• प्रश्न :

    भारत का 'आधार’ (AADHAR) अमेरिका की 'सामाजिक सुरक्षा संख्या' से किस प्रकार अलग है? वर्तमान समय में ‘आधार’ से संबंधित विवादों को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालें।

    03 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • भारत के ‘आधार’ तथा अमेरिका के ‘सामाजिक सुरक्षा संख्या’ की तुलना करें।
    • ‘आधार’ से संबंधित विवादों पर प्रकाश डालते हुए इसकी उपयोगिता बताएँ।

    ‘आधार’ भारत के निवासियों को विशिष्ट पहचान प्रदान करने लिये भारतीय सरकार की एक महत्त्वपूर्ण परियोजना है। इसके तहत भारतीय निवासियों को डेमोग्राफिक तथा बायोमेट्रिक के ‘आधार’ पर 12 अंको की एक विशेष पहचान संख्या प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को समाप्त कर कल्याणकारी योजनाओं की प्रभाविता को बढ़ाना है । अमेरिका की ‘सामाजिक सुरक्षा संख्या’ 1936 में वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद आरंभ की गई थी। जिसका उद्देश्य कर्मचारियों की आय को एक करके सामाजिक सुरक्षा योजना की प्रभाविता को बढ़ाना था। 

    मुख्य अंतर: 

    • अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा संख्या में केवल डेमोग्राफिक सूचनाओं को  संकलित किया जाता था किंतु ‘आधार’ में बायोमेट्रिक सूचनाओं को भी संकलित किया जाता है।
    • अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा संख्या केवल अमेरिकी नागरिकों के लिये जारी किया गया था जबकि  जबकि ‘आधार’ संख्या ऐसे किसी भी व्यक्ति को प्रदान की जा सकती है जो 183 से अधिक दिनों तक भारत में निवास कर रहा है।
    • ‘आधार’ पहचान के लिये प्रयोग किया जाता है जबकि अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा संख्या का प्रयोग कार्य हेतु परमिट प्रदान करने के लिये किया गया था।
    • ‘आधार’ का प्रयोग सरकार के अलावा प्राइवेट कंपनियों के द्वारा भी किया जाता है जबकि सामाजिक सुरक्षा संख्या का प्रयोग  सरकारी सेवाओं तक ही सीमित था।

    वर्तमान समय में ‘आधार’ से जुड़ा विवाद व्यक्ति की निजता के अधिकार तथा सरकारी योजनाओं की गुणवत्ता पूर्ण क्रियान्वयन से जुड़ा हुआ है। बायोमेट्रिक सूचनाओं को संकलित करने के कारण ‘आधार’ के माध्यम से व्यक्ति की गोपनीय सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के लिये ‘आधार’ को अनिवार्य बनाए जाने से व्यक्ति के लिये ‘आधार’ संख्या प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है। इस रूप में देखा जाए तो इसके माध्यम से व्यक्ति को निजी सूचनाओं को प्रदान करने के लिये बाध्य किया जा रहा है। इस प्रकार कई संगठन इसे व्यक्ति के निजता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।

    किंतु जहाँ तक ‘आधार’ की उपयोगिता की बात है, ‘आधार’ के उचित प्रयोग से सब्सिडियों तथा अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उचित व्यक्ति तक पहुँचाया जा सकता है। ‘आधार’ के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को क्रियान्वित कर मध्यस्थों की समस्या का समाधान किया गया है। इसके अलावा पहचान की समस्या का समाधान कर यह  कालेधन तथा अन्य आपराधिक गतिविधियों को भी नियंत्रित कर सकता है। इन उपायों से ‘आधार’ सरकार की पारदर्शिता तथा कार्यक्षमता को बढ़ाकर सुशासन की अवधारणा को लागू करने का एक प्रभावी उपकरण बन सकता है।

    किंतु ‘आधार’ के नाम पर निजता की रक्षा के उचित प्रावधान किये जाने की आवश्यकता है। साथ ही इसके क्रियान्वयन में लचीलापन लाया जाना चाहिये ताकि इसके अभाव से योजनाओं का लाभ ना मिलने पर किसी जरूरतमंद का जीवन प्रभावित न हो।