• प्रश्न :

    सरदार सरोवर बांध नि:संदेह आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है किंतु इसके नकारात्मक सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव को अनदेखा नहीं किया जा सकता। समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये।

    09 Oct, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद
    सरदार सरोवर बांध के आर्थिक महत्त्व को बताते हुए इसके संभावित खतरों की भी चर्चा करनी है।

    हल करने का दृष्टिकोण
    बांध का सामान्य परिचय देते हुए एक प्रभावी भूमिका लिखें।
    परियोजना के आर्थिक महत्त्व की चर्चा करें।
    इसकी सामाजिक एवं पर्यावरणीय चिंताओं को बताएँ।

    हाल ही में प्रधानमंत्री ने नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध राष्ट्र को समर्पित किया है। यह विश्व में दूसरा बड़ा गुरुत्वीय बांध है। इस परियोजना से सिंचाई और बिजली आपूर्ति में मदद मिलेगी। किंतु लोगों और पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना के कारण इसका लंबे समय से विरोध किया जाता रहा है।

    परियोजना का आर्थिक महत्त्व:

    इस परियोजना से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात को बिजली प्राप्त होगी जिससे यहाँ की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। हालाँकि प्रयोजना से राजस्थान को केवल पानी मिलेगा तथापि सिंचाई के लिये पानी की प्रचुर मात्रा में आपूर्ति से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। साथ ही कृषि क्षेत्र में रोज़गार का भी सृजन होगा। कच्छ और सौराष्ट्र के अधिकतर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई संभव होने से यहाँ आर्थिक गतिविधियों का प्रसार होगा। पानी के कुछ हिस्से का उपयोग औद्योगिक कार्यों में भी किया जाएगा।

    सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव:

    बांध के डूब क्षेत्र में लगभग 300000 आबादी जिनमें अधिकतर गरीब किसान और जनजातीय लोग हैं, पर विस्थापन का खतरा है। इनके पुनर्वास का भी प्रभावी प्रबंधन अब तक नहीं किया गया है। बांध के आस-पास के वनों में जलप्लावन के कारण दुर्लभ प्रजातियों के प्रमुख आवास नष्ट हो जाएंगे। साथ ही, बड़ी मात्रा में गाद के कारण और वनस्पति के डूबने से मीथेन गैस अधिक मात्रा में बनेगी जो ग्रीनहाउस गैस की मात्रा में वृद्धि करेगी।

    इस परियोजना से कई सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो पाएगी, साथ ही कई क्षेत्रों में घरों में स्वच्छ जल की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जा सकेगी। किंतु इसके संभावित खतरे को देखते हुए सरकार द्वारा परियोजना पर वर्तमान के संदर्भ में पुनर्विचार करते हुए इसके सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिये।