• प्रश्न :

    वर्तमान समय में संवेदनहीनता तथा हिंसक घटनाओं में तेजी़ से वृद्धि हुई है। इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि क्या नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

    10 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में संवेदनहीनता और हिंसक घटनाओं का उल्लेख करें। 
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि नैतिक शिक्षा किस प्रकार लोगों में संवेदना का विकास कर सकती है।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    वर्तमान समय में विश्व में लोगों में संवेदनशीलता की कमी तथा टॉलरेंस के अभाव के कारण हिंसात्मक घटनाओं में वृद्धि हुई है। विभिन्न देशों में आतंकवादी घटनाओं का प्रसार, विभिन्न नस्ल के लोगों के साथ हिंसक घटनाएँ, पत्रकारों तथा समाजशास्त्रियों की हत्या तथा सरकार एवं सेना और नागरिकों के बीच होने वाला विद्वेष इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। भारत के संदर्भ में ऑनर किलिंग की बढ़ती घटनाएँ,  माता-पिता द्वारा अपनी संतान की हत्या का प्रयास(शीना बोरा हत्याकांड), सांप्रदायिकता की बढ़ती घटनाएँ ( बंगाल तथा उत्तर प्रदेश में ) तथा जाति के नाम पर हिंसक घटनाएँ आदि के रूप में इसे देखा जा सकता है 

    कारण

    • नगरीकरण तथा व्यस्त जीवन-शैली।
    • टूटते पारिवारिक संबंध तथा लोगों में मूल्य एवं नैतिकता का पतन।
    • व्यवहार में अनैतिक प्रक्रियाओं का अपेक्षाकृत अधिक सफल होना।
    • सहिष्णुता में कमी तथा आपसी प्रतिस्पर्धा में वृद्धि।
    • आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक हितों में टकराव।
    • समाज द्वारा एक मूल्य के रूप में संवेदनशीलता को नकारात्मक रूप में लेना।

    संक्षिप्त रूप में नैतिक शिक्षा का तात्पर्य व्यक्ति को अच्छे-बुरे का ज्ञान करवाने से है। किंतु व्यवहार में देखा जाए तो अच्छे-बुरे का ज्ञान होने पर भी व्यक्ति अपने स्वार्थों के कारण गलत तरीका अपनाने से नहीं चूकते। उदाहरण के लिये हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक का प्रयोग करना पर्यावरण के अनुकूल नहीं है इसके बाद भी हम अपनी सुविधा के लिये प्लास्टिक का प्रयोग करते हैं। अतः केवल अच्छे -बुरे का ज्ञान व्यक्ति को संवेदनशील नहीं बना सकता।

    वास्तव में नैतिक शिक्षा को एक व्यापक रूप में लिये जाने की आवश्यकता है जो व्यक्ति को न केवल अच्छे बुरे का ज्ञान करवाए बल्कि उसमें ऐसी प्रवृतियों का विकास करे जो उसे अच्छाई के पथ पर चलने  के लिये बाध्य करे। गांधी तथा  कांट ने भी ऐसी शिक्षा प्रणाली पर बल देने के लिये कहा था जो व्यक्ति के आचरण को नैतिक बना पाए। यदि ऐसा किया जाता है तो नैतिक शिक्षा से युक्त व्यक्ति अपने स्वार्थों के लिये हिंसा तथा असंवेदनशीलता जैसी प्रवृति में संलग्न नहीं होंगे और ऐसी घटनाओं में कमी आएगी।