• प्रश्न :

    “नदी जोड़ो परियोजना एक बड़ी चुनौती तो है, साथ ही यह जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले जल संबंधी मुद्दों को हल करने का एक अवसर भी है।” इस संदर्भ में अपने विचार व्यक्त कीजिये।

    12 Sep, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • नदी जोड़ो परियोजना की पृष्ठभूमि लिखिये।

    • यह जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों को किस प्रकार हल कर सकती है, इसका वर्णन कीजिये।

    • नदी जोड़ो परियोजना से संबंधित चुनौतियों का वर्णन कीजिये।

    • संक्षिप्त एवं संतुलित निष्कर्ष लिखिये।

    मानसून के सीज़न में हर वर्ष देश के कुछ हिस्से बाढ़ में डूब जाते है तो कुछ क्षेत्रों में सूखे जैसे हालात बने रहते हैं। देश की कुछ नदियों में आवश्यकता से अधिक पानी रहता है तथा अधिकांश नदियाँ ऐसी हैं जो बरसात के मौसम के अलावा वर्षभर सूखी रहती हैं या उनमें पानी की मात्रा बेहद कम रहती है। ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ जिनमें पानी अधिक रहता है, से लगातार बाढ़ आने का ख़तरा बना रहता है। राष्ट्रीय नदी-जोड़ो परियोजना (NRLP) ‘जल अधिशेष' वाली नदी घाटी (जहाँ बाढ़ की स्थिति रहती है) से जल की ‘कमी’ वाली नदी घाटी (जहाँ जल के अभाव या सूखे की स्थिति रहती है) में अंतर-घाटी जल अंतरण परियोजनाओं के माध्यम से जल के हस्तांतरण की परिकल्पना की गई।

    संभावित लाभ

    • जलविद्युत उत्पादन
    • सिंचाई संबंधी लाभ
    • वर्षभर नौवहन सुविधा
    • रोज़गार सृजन
    • सूखे और बाढ़ की समस्या का समाधान
    • पारिस्थितिकीय लाभ

    चुनौतियाँ

    • इस परियोजना के तहत बनाए जाने वाली नहरों एवं जलाशयों के निर्माण से बड़ी मात्रा में निर्वनीकरण की स्थिति उत्पन्न होगी जो पर्यावरण व जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।इससे बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन होगा जिनका पुनर्वास करना एक बड़ी चुनौती होगी।
    • सबसे बड़ी बाधा इस परियोजना पर आने वाली अत्यधिक अनुमानित लागत है, जिसकी व्यवस्था करना वर्तमान परिस्थितियों में सरकार के लिये संभव नहीं है।
    • विशेषज्ञों के अनुसार, नदी जोड़ो परियोजना के प्रायद्वीपीय हिस्से पर ही अमल करना अपेक्षाकृत आसान है, क्योंकि हिमालयी नदियों की परियोजनाओं पर अमल करने के लिये पड़ोसी देशों से सहमति और समझौते की ज़रूरत होगी।

    वस्तुतः नदी जोड़ो परियोजना से संबंधित अनेक चुनौतियों के बावजूद यह आज के समय की माँग बनी हुई है, अतः एकीकृत तरीके से जल संसाधनों का विकास और इसके लिये लघु अवधि और दीर्घावधि के तमाम उपायों को अपनाया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त वर्षा जल संचयन, सूक्ष्म कृषि सिंचाई प्रणाली, लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता आदि प्रयासों द्वारा जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाना चाहिये ताकि नदी जोड़ो जैसी परियोजना की आवश्यकता को कम किया जा सके।