• प्रश्न :

    मानक हिंदी की व्याकरणिक विशेषताओं का परिचय दीजिये। (2013, प्रथम प्रश्न-पत्र, 3 ख)

    05 Dec, 2017 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    व्याकरण किसी भी भाषा को अनुशासित करने की एक पद्धति है। हिंदी भाषा का भी अपना एक स्पष्ट व्याकरण है। इसके प्रमुख रूप से चार अंग हैं-

    1. जब व्याकरण सम्मत नियमों के आधार पर कोई शब्द किसी व्याकरणिक कोटि के रूप में वाक्य में निश्चित स्थान ग्रहण करता है तो पद बन जाता है। पद संरचना को निम्न चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है-
    2. 2. हिंदी में विकार पैदा करने वाले पाँच तत्त्व माने गए हैं जिन्हें आरेख द्वारा दर्शाया जा सकता है-

    मानक हिंदी में दो लिंगों की व्यवस्था है। इसी प्रकार वचन भी दो हैं- एकवचन और बहुवचन। वहीं वाक्यों की संख्या तीन है- कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य।

    जबकि कालों की संख्या स्वाभाविक रूप से यहाँ भी तीन है-

    1. भूतकाल
    2. वर्तमान काल
    3. भविष्य काल

    अविकारी तत्त्व वे हैं जो किसी भी परिस्थिति में परिवर्तित नहीं होते हैं। प्रत्येक काल, वचन तथा लिंग में इनकी एक-सी संरचना बनी रहती है। इनकी संख्या चार है-

    1. कारक व्यवस्था क्रिया के साथ विभिन्न संज्ञाओं का संबंध बताती है। हिंदी में भी संस्कृत की तरह 8 कारक स्वीकृत हैं- कर्त्ता (ने), कर्म (को), करण (से), संप्रदान (के लिये), अपादान (से अलग), संबंध (का, के, की), अधिकरण (में, पर), संबोधन (हे)।
    2. वाक्य संरचना किसी भी भाषा की अर्थ प्रदात्री इकाई होती है। यह कुछ शब्दों के व्यवस्थित संयोग से बनती है। वाक्य प्रायः तीन प्रकर के होते हैं-