• प्रश्न :

    लोकतंत्र में राज्य के कल्याणकारी स्वरूप को बनाए रखने व उसे सदैव संवर्द्धित करने के लिये एक सिविल सेवक में किन-किन विशिष्ट मूल्यों का होना आवश्यक समझा जाता है? साथ ही, दो विशिष्ट मूल्यों-समानुभूति एवं सहानुभूति में अंतर भी स्पष्ट करें।

    22 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    लोकतंत्र में राज्य के स्वरूप को कल्याणकारी बनाये रखने तथा उस स्वरूप को सदैव संवर्द्धित करने के लिये एक सिविल सेवक में निम्नलिखित विशिष्ट मूल्यों की उपस्थिति आवश्यक समझी जाती है-

    •सत्यनिष्ठा   • समर्पण      • कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता

    •वस्तुनिष्ठा   • सहिष्णुता

    •संवेदना       • सहानुभूति 

    •करुणा        • समानुभूति 
    इन मूल्यों को विशिष्ट इसलिये कहा जाता है क्योंकि सिविल सेवा के आदर्शों एवं लक्ष्यों को साकारित करने में इनकी अहम भूमिका होती है। जनता एक सिविल सेवक से उसके कर्त्तव्य पालन में इन मूल्यों के अनुरूप व्यवहार की सदैव अपेक्षा करती है।
    समानुभूति (Empathy) और सहानुभूति (Sympathy) में अंतरः

    • किसी व्यक्ति की अनुभूति को समान स्तर पर जाकर अनुभूत करना ही समानुभूति कहलाता है। समानुभूति में ‘खग जाने खगहि की भाषा’ का तर्क काम करता है। जबकि, दूसरे के दर्द एवं आंतरिक संवेगों को समझना एवं उसको तार्किक मदद पहुँचाना ही सहानुभूति कहलाता है।
    • समानुभूति में संज्ञानात्मक एवं भावात्मक दोनों घटक पाए जाते हैं। जैसे- एक एसिड हमले की शिकार लड़की यदि दूसरी पीड़ित लड़की से कहे की मैं तेरा दर्द समझा सकती हूँ, तो यह समानुभूति का संज्ञानात्मक घटक है जबकि यदि लड़की कहती है कि मैं तेरा दर्द महसूस कर रही हूँ, तब वह समानुभूति के भावात्मक घटक को परिभाषित कर रही है।

    किंतु, सहानुभूति सदैव बुद्धि से संचालित होती है अर्थात् संबंधित तथ्य वास्तव में कितनी सच्चाई रखता है या उसमें असत्य के कितने स्वरूप हैं, इन सबको परखने के बाद ही सहानुभूति कार्य करती है। जैसेः हम जानते हैं कि आई.एस.आई.एस. (ISIS) एक क्रूर आतंकवादी संगठन है। जब वे किसी गैर इस्लामिक व्यक्ति या निर्दोषों को विभिन्न तरीकों से मौत की सजा देते हैं तो हमें मरने वालों के प्रति सहानुभूति होती है, लेकिन जब कसाब, अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों को अदालती आदेश पर फाँसी होती है या ओसामा बिन लादने की हत्या होती है, तब हमें उनके प्रति सहानुभूति नहीं होती क्योंकि हमारी बुद्धि सत्य के स्वरूप को समझती है।

    • समानुभूति केवल अनुभवजन्य प्रक्रिया एवं संवेदना होती है, इसे वही महसूस कर सकता है, जिसने स्वयं संबंधित स्थिति को भोगा होगा। जबकि सहानुभूति सदैव निरपेक्ष तर्कों पर कार्य करती है।