• प्रश्न :

    शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) की पूर्ण सदस्यता भारत के लिये आर्थिक, सांस्कृतिक, भू-राजनीतिक व सामरिक दृष्टिकोण से हितकारी सिद्ध होगी। विवेचना कीजिये।

    06 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    शंघाई सहयोग संगठन एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका गठन वर्ष 2001 में हुआ था। वर्तमान में रूस, चीन, कज़ाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान इस संगठन के पूर्ण सदस्य है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान, ईरान व मंगोलिया इस संगठन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं। एस.सी.ओ. एक राजनीतिक, आर्थिक एवं सैन्य संगठन है, जिसका मुख्य कार्य मध्य एशिया में स्थिरता को मजबूत करना है। साथ ही, यह संगठन आपदा की स्थिति में सदस्य देशों में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने, नागरिक सुविधाओं में एक-दूसरे की मदद करने तथा वित्तीय, आर्थिक व सामरिक सहायता प्रदान करने के लिये भी प्रतिबद्ध है। हाल ही में रूस और चीन दोनों देशों ने भारत के इस संगठन में ‘पूर्ण सदस्य’ के रूप में प्रवेश के लिये सहमति दी है। इसीलिये इस बात की पूर्ण संभावना है कि जल्द ही भारत एस.सी.ओ. का पूर्ण सदस्य होगा। चीन ने पाकिस्तान की इस संगठन में पूर्ण सदस्यता की पैरवी भी की है।

    एस.सी.ओ. की ‘पूर्ण सदस्यता’ भारत के हित में कैसे?

    • एस.सी.ओ. की सदस्यता से भारत को मध्य-एशिया से औपचारिक तौर पर जुड़ने के लिये एक और मजबूत मंच मिल जाएगा। संगठन में शामिल मध्य एशिया के देशों में अपार ऊर्जा संसाधन उपलब्ध है। जिससे भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति में सहयोग मिलेगा।
    • भारत का चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा-विवाद है। यह संगठन उन सीमा-विवादों को हल करने के लिये उचित मंच बन सकता है क्योंकि चीन व पाकिस्तान भी इसके सदस्य हैं।
    • कुछ रूकी हुई परियोजनाओं को लागू करने के लिये भी यह संगठन उचित वातावरण निर्मित कर सकता है। जैसे- तापी परियोजना, ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन आदि।
    • इस मंच पर भारत रूस जैसे सदस्य देशों के सहयोग से पाकिस्तान पर आतंकवादियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिये व सीमापार आतंकवादी भेजने से रोकने के लिये भी दबाव बना सकता है।
    • रूस, चीन व मध्य एशियाई देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान से इस पूरे क्षेत्र में आपसी भाई-चारे की भावना उत्पन्न होगी; आपसी व्यापार से आर्थिक समृद्धि आएगी तथा एक साथ आतंकवाद से लड़ने की कोशिश से शांति की स्थापना भी होने की संभावना है।

    अतः निश्चित तौर पर एस.सी.ओ. की पूर्ण सदस्यता भारत के लिये विभिन्न दृष्टिकोणों से हितकारी ही रहेगी।