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दिवस 11: "अरब सागर, जो कभी चक्रवातों के मामले में शांत रहता था, में अब निरंतर तूफान की घटनाएँ हो रही हैं।" हाल के वर्षों में अरब सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बढ़ती गतिविधियों का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द) 

27 Jun 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण: 

  • विगत वर्षों में अरब सागर की स्थिरता और हाल में चक्रवातों की आवृत्ति में हुई वृद्धि को संक्षेप में बताइये।
  • हाल ही में अरब सागर में चक्रवाती गतिविधि में वृद्धि के कारणों एवं निहितार्थों का परीक्षण कीजिये।
  • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय: 

परंपरागत रूप से, भारत में लगभग 80% चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं, जबकि शेष अरब सागर में उत्पन्न होते हैं। हालाँकि, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के डेटा और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले दो दशकों में अरब सागर में बहुत प्रबल चक्रवाती तूफानों (VSCS) में 20-30% की वृद्धि हुई है।

मुख्य भाग:

वृद्धि के चालक

  • समुद्र सतह के तापमान में वृद्धि (SST): अरबी सागर प्रति दशक 0.5°C की दर से गर्म हो रहा है, जिससे चक्रवात निर्माण (Cyclogenesis) के लिये अधिक गुप्त ऊष्मा उपलब्ध हो रही है।
  • ऊर्ध्वाधर पवन अपरूपण में कमी: यह तूफान के निर्माण को बढ़ावा देता है और उनकी तीव्रता को बनाए रखता है।
  • बदलते मानसूनी प्रतिरूप: मानसून के विलंब से आगमन या निवर्तन के कारण उत्तर-मानसून काल में चक्रवात बनने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
  • मानवजनित उत्सर्जन: ग्रीनहाउस गैसों और एरोसोल में वृद्धि से वायु-सागर अंतःक्रियाओं तथा चक्रवात गतिशीलता प्रभावित होती है।  

निहितार्थ

  • सामाजिक-आर्थिक:  ‘तौकते’ जैसे चक्रवातों के कारण गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में ₹15,000 करोड़ की क्षति हुई और हज़ारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा।
  • मत्स्य पालन एवं आजीविका: छोटे मछुआरों को अप्रत्याशित तूफानी लहरों और निरंतर की जानेवाली निकासी प्रक्रियाओं का सबसे अधिक खामियाज़ा भुगतना पड़ता है।
  • शहरी भेद्यता: मुंबई और कोच्चि जैसे तटीय नगरों में जनसंख्या का घनत्व अधिक होने तथा अधोसंरचना की कमियों के कारण चक्रवातों का जोखिम कहीं अधिक होता है।
  • पर्यावरणीय क्षति: प्रवाल भित्तियों, मैंग्रोव वनस्पतियों और मुहानों को गंभीर क्षति पहुँचती है जिससे जैवविविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष:

अरब सागर में बढ़ती चक्रवातीय गतिविधियाँ जलवायु-जनित परिवर्तन की संकेतक हैं, जो सक्रिय और दूरदर्शी शासन की आवश्यकता को दर्शाती हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य— SDG13 (जलवायु-परिवर्तन कार्रवाई) के आह्वान के अनुसार, भारत को तटीय क्षेत्रों की सहनक्षमता बढ़ाने के लिये पूर्व चेतावनी प्रणालियों, मज़बूत आधारभूत संरचनाओं तथा जलवायु-संवेदनशील नीतियों को सशक्त करना चाहिये।