• प्रश्न :

    मूल्य, धर्म और आचार-नीति मानवीय व्यवहार को नियंत्रित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक हैं। उपरोक्त कथन के आधार पर नीचे दिये गए प्रश्नों का उत्तर दें- 1) चर्चा कीजिये कि ये कैसे मानवीय व्यवहार को नियंत्रित करते हैं?

    29 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    मानवीय व्यवहार के निर्धारक कारक और स्रोत वे साधन हैं, जिन्हें मनुष्य परिवार और सामाजिक परिवेश से प्राप्त करता है। इनमें प्रमुख हैं: मूल्य, धर्म और आचार-नीति।

    सभी मूल्य, धर्म और आचार-नीतियों का मूल उद्देश्य एक उत्पीड़न रहित समाज का निर्माण करना है। समाज में निर्णय-निर्माण, रहन-सहन, व्यवहार आदि के संबंध में गलत या सही, अच्छा या बुरा आदि के लिये ये मानक के रूप में कार्य करते हैं। 

    ये किसी व्यक्ति को समाज के कल्याण के विपरीत कार्य करने से रोकते हैं। इसके फलस्वरूप व्यक्ति स्वहित के स्थान पर दूसरे लोगों के हित, समाज का हित और अंततः परम शुभ की प्राप्ति के लिये कार्य करने को प्रेरित होता है। 

    वर्तमान में अनेक समस्याओं, जैसे- आतंकवाद, नागरिक युद्ध, महिला और बाल उत्पीड़न, जातिवाद, धार्मिक उन्माद आदि इन्हीं मूल्यों, धर्मों और आचार-नीतियों से विमुख होने का परिणाम है। अतः उच्च नैतिक मूल्यों से युक्त एक समाज के निर्माण के लिये इनको पुनः स्थापित किये जाने की आवश्यकता है। 

    2) उदाहरण देते हुए बताएँ कि ये एक-दूसरे से कैसे भिन्न और समान हैं?

    उत्तरः यद्यपि मूल्य, धर्म और आचार-नीति के अंतिम उद्देश्य समान हैं किंतु सैद्धांतिक रूप से ये भिन्नता रखते हैं।

    उदाहरणस्वरूप, ये सभी व्यक्ति और समाज के कल्याण को बढ़ावा देते हैं। समाज में परम शुभ की प्राप्ति के लिये कार्य करने हेतु मार्गदर्शक का कार्य करते हैं और उस कार्य को करने से रोकते हैं, जो समाज के लिये अशुभ है। 

    वहीं, यदि सैद्धांतिक रूप से देखें तो ये भिन्नता लिये हुए होते हैं। मूल्य व्यक्ति को व्यक्तिगत स्तर पर उत्तम निर्णय लेने के लिये मार्गदर्शक का कार्य करते हैं। ये व्यक्ति-दर-व्यक्ति अलग-अलग होते हैं। वहीं, सभी धर्मों की शिक्षाएँ समान हैं किंतु इसमें निहित मार्ग अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा, धर्म अनेक मूल्यों और आचार-नीति का स्रोत है किंतु यह सदैव आवश्यक नहीं होता। 

    उदाहरणस्वरूप, किसी धर्म में पशुबलि देना मान्य हो सकता है लेकिन यह आचार-नीति की दृष्टि से गलत हो सकता है (पशुओं के अधिकार के संदर्भ में)। इसके अलावा, संबंधित धर्म के किसी व्यक्ति में जीवों के प्रति दया और रक्षण का मूल्य हो सकता है।

    इसी तरह आचार-नीति भी मूल्य और धर्म से अलग हो सकती है। यह सार्वभौमिक, गलत और सही के लिये मानक एवं व्यवहार को प्रतिबंधित करने वाली हो सकती है, जबकि मूल्य इसके विपरीत स्थिति रखते हैं।