• प्रश्न :

    भारत में कम्यूनिटी रेडियो ने क्षेत्रीय स्तर पर न केवल समस्याओं को उठाया है, बल्कि उनका समाधान भी प्रस्तुत किया है। इसी परिप्रेक्ष्य में सुशासन स्थापित करने की दिशा में ‘कम्यूनिटी रेडियो’ की भूमिका को रेखांकित कीजिये।

    04 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में भारत में प्रमुख कम्यूनिटी रेडियो की भूमिका का सोदाहरण वर्णन करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में कम्यूनिटी रेडियो द्वारा राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक सुशासन स्थापित करने में भूमिका का वर्णन करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    सामुदायिक रेडियो (Community Radio - सीआर) रेडियो सेवा का एक प्रकार है, जो वाणिज्यिक और सार्वजनिक सेवा से परे रेडियो प्रसारण का एक तीसरा मॉडल प्रस्तुत करता है। सामुदायिक स्टेशन, ऐसी सामग्री का प्रसारण करते हैं जो कि किसी स्थानीय या विशिष्ट श्रोताओं में लोकप्रिय है तथा जिनकी अनदेखी वाणिज्यिक या जन- प्रसारक माध्यमों द्वारा की जा सकती है। सामुदायिक रेडियो स्थानीय स्तर की सामाजिक-आर्थिक-प्रशासनिक-सांस्कृतिक-प्राकृतिक समस्याओं को अपने मंच पर उठाते हैं तथा इसका समाधान आपसी विचार-विमर्श व लोकतांत्रिक तरीके से करते हैं। 

    उदाहरण के तौर पर राजस्थान के रेडियो तिलोनिया द्वारा बालिका शिक्षा, दहेज कुप्रथा की समाप्ति की दिशा में किया गया प्रयास उल्लेखनीय है। इसी प्रकार रेडियो कुमाऊँ वाणी, रेडियो संघर्ष, रेडियो नगर, रेडियो सैफई, सीजीनेट स्वर इत्यादि प्रमुख प्रचलित सामुदायिक रेडियो हैं। 

    सीआर, लोकतंत्र के प्रभावी मंत्र-सुशासन की स्थापना में राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक स्तर पर निम्न प्रकार से सहायता कर सकता हैः

    राजनैतिक सुशासन के विकास में:

    • लोगों की शासन में भागीदारी (Participation) बढ़ाकर।
    • राज्य, बाज़ार और समाज के प्रयासों के एकीकरण द्वारा।
    • ग्रामीण समुदाय में जागरूकता बढ़ाकर।
    • स्थानीय संसद में प्रश्न-उत्तर की श्रृंखला का कार्यक्रम शुरू कर राजनैतिक उत्तरदायित्वों को सुनिश्चित करना।
    • सरकारी नीतियों व सेवाओं की जानकारी लक्षित वर्ग तक पहुँचाना।
    • विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की प्रक्रियाओं की जानकारी प्रदान करना।
    • सरकार, विपक्ष, सिविल सोसाइटी के साथ निष्पक्ष रहते हुए लोकतंत्र के विकास में निर्माणकारी उत्प्रेरक का कार्य करना।

    सामाजिक सुशासन के विकास में:

    • समुदायों को उनके अधिकारों से अवगत कराना।
    • मज़बूत सिविल सोसाइटी के निर्माण हेतु कार्यक्रम चलाना।
    • व्यवसायियों को निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility) हेतु प्रेरित करना।
    • स्थानीय सामाजिक समस्याओं जैसे- दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या इत्यादि के समाधान के विषय में जानकारी प्रदान कर सहभागिता बढ़ाना। इस दिशा में सरकारी योजनाओं यथा- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि आदि योजनाओं का वर्णन करना।
    • समाज के पिछड़े वर्गों और दिव्यांगों से संबंधित समस्याओं हेतु कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना।

    आर्थिक सुशासन के विकास में: 

    • सामुदायिक स्तर पर सामाजिक विकास के लिये वित्त संवर्द्धन हेतु टॉक शो (Talk show) आयोजित करना।
    • स्थानीय सरकार और सामुदायिक समूहों के मध्य वार्तालाप बढ़ाने हेतु कार्यक्रम क्रियान्वयित करना ताकि नागरिक ‘कर’ देने के कर्त्तव्य और स्थानीय सरकार जनता के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझ सकें।
    • सरकार की ‘लोन सुविधा’ (मुद्रा योजना, सिडबी बैंक, नाबार्ड, स्टार्ट-अप इंडिया आदि) जैसे कार्यक्रमों की जानकारी का विश्लेषणात्मक आयाम प्रस्तुत कर अर्थव्यवस्था में सामुदायिक हिस्सेदारी को बढ़ाना।
    • भूमि संबंधित सरकारी नीतियों तथा लोगों के अधिकारों की जानकारी हेतु कार्यक्रम चलाना।

    इस प्रकार, सामुदायिक रेडियो सुशासन की प्रक्रिया के प्रभावी नियमों यथा- पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, भागीदारी तथा विकेंद्रीकरण इत्यादि का सफल क्रियान्वयन जनता के स्तर पर कर सकता है।