• प्रश्न :

    यह सत्य है कि अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल की घोषणा अनन्य रूप से राष्ट्रपति की व्यक्तिनिष्ठ संतुष्टि पर निर्भर है लेकिन इस निर्णय का आधार सदैव वस्तुनिष्ठ होना चाहिये। चर्चा करें।

    23 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • अनुच्छेद 356 का संक्षिप्त परिचय दें।
    • आपातकाल को लेकर राष्ट्रपति की व्यक्तिनिष्ठता को समझाएँ।
    • आपातकाल के निर्णय के लिये वस्तुनिष्ठता की आवश्यकता को समझाएँ।
    • निष्कर्ष 

    कुछ समय पहले अरुणाचल प्रदेश व उत्तराखंड में अनुच्छेद 356 के आधार पर आपात की घोषणा की गई थी। विदित हो कि अनुच्छेद 356 के अंतर्गत आपात की घोषणा ‘संवैधानिक संकट’ के आधार पर की जाती है।

    उल्लेखनीय है कि संविधान निर्माताओं ने इस अनुच्छेद का उपयोग दुर्लभतम  परिस्थितियों में करने की सलाह दी थी, लेकिन स्वतंत्र भारत में इसका उपयोग राजनैतिक लाभ व विवाद के कारण तीव्रता (100 से अधिक बार) से किया गया। इस क्रम में अनुच्छेद की व्यक्तिनिष्ठता व इसमें वस्तुनिष्ठता के समन्वय को निम्न प्रकार समझा जा सकता हैः

    व्यक्तिनिष्ठता का तत्त्व कैसे?
    अनुच्छेद 356 के दो महत्त्वपूर्ण पहलू हैं-

    • राष्ट्रपति राज्य के कार्यपालिका प्रमुख राज्यपाल की रिपोर्ट या फिर किसी अन्य संस्था (केन्द्रीय मंत्रिपरिषद) के कहने पर आपात की घोषणा कर सकता है। इसमें मात्र राष्ट्रपति की संस्तुति आवश्यक है जो मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है। इस प्रकार यह व्यक्तिनिष्ठता पर आधारित है। 
    • राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होना कि संविधान के अनुसार सरकार चलाना मुमकिन न होने पर भी राष्ट्रपति आपात की घोषणा कर सकता है। उल्लेखनीय है कि संवैधानिक तंत्र की विफलता मुख्यतः राजनैतिक संकट, आंतरिक अशांति, संघ कार्यकारिणी के संवैधानिक निर्देश के साथ गैर-अनुपालन इत्यादि स्थितियों में की जा सकती है। इन परिस्थितियों में भी राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होता है। साथ ही प्रस्तुत परिस्थितियों में का संविधान में कोई वर्णन नहीं है, जो व्यक्तिनिष्ठता को बढ़ाता है। इस प्रकार राष्ट्रपति शासन की व्यक्तिनिष्ठता स्वतः सिद्ध होती है।

    वस्तुनिष्ठता आवश्यक क्यों?

    • आपात की उद्घोषणा में वस्तुनिष्ठता तय करके केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य विश्वास व संतुलन को बढ़ाया जा सकता है। 
    • वस्तुनिष्ठ नियमों से आपात की उद्घोषणा के नियम स्पष्ट व पारदर्शी होंगे। इससे राज्य सरकारों के उत्तरदायित्व को बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सकेगा।
    • आपात के नियम में वस्तुनिष्ठता के समावेश से सहयोगी संघवाद को बल मिलेगा। यह ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की अवधारणा हेतु आवश्यक है। 

    अनुच्छेद 356 के अंतर्गत प्रावधानों की सीमाओं को सर्वोच्च न्यायालय ने एस.आर. बोम्मई केस में निर्धारित किया। इसके अंतर्गत इस अनुच्छेद की व्यक्तिनिष्ठता  को कम करके वस्तुनिष्ठता के तत्त्व को बढ़ाने हेतु आपात की घोषणा को न्यायिक पुनर्विलोकन की सीमा के अंतर्गत लाया गया, क्योंकि निस्संदेह आपात की उद्घोषणा संविधान के अनुसार राष्ट्रपति का व्यक्तिनिष्ठ निर्णय है, फिर भी सहयोगी संघवाद को सुनिश्चित करने हेतु इस निर्णय का आधार सदैव वस्तुनिष्ठ होना चाहिये।