• प्रश्न :

    बजट 2017-2018 में सरकार द्वारा राजनीतिक वित्त पोषण (फंडिंग) से संबंधित किये गए उपायों का विश्लेषण करें। क्या ये उपाय राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने में सक्षम हैं?

    06 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • भारत में राजनीतिक धन के बारे में एक संक्षिप्त परिचय दें।
    • राजनीतिक वित्त पोषण  के बारे में बजट में पेश किये गए विभिन्न उपायों पर चर्चा करें।
    • फिर शुरू किये गए उपायों की चुनौतियों के बारे में चर्चा करें।
    • इन उपायों से पारदर्शिता में वृद्धि होगी या नहीं, इस बारे में चर्चा करें।
    • अंत में भविष्य में सुधार के लिये उपाय देकर समाप्त करें।

    राजनीतिक फंडिंग से तात्पर्य प्रचार अभियान और अन्य नियमित गतिविधियों हेतु फंड जुटाने के लिये राजनीतिक दलों द्वारा उपयोग किये जाने वाले विभिन्न तरीकों से है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार, इन दलों की आमदनी का 69% अज्ञात स्रोतों से आता है (दान राशि 20,000 से कम है)। कुछ दलों के लिये, उनकी निधि का लगभग 100%  अज्ञात मार्ग से आता है।

    राजनीतिक फंडिंग के लिये  2017-18 के बजट में किये गए विभिन्न उपाय निम्नलिखित हैं-
    1. नकद दान सीमा- एक राजनीतिक दल एक व्यक्ति से नकद में अधिकतम 2000 रुपए प्राप्त कर सकता है। इससे पहले यह सीमा 20000 रुपए थी।
    2. डिजिटल मोड भुगतान- राजनीतिक दलों को उनके दाताओं द्वारा चेक या डिजिटल मोड द्वारा दान प्राप्त करने की सीमा 20000 रुपए ही है।
    3. इलेक्टोरल बॉन्ड- इस स्कीम के अंतर्गत, एक दाता अधिकृत बैंक से चेक और डिजिटल भुगतान के ज़रिए बॉण्ड खरीद सकता है। ये केवल एक पंजीकृत राजनीतिक दल के नामित खाते में प्रतिदेय होंगे। बॉण्ड जारी करने से निर्धारित समय-सीमा के भीतर ये बॉण्ड प्रतिदेय होंगे।
    4. आयकर रिटर्न- यदि दाता और दान-प्राप्तकर्त्ता दोनों के ही खाते पारदर्शी रूप में संचालित हैं तथा रिटर्न आदि समय पर दाखिल किया गया है, तो दोनों को ही कर के भुगतान में छूट दी गई थी। 

    किये गए उपायों की सीमाएँ-
    1.नकद दान की अनुमति दी जा रही है, हालाँकि 20000 रुपए की सीमा को बदलकर प्रति दाता 2000 रुपए कर दिया गया है। अब भी दल कई अलग-अलग नामों के माध्यम से धन प्राप्त कर सकते हैं और समस्या पूर्वर्ती रूप से अपारदर्शी रह सकती है।
    2. इलेक्टोरल बॉन्ड कॉर्पोरेट-राजनीतिक गठजोड़ को बढ़ावा देगा क्योंकि यह अपने खरीददार के नाम की गोपनीयता सुनिश्चित करता है। 
    3. समय पर कर रिटर्न फाइल का प्रावधान पहले से ही मौजूद था, इसके क्रियान्वयन मात्र में कमी थी।
    4. कंपनियाँ राजनीतिक दान द्वारा कर लाभ पाने के लिये कई अन्य शेल कंपनियों का निर्माण कर सकती हैं।

    ये उपाय राजनीतिक फंडिंग में पूरी तरह से पारदर्शिता को बढ़ावा नहीं दे सकते हैं-

    • चुनावी बॉण्ड में राजनीतिक फंडिंग को काफी हद तक अपारदर्शी बनाने की क्षमता है।
    • नकदी दान के लिये 2000 रुपए की सीमा का उपयोग राजनीतिक फंडिंग गोपनीय रखने का विकल्प देती है।

    अन्य उपाय जैसे-समय पर कर रिटर्न फाइल, डिजिटल मोड भुगतान आदि राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता लाने में मदद कर सकते हैं। राजनीतिक वित्त पोषण  में पारदर्शिता लाने के लिये चुनावों के लिये राज्य द्वारा वित्त पोषण(state funding), कॉर्पोरेट संस्थाओं द्वारा वित्त पोषण  पर सीमा आरोपित करना, आरटीआई के तहत राजनीतिक दलों को लाने आदि जैसे उपायों की ज़रूरत है।