एक सिविल सेवक के लिये लोककल्याण को सुनिश्चित करने हेतु भावनाओं का प्रबंधन आवश्यक है। टिप्पणी करें।
                  
                      उत्तर :
                      
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 उत्तर की रूपरेखा 
- प्रभावी भूमिका में लोक सेवक के लिये भावनात्मक समझ के महत्त्व को लिखें।
 
- तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में भावनात्मक समझ के लाभों को स्पष्ट करते हुए इसे बढ़ाए जाने के उपायों की चर्चा करें।
 
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
 
 
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भारत में सिविल सेवक कार्यपालिका का महत्त्वपूर्ण भाग है, जिसके निर्णय प्रत्यक्षतः जनसंख्या के प्रत्येक वर्ग को प्रभावित करते हैं। ऐसे में सिविल सेवक के लिये भावनात्मक समझ महत्त्वपूर्ण है।
- भावनात्मक समझ से तात्पर्य स्वयं की भावनाओं के साथ-साथ दूसरों की भावनाओं के प्रबंधन से है। एक सिविल सेवक के भावनात्मक समझ से युक्त होने पर निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं :
 
- यह आत्म-जागरूकता के माध्यम से लोगों की मजबूरी, कमज़ोरी और व्यवहार को समझने में सहायता करती है। इससे वे अपने भावनात्मक और तर्कसंगत मन को संतुलित करते हैं। 
 
- यह कठिन परिस्थितियों में सिविल सेवक को सही निर्णय लेने और निश्चित मानदंडों के बाहर जाकर सोचने में सहायता करती है, जैसे कि आपदा प्रबंधन और दंगों के दौरान।
 
- यह आत्म विनियमन के द्वारा जीवन में जुनून और प्यार उत्पन्न करती है जिससे तर्क के आधार पर भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
 
- यह सिविल सेवकों को आत्म-प्रेरणा प्रदान कर उन्हें बेहतर कार्य निष्पादन के लिये प्रोत्साहित करती है जिससे व्यक्ति सही समय पर उचित माध्यम से गुणवत्ता के साथ कार्य कर पाता है।
 
- यह समानुभूति के माध्यम से सिविल सेवकों को कानून, कार्यक्रम और सरकारी योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन हेतु लोगों के साथ मज़बूत संबंध बनाने को प्रोत्साहित करती है। उदाहरणस्वरूप वंचित वर्गों के कल्याण को समानुभूति के माध्यम से ही सुनिश्चित किया जा सकता है।
 
- यह सामाजिक कौशल के माध्यम से टीमवर्क को बढ़ावा देती है साथ ही, व्यक्ति की रचनात्मकता को बढ़ाती है।
 
- विवादों का बेहतर समाधान उच्च भावनात्मक समझ से ही संभव है। जैसे- जातीय संघर्ष, भूमि विवाद, धार्मिक उन्माद आदि का समाधान।
 
इसके इस महत्त्व को देखते हुए सिविल सेवकों में इसे बढ़ाने के उपाय किये जाने चाहिये। इसे निम्न प्रकार से बढ़ाया जा सकता है-
- नकारात्मक विचारों को कम कर सकारात्मकता को बढ़ावा देना।
 
- शांत रहने और तनाव को प्रबंधित करने की क्षमता का विकास करना। 
 
- निष्ठावान होना और आवश्यकता के समय मुश्किल भावनाओं को व्यक्त करने की योग्यता प्राप्त करना।
 
- सक्रिय रहने की क्षमता प्राप्त करना। 
 
- एक जटिल व्यक्ति के सामने प्रतिक्रियाशील न होना।
 
वर्तमान के गतिशील परिवेश में एक सिविल सेवक का भावनात्मक समझ से युक्त होना अत्यन्त आवश्यक है तभी वह समाज, राजनेता सहित सभी वर्गों की राय का संतुलित प्रबंधन कर सकेगा। इससे समावेशी विकास, गुड गवर्नेंस जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति संभव हो सकेगी।