लिये हाल में जम्मू-कश्मीर में डीएसपी ‘अयूब पंडित’ की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की गई हत्या।

    मॉब लिंचिंग के परिणाम निम्नलिखित होंगे:

    • इससे युवाओं सहित देश के नागरिकों में नक्सलवाद या आतंकवाद जैसी अवैध गतिविधियों के प्रति आकर्षित होने की संभावना में तीव्र वृद्धि देखने को मिलती है।
    • सामाजिक व्यवस्था के निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है।
    • अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ की छवि धूमिल होती है, जो उसकी विदेश नीति का प्रमुख आधार है।
    • इससे देश में असुरक्षा का माहौल उत्पन्न होगा, जिससे भय एवं निराशा का प्रसार होगा, जो देश के समक्ष आंतरिक सुरक्षा के लिये प्रमुख चुनौती होगी।

    निष्कर्षत: मॉब लिंचिंग भारत के समक्ष एक गंभीर कानून एवं व्यवस्था की समस्या के रूप में उभरी है। यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भी चोट करती है। अत: सख्त कानूनों के निर्माण तथा उनके प्रभावी क्रियान्वन को सुनिश्चित कर, गुनाहगारों को सज़ा देकर लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास को बनाए रखना चाहिये। समाज के सभी वर्गों द्वारा ऐसे कृत्यों का मुखर रूप से विरोध किया जाना चाहिये ताकि भारत को आदमखोर भीड़ तंत्र में बदलने से रोका जा सके।