दिवस 47: आप एक बड़े चुनाव से पहले एक महानगरीय शहर के ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यरत हैं। हाल के हफ्तों में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डीपफेक वीडियो के प्रसार में तेज़ी आई है। इनमें से कुछ वीडियो में प्रमुख राजनीतिक नेताओं को भड़काऊ बयान देते हुए दिखाया गया है, जो उन्होंने वास्तव में कभी नहीं दिये, जबकि अन्य वीडियो मनगढ़ंत आपत्तिजनक कंटेंट के माध्यम से आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।
एक स्थानीय धार्मिक नेता को अपमानजनक टिप्पणी करते हुए दिखाने वाले एक वायरल डीपफेक वीडियो ने शहर के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न कर दिया है। पुलिस साइबर सेल ने राज्य के बाहर से संचालित कई अज्ञात खातों का स्रोत पता लगाया है, लेकिन अधिकार क्षेत्र के मुद्दों और कंटेंट के तेज़ी से प्रसार के कारण गिरफ्तारी कठिन होती जा रही है।
नागरिक समाज समूह तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, उनका दावा है कि कार्रवाई न करने से गलत सूचना का प्रसार और सामाजिक अशांति बढ़ेगी। हालाँकि, राजनीतिक दल प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं, उनका कहना है कि कुछ कंटेंट को चुनिंदा रूप से लक्षित करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इस बीच, पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि डीपफेक पर अंकुश लगाने में अतिशयोक्ति का प्रयोग वैध असहमति को दबाने के बहाने के रूप में किया जा सकता है।
इस जटिलता को और बढ़ाते हुए, आपके ज़िले के एक तकनीकी स्टार्टअप ने निशुल्क परीक्षण के लिये एक AI-आधारित पहचान उपकरण की पेशकश की है, लेकिन इसके लिये नागरिकों की तस्वीरों और आवाज़ के बड़े डेटासेट तक पहुँच की आवश्यकता होती है, जिससे गोपनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं। गृह मंत्रालय ने आपको यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि डिजिटल स्वतंत्रता को अनावश्यक रूप से प्रतिबंधित किये बिना विधि-व्यवस्था बनाए रखी जाए।
हल करने का दृष्टिकोण
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डीपफेक, जिसमें AI तकनीक का दुरुपयोग किया जाता है, गलत सूचना के प्रसार, मानहानि करने तथा सांप्रदायिक अशांति उत्पन्न कर सकते हैं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, संवैधानिक स्वतंत्रता, निजता और सार्वजनिक विश्वास की रक्षा करते हुए ऐसे खतरों पर अंकुश लगाना एक चुनौती है।
हितधारक |
हित/चिंता |
नागरिक (आम जनता) |
गलत सूचना के प्रसार से सुरक्षा, सांप्रदायिक सद्भाव, निजता के अधिकार |
लक्षित व्यक्ति (नेता, नागरिक) |
मानहानि और प्रतिष्ठा को नुकसान से सुरक्षा |
राजनीतिक दल |
निष्पक्ष राजनीतिक माहौल, पूर्वाग्रह से बचाव |
नागरिक समाज समूह |
गलत सूचना के विरुद्ध कार्रवाई, स्वतंत्रता का संरक्षण |
पत्रकार और मीडिया |
स्वतंत्र प्रेस की सुरक्षा, सेंसरशिप की रोकथाम |
पुलिस और साइबर सेल |
विधिक का प्रवर्तन, क्षेत्राधिकार संबंधी बाधाएँ |
तकनीकी स्टार्टअप |
AI टूल के परीक्षण का अवसर, व्यवसाय विस्तार |
गृह मंत्रालय |
विधि और व्यवस्था बनाए रखना, संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण |
A. इसमें सम्मिलित नैतिक मुद्दे
B. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए डीपफेक खतरे से निपटने के लिये संतुलित दृष्टिकोण।
C. कार्रवाई का मार्गदर्शन करने के लिये लोक प्रशासन के मूल्य
अंततः, डीपफेक की चुनौती से निपटने के लिये सत्य की रक्षा करते हुए स्वतंत्रता को भी सुरक्षित रखना आवश्यक है। महात्मा गांधी के शब्दों में, “किसी त्रुटि का बार-बार प्रचार करने से वह सत्य नहीं बन जाती और न ही सत्य इसलिये त्रुटि बन जाता है क्योंकि कोई उसे देखता ही नहीं।” प्रशासन को सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और विवेक के साथ कार्य करते हुए डिजिटल सुरक्षा तथा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता, दोनों को सुनिश्चित करना चाहिये।