• प्रश्न :

    वर्तमान में भारत के लोक-प्रशासन में उपस्थित सामान्य नैतिक समस्याओं/मुद्दों का उल्लेख करते हुए लोक-प्रशासन में नैतिकता को समाहित करने के उपाय सुझाइए।

    06 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    भारत के लोक प्रशासन में मूल नैतिक समस्या भ्रष्टाचार की है, परंतु उसके साथ ही कुछ अन्य नैतिक समस्याएँ/मुद्दे भी लोक-प्रशासन को प्रभावित करते हैं। वे अन्य मुद्दे निम्नलिखित हैं-

    • रूढ़िवादिता और अभिजात वर्गीय मानसिकता वाले सिविल सेवक और ब्रिटिश शासन की ऐसी परम्पराएँ।
    • शक्ति, सत्ता व प्राधिकार का अत्यन्त विषमतापूर्ण ढाँचा होना।
    • नौकरशाही पर अनैतिक राजनीतिक दबाव व उनकी कार्यशैली में अवांछित राजनीतिक हस्तक्षेप।
    • भारतीय नौकरशाही के राजनीतिकरण से नौकरशाही में तटस्थता की भावना का अभाव।
    • उचित कार्य-संस्कृति का अभाव।
    • पारदर्शिता एवं जवाबदेही जैसे मूल्यों की कमी।
    • ‘व्हिसल ब्लोअर’ की सुरक्षा के उचित प्रबंधों का अभाव।

    निश्चित तौर पर उपरोक्त नैतिक समस्याएँ/मुद्दे हमें चिंतित करते हैं। इन समस्याओं के निराकरण या इन्हें न्यूनतम करने के लिए लोक-प्रशासन में नैतिकता का समावेशन बहुत आवश्यक है। लोक-प्रशासन में निम्नलिखित उपायों/तरीकों से नैतिकता को समाहित किया जा सकता है-

    • भावी प्रशासकों (ट्रेनी) के मूल्यात्मक एवं नैतिकतापरक प्रशिक्षण पर बल देकर।
    • उनमें परानुभूति के भावों को विकसित करने का प्रयास करके।
    • लोक-प्रशासकों के लिये आचार-संहिता का निर्माण कर, उसका पालन सुनिश्चित करके।
    • डिजिटलाइजेशन, ई-गवर्नेन्स आदि द्वारा प्रशासन में पारदर्शिता द्वारा सुशासन की नींव रखकर।
    • राजनीतिक हस्तक्षेपों से नौकरशाही को मुक्त करके।
    • जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला एक मजबूत तंत्र विकसित कर, जो गैर-जिम्मेदार प्रशासकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सके।

    उपरोक्त उपायों द्वारा लोक-प्रशासन में नैतिकता को समाहित करने के प्रयास किये जा सकते हैं। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने ‘शासन में नैतिकता’ शीर्षक वाली अपनी चौथी रिपोर्ट में सिविल सेवकों के लिये एक नैतिक-संहिता के निर्माण पर बल दिया है। आयोग का कहना था कि ‘अभिरूचियों के संघर्ष’ को अधिकारियों के लिये निर्मित नैतिक संहिता और आचार-संहिता में विस्तृत रूप से शामिल किया जाना चाहिये।