• प्रश्न :

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता से आप क्या समझते हैं? एक सिविल सेवक को अपने कार्य निष्पादन के दौरान इससे किस प्रकार सहायता मिल सकती है?

    22 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित व निर्देशित कर, पारस्परिक संबंधों का विवेकानुसार और सामंजस्यपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने की क्षमता भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहलाती है। यह मूल रूप से अपनी भावनाओं को पहचानने और प्रबंधित करने तथा दूसरे के मनोभावों को समझकर उन पर नियंत्रण करने की क्षमता है। 

    हमें किसी समस्या को सुलझाने के लिये संज्ञानात्मक बुद्धि की ज़रूरत होती है, परंतु संज्ञानात्मक बुद्धि हमारे दैनिक जीवन के एक छोटे से अनुपात का ही प्रतिनिधित्व करती है, अतः किसी व्यक्ति की सफलता में भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।

     एक सिविल सेवक को भावनात्मक बुद्धिमत्ता से निम्न प्रकार से सहायता मिल सकती है-

    • कार्य स्थल पर बेहतर पारस्परिक संबंध और सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिये।
    • अपने अधीनस्थों की मनोवृत्ति की सही पहचान करने तथा उनके कार्य निष्पादन की क्षमता के माध्यम से भविष्य के परिणामों का पूर्वानुमान लगाने में।
    • हितग्राहियों की अभिवृत्ति को समझकर किसी परियोजना के सफल संचालन को सुनिश्चित करने में।
    • आपदा या दुर्घटना के दौरान पीड़ितों की मनोवृत्ति का सही-सही आकलन कर उनके राहत और पुनर्वास की प्राथमिकताएँ तय करने में।
    • स्वयं के नकारात्मक आवेगों को नियंत्रित कर एक स्वस्थ कार्यशैली का विकास करने में।
    • अंतर्वैयक्तिक संचार कौशल का विकास करने में। 
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रयोग से बातचीत के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों पर नियंत्रण पाने की क्षमता का विकास होता है।
    • समय,सूचना तथा मानव संसाधन के उचित प्रबंधन द्वारा गुणवत्तापूर्ण कार्य-निष्पादन करने में।

    भारत जैसे बहुलतावादी देश में उच्च भावनात्मक बुद्धिलब्धि (EQ) से युक्त सिविल सेवकों का होना बहुत ज़रूरी है। स्वयं की भावनाओं पर नियंत्रण रखने वाले और व्यवहार में लचीलापन रखने वाले सिविल सेवक ही प्रशासन के उद्देश्यों की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।