09 Jul 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- DBT और इसके मुख्य उद्देश्यों का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मुख्य भाग में, प्रासंगिक डेटा, उदाहरणों और क्षेत्रीय प्रभावों का उपयोग करके गरीबी को कम करने एवं लक्ष्यीकरण में सुधार करने में इसकी प्रभावशीलता का आकलन कीजिये।
- DBT को और अधिक सुदृढ़ बनाने पर एक दूरदर्शी टिप्पणी के साथ उचित निष्कर्ष कीजिये।
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परिचय:
भारत की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली एक प्रमुख सुधार है जिसका उद्देश्य लाभार्थियों को सीधे कल्याणकारी सहायता प्रदान करना है, ताकि बिचौलियों की भूमिका समाप्त की जा सके, रिसाव (Leakage) पर रोक लगे और व्यवस्था अधिक प्रभावी बने। JAM ट्रिनिटी (जन-धन, आधार और मोबाइल) पर आधारित यह प्रणाली, समावेशी, पारदर्शी एवं प्रौद्योगिकी-आधारित शासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
मुख्य भाग:
DBT का महत्त्व:
- लक्ष्यीकरण दक्षता और समावेशन को बढ़ावा: DBT ने कल्याण कवरेज का बहुत हद तक विस्तार किया है, जिससे लाभार्थियों की संख्या वर्ष 2013 में 11 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 में 176 करोड़ हो गई है।
- बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करके और इच्छित प्राप्तकर्त्ताओं को सीधे लाभ हस्तांतरित करके, DBT यह सुनिश्चित करता है कि कल्याण सीमांत समुदायों तक पहुँचे, जिससे समानता और समावेशन में सुधार हो।
- लीकेज में कमी के माध्यम से उल्लेखनीय राजकोषीय बचत: DBT की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है ₹3.48 लाख करोड़ की बचत, जो कल्याणकारी योजनाओं में रिसाव (Leakage) को रोकने से संभव हुई।
- फर्ज़ी लाभार्थियों को हटाने और बिचौलियों द्वारा की जाने वाली हेरा-फेरी में कटौती कर DBT ने योजनाओं को अधिक पारदर्शी एवं उत्तरदायी बनाया है।
- कवरेज से समझौता किये बिना सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना: DBT ने कुल सरकारी व्यय में सब्सिडी का अनुपात 16% से घटाकर 9% कर दिया है, जबकि लाभार्थियों की संख्या 16 गुना बढ़ाई गई है।
- इससे यह संकेत मिलता है कि वित्तीय संसाधनों का बेहतर लक्ष्य निर्धारण के साथ इस प्रकार उपयोग किया गया है कि राजकोषीय बोझ असंगत रूप से न बढ़े।
- वेलफेयर एफिशिएंसी इंडेक्स (WEI) में सुधार से स्पष्ट प्रणालीगत प्रगति: कल्याण दक्षता सूचकांक (WEI) 2014 में 0.32 से बढ़कर 2023 में 0.91 हो गया, जो बचत, सब्सिडी में कमी और लाभार्थी वृद्धि में महत्वपूर्ण सुधार दर्शाता है। कल्याणकारी दक्षता सूचकांक (WEI) वर्ष 2014 में 0.32 था, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 0.91 हो गया, जो बचत, सब्सिडी में कमी और लाभार्थी वृद्धि में महत्त्वपूर्ण सुधार दर्शाता है।
- WEI में यह वृद्धि बचत, सब्सिडी में कटौती और लाभार्थियों की वृद्धि जैसे क्षेत्रों में DBT की भूमिका को रेखांकित करती है तथा बताती है कि DBT ने कल्याण वितरण प्रणाली को अधिक सक्षम और समावेशी बनाया है।
- DBT से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा और ग़रीबों का सशक्तीकरण: DBT ने लाभार्थियों को जनधन खातों और मोबाइल प्लेटफॉर्मों से जोड़कर वित्तीय समावेशन को तीव्र किया है।
- इसने महिलाओं, ग्रामीण आबादी और प्रवासी मज़दूरों को सशक्त किया है, जिससे वे नकदरहित लेनदेन कर सकें तथा कल्याणकारी लाभों का उत्तरदायी वितरण सुनिश्चित हो सके।
- DBT ने गरीबी उन्मूलन में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान: समय पर और पारदर्शी स्थानान्तरण प्रदान करके, DBT ने घरेलू तरलता, बेहतर पोषण और उपभोग में वृद्धि की है। DBT के माध्यम से समय पर और पारदर्शी लाभ हस्तांतरण ने घरेलू तरलता बढ़ाई, पोषण और उपभोग को बेहतर किया।
- कोविड-19 के दौरान DBT ने असुरक्षित वर्गों को आर्थिक झटकों से उबरने में सहायता दी, हालाँकि गरीबी कम करने पर इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर अभी और अध्ययन अपेक्षित है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) कार्यान्वयन की चुनौतियाँ:
- लास्ट-माइल कनेक्टिविटी और समावेशन की समस्याएँ: DBT को डिजिटल अपवर्जन जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में रहने वाले बुज़ुर्गों तथा आदिवासी समुदायों के लिये।
- सभी नागरिकों को बैंक खाते और मोबाइल फोन की सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना प्रभावी लाभ वितरण के लिये अनिवार्य है।
- प्रमाणीकरण त्रुटियाँ और निष्क्रिय खाते: आधार-आधारित प्रमाणीकरण में त्रुटियाँ और खातों की निष्क्रियता कुछ लाभार्थियों को समय पर भुगतान प्राप्त करने से वंचित कर देती हैं।
- समावेशी पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये निरंतर निगरानी और शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता है।
- डेटा सटीकता और कवरेज में चुनौतियाँ: लाभार्थियों की पहचान में त्रुटियाँ प्रायः पुराने या गलत आँकड़ों के कारण होती हैं।
- सटीक लाभ वितरण सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी जानकारी का नियमित अद्यतन आवश्यक है।
- तकनीकी आधारिक संरचना पर निर्भरता: कमज़ोर डिजिटल आधारिक संरचना वाले क्षेत्रों में सेवा वितरण में बाधाएँ बनी रहती हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ अब भी कनेक्टिविटी की समस्याएँ विद्यमान हैं।
- अप्रवासी मज़दूरों और असंगठित श्रमिकों की समावेशिता: अप्रवासी मज़दूरों तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को प्रायः औपचारिक दस्तावेज़ों की अनुपलब्धता के कारण लाभ से वंचित होना पड़ता है।
- उनकी समावेशिता बढ़ाने के लिये अस्थायी पंजीकरण अथवा समकक्ष प्रणाली विकसित की जानी चाहिये।
निष्कर्ष:
DBT ने लक्षित वितरण की क्षमता बढ़ाकर और ₹3.48 लाख करोड़ की बचत कर कल्याणकारी शासन को रूपांतरित किया है। यह सामाजिक समावेशन और राजकोषीय संयम के बीच संतुलन स्थापित करते हुए एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभरा है। इसके गरीबी-उन्मूलन की पूर्ण क्षमता को साकार करने के लिये डिजिटल एक्सेस, वित्तीय साक्षरता और शिकायत निवारण व्यवस्था को सुदृढ़ करना आवश्यक है ताकि सभी के लिये समावेशी एवं जवाबदेह लाभ वितरण सुनिश्चित हो सके।