• प्रश्न :

    "जम्मू-कश्मीर की द्वंद्वात्मक स्थिति यह सिद्ध करती है कि विकास एवं असंतोष का सीधा संबंध नहीं है।" इस कथन की सप्रमाण पुष्टि करें एवं यहाँ की वर्तमान कष्टकारक स्थितियों का उल्लेख करते हुए इन्हें दूर करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों का वर्णन करें।

    09 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (NFHS)  के चौथे दौर के आँकड़ों से यह प्रमाण मिलता है कि प्रमुख मानव विकास सूचकांकों (HDIs) के आधार पर तुलना करने पर जम्मू-कश्मीर की स्थिति न केवल अन्य उग्रवाद प्रभावित राज्यों (जैसे असम, नागालैंड, माणिपुर, छत्तीसगढ़ आदि) से बेहतर है बल्कि औसत भारतीय राज्यों से भी बेहतर है। यद्यपि जम्मू-कश्मीर के निवासी काफी कष्टकारक स्थितियों में हैं फिर भी यहाँ HDI सूचकांकों का उच्च होना यह साबित करता है कि असंतोष एवं विकास का कोई सीधा संबंध नहीं है। चूँकि HDI मापन में औसत आय, शिक्षा एवं जीवन प्रत्याशा जैसे संकेतकों का उपयोग किया जाता है जिनमें जम्मू-कश्मीर की स्थिति बेहतर है। असंतोष, अवसाद एवं मानसिक तनाव जैसे मानसिक कारक को शामिल नहीं किये जाने के कारण HDI के आधार पर जम्मू-कश्मीर की वास्तविक स्थिति का आकलन नहीं किया जा सकता। 

    जम्मू-कश्मीर में कष्टकारक स्थिति-

    • जम्मू-कश्मीर में प्रमुख रोजगार के साधनों की कमी है। युवा आबादी अधिकांशतः बेरोजगार है अथवा उन्हें गुणवत्तापरक रोजगार नहीं मिल पाता। इससे कश्मीरी युवाओं में निराशा एवं तनाव की वृद्धि हुई है।
    • वर्षों से सशस्त्र संघर्ष एवं सैन्यकरण के वातावरण ने कश्मीर के निवासियों पर भावनात्मक प्रभाव डाला है।
    • कश्मीर में किये गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि कश्मीर घाटी के 45% व्यस्कों में मानसिक तनाव एवं 41% व्यस्कों में अवसाद की स्थिति पाई गई। इसके विपरीत भारत के 2015-16 के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आँकड़ों में अखिल भारतीय स्तर पर अवसाद का स्तर इकाई के अंक में ही था। 

    सरकार द्वारा उठाए गए कदम-

    • जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिये रोजगार के अवसर सृजित करने के लिये केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (Jammu Kashmir Enterpreneurship Development Institute : JKEDI) की स्थापना की।
    • केद्र सरकार ने हिमायत (HIMAYAT) योजना प्रारंभ की जो जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिये कौशल प्रशिक्षण-सह-प्लेसमेंट कार्यक्रम (training-cum-placement programme) है। इसके अंतर्गत युवाओं को तीन महीने के लिये ऐसे क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जिसकी बाजार में अच्छी मांग हो। प्रशिक्षण की समाप्ति के पश्चात युवाओं को नौकरी प्रदान करवाई जाती है एवं प्लेसमेंट के एक वर्ष पश्चात उनकी ट्रेकिंग की जाती है कि उनका कार्य कैसा चल रहा है।
    • सरकार ने उड़ान योजना (UDAN Scheme) शुरू की जिसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर बेरोजगार युवाओं की रोजगार क्षमता में वृद्धि करना है। इस योजना में स्नातक, परास्नातक (PG) एवं तीन वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक शामिल हैं।

    इस प्रकार कश्मीर के युवाओं को रोजगार प्राप्त होने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि वे मानसिक तनाव, अवसाद एवं निराशा की स्थिति से बाहर निकलने में सफल हो सकेंगे। साथ ही जम्मू-कश्मीर के निवासियों की एक भावनात्मक संबल की आवश्यकता है।