• प्रश्न :

    एक लोक सेवक के रूप में अपने दायित्वों को ईमानदारी से निर्वाह करने के बावजूद आपको अनेक बार ऐसे लोगों का सामना करना पड़ता है जो न केवल आपकी कार्यशैली पर प्रश्न उठाते हैं बल्कि आपके बारे में झूठी अफवाहें भी फैलाते हैं। ऐसी स्थिति में आप कैसे अपनी अभिप्रेरणा की निरंतरता को बनाए रख सकते हैं? ऐसे लोगों से कैसे निपटा जा सकता है?

    09 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    लोक सेवक के रूप में सबसे बड़ा दायित्व लोकहित होता है। एक लोक सेवक को ईमानदारी से अपने कर्त्तव्यों का निर्वाहन करना चाहिये। ऐसे में यदि कुछ लोग आपकी उत्कृष्ट कार्यशैली के बावजूद आपकी सत्यनिष्ठा पर प्रश्न उठाते हैं या झूठी अफवाहें फैलाते हैं तो स्वाभाविक है कि तनाव बढ़ेगा। ऐसी स्थिति में निम्नलिखित उपाय इस तनाव से निपटने तथा अभिप्रेरणा बनाए रखने में मेरी मदद करेंगे-

    • लोक सेवक के रूप में मेरा दायित्व लोगों के मध्य अपनी अच्छी छवि बनाने का नहीं वरन् लोक कल्याण सुनिश्चित करने का है। लोक कल्याण के कार्य करने के बाद की सुखानुभूति, किसी आलोचना से उत्पन्न कड़वाहट से ज़्यादा मीठी होती है। 
    • कार्यशैली पर प्रश्न उठाने वाले के लिये सबसे अच्छा उत्तर कार्य का उत्तम निष्पादन है। यदि मैं अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सही हूँ और परिणाम पर पूरा भरोसा है, तो कार्यशैली पर प्रश्न उठाने वालों के लिये मेरा परिणाम ही चुप करा सकता है। 
    • मैं स्वयं की ऊर्जा को उनके किसी आरोप का जबाव देने में न लगाकर अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखूंगा। 

    महात्मा गांधी ने कहा था-“पहले लोग तुम्हें महत्त्व नहीं देंगे, फिर तुम पर हंसेंगे, फिर तुमसे लड़ेंगे और तब तुम जीतोगे।” मेरी किसी भी आलोचना का उत्तर बापू के इसी कथन में निहित है। मेरी जीत लोकसेवा के दायित्वों को क्षमतानुसार सुनिश्चित करने में है, किसी आलोचना से बचने में नहीं है। जहाँ तक सवाल इस प्रकार के लोगों से निपटने का है, कानूनी दायरे में रहते हुए यदि ऐसे तत्वों पर कोई सिविल या आपराधिक मामला बनता है, तो मैं कानून की शरण में अवश्य जाऊंगा। इसके अतिरिक्त उच्चाधिकारियों को यथास्थिति से अवगत कराते हुए अपनी कार्यशैली को स्पष्ट करूँगा। वर्तमान समय में सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए मैं अपना पक्ष रख सकता हूँ। ऐसे में यदि ‘लोक समर्थन’ मिले तो वह किसी भी आलोचना को आधारहीन बना देगा।